भारत के सिक्योरिटीज रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने जेन स्ट्रीट ग्रुप (Jane Street Group) को भारतीय शेयर बाजार से बैन कर दिया है. आरोप है कि इस ग्रुप ने डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग के माध्यम से बाजार में हेरफेर किया. सेबी के 3 जुलाई 2025 के अंतरिम आदेश के अनुसार, जेन स्ट्रीट ने बैंक निफ्टी और निफ्टी 50 इंडेक्स को प्रभावित करने के लिए बड़े पैमाने पर ट्रेडिंग की. इस ट्रेडिंग के जरिए 1 जनवरी 2023 से 31 मार्च 2025 तक 43,289 करोड़ रुपये का लाभ कमाया. सेबी ने इसे प्रैक्टिस को बाजार नियमों का उल्लंघन माना और 4,843 करोड़ रुपये की अवैध कमाई जब्त करने का आदेश दिया. जेन स्ट्रीट ने हालांकि इन आरोपों का खंडन किया है और सेबी के साथ आगे बातचीत की बात कही है. यदि ये सच है… तो यही वो कारण है, जो ऑप्शंस में ट्रेड करने वालों को पैसा कमाने नहीं देता. छोटे ट्रेडर अपनी जेब खाली होने के बाद थक-हारकर घर लौट जाते हैं.
SEBI भारतीय शेयर बाजार का रेगुलेटर है, जो जेन स्ट्रीट द्वारा किए गए काम को मैनिपुलेशन मानता है. सेबी का कहना है कि जेन स्ट्रीट ने भारतीय बाजार में एक बहुत ही सोची-समझी चाल चली, जिससे वो स्टॉक्स और इंडेक्स को जबरदस्ती ऊपर-नीचे करके डेरिवेटिव्स (खासकर ऑप्शंस) में भारी मुनाफा कमा सके. बता दें कि यह वही डेरिवेटिव्स (कॉल-पुट) हैं, जिसमें 95 फीसदी रिटेल ट्रेडर नुकसान झेलते हैं. शायद उन्हें नहीं पता होता कि कहीं कोई बड़ा खिलाड़ी इस खेल की गोटियां बिछाकर अपना खेल खेल रहा होता है.
इस केस में सेबी ने 4,843 करोड़ रुपये को फ्रीज कर दिया है और कंपनी पर पूरी तरह से मार्केट में बैन लगा दिया है. यह भारत द्वारा किसी विदेशी ट्रेडिंग कंपनी के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है.
जेन स्ट्रीट की पूरी कुंडली
जेन स्ट्रीट ग्रुप एक ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म है, जिसकी शुरुआत 2000 में न्यूयॉर्क में हुई थी. आज इसके पास दुनियाभर में 2,600 से ज्यादा कर्मचारी हैं और यह 45 देशों में ट्रेडिंग करती है. यह कंपनी खासतौर पर ETFs (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स), इक्विटी, बॉन्ड्स और ऑप्शंस में एक्सपर्ट मानी जाती है. इसकी ट्रेडिंग में एडवांस क्वांटिटेटिव एनालिसिस (Advance Quantitative Analysis) का यूज़ होता है.
एडवांस क्वांटिटेटिव एनालिसिस ट्रेडिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें कंप्यूटर, गणित और आंकड़ों की मदद से शेयर बाजार के ट्रेंड को समझा जाता है. इसमें डेटा का गहराई से विश्लेषण करके तेजी से खरीद-बिक्री के फैसले लिए जाते हैं, जिससे मुनाफा कमाने की संभावना बढ़ जाती है.
जेन स्ट्रीट ने क्या पाप किया?
सेबी की जांच के मुताबिक, जेन स्ट्रीट ने इंट्राडे इंडेक्स मैनिपुलेशन स्ट्रैटेजी (Intra Day Index manipulation strategy) अपनाई. यानी ये लोग सुबह के समय निफ्टी बैंक (Nifty Bank) के स्टॉक्स और फ्यूचर्स को तेज़ी से खरीदते थे, जिससे इंडेक्स ऊपर जाता था. इसके बाद दिन के अंत में वही स्टॉक्स को जोरदार तरीके से बेचकर इंडेक्स को नीचे गिरा देते थे. इससे ऑप्शंस ट्रेडिंग में उन्हें भारी फायदा होता था.
सेबी के अनुसार, जेन स्ट्रीट ने सबसे बड़े रिस्क वाले ऑप्शंस पोजीशन ली थी, खासकर इंडेक्स ऑप्शंस एक्सपायरी वाले दिनों पर. उनकी ट्रेडिंग इतनी ज्यादा मात्रा में होती थी कि वो स्टॉक्स और फ्यूचर्स की कीमत को अपनी मर्ज़ी से ऊपर-नीचे कर देते थे.
छोटे ट्रेडर्स को उठाना पड़ता है नुकसान
इसके लिए एक खास टेकनीक का इस्तेमाल किया गया, जिसे “मार्किंग द क्लोज़” कहा जाता है. इसका मतलब है कि ऑप्शंस एक्सपायरी से ठीक पहले कंपनी जानबूझकर इंडेक्स को ऊपर या नीचे ले जाकर अपनी पोजिशन के मुताबिक फायदा उठाती थी. दूसरे छोटे ट्रेडर्स को ये पता नहीं होता था कि मार्केट को आर्टिफिशियली ऊपर चढ़ाया गया है, तो वे गलत टाइम पर एंट्री लेते और नुकसान उठाते.
भारत से बाहर भेजा गया होगा पैसा!
सेबी की रिपोर्ट में बताया गया कि जेन स्ट्रीट ने सारे सेगमेंट मिलाकर कुल 36,502 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया, लेकिन ऑप्शंस से सबसे ज्यादा कमाई की. उनके FPI (Foreign Portfolio Investor) अकाउंट्स से 32,681 करोड़ रुपये का प्रॉफिट निकला, जो कि उनके भारत में रखे गए औसतन असेट्स से कहीं ज़्यादा था. यानी यह पैसा भारत से बाहर भेजा गया हो सकता है.
जेन स्ट्रीट की भारतीय कंपनी जेएसआई इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड (JSI Investments Private Ltd) ने निफ्टी बैंक के स्टॉक्स में इंट्रा-डे में खरीद-बिक्री की, जिसका कोई इकॉनमिक लॉजिक नहीं था. इसका एक ही मकसद था कि इंडेक्स को मैनिपुलेट करना, ताकि ऑप्शंस में फायदा कमाया जा सके.
सेबी ने जेन स्ट्रीट के खिलाफ क्या कदम उठाए
4,843.57 करोड़ रुपये की रकम को सीधा फ्रीज किया गया है और ये पैसा SEBI के नाम पर एक एस्क्रो अकाउंट में जमा करना होगा.
जेन स्ट्रीट अब भारतीय मार्केट में किसी भी तरह की खरीद-बेच नहीं कर सकती.
इनके सारे बैंक अकाउंट, डिमैट अकाउंट, और कस्टोडियल अकाउंट फ्रीज कर दिए गए हैं.
जब तक पैसे जमा नहीं होते, तब तक ये अपने किसी भी एसेट को भारत में बेच नहीं सकते.
अब आगे क्या होगा?
जेन स्ट्रीट को सेबी के इस आदेश पर जवाब देने के लिए 21 दिन का समय मिला है. वे अपनी बात रखने के लिए पर्सनल हियरिंग भी मांग सकते हैं. तब तक ये सारे प्रतिबंध लागू रहेंगे. ये पूरा मामला सेबी के लिए एक बड़ा टेस्ट भी है. क्या वह इतनी बड़ी और स्मार्ट ग्लोबल फर्म पर काबू पा सकता है? इसका असर आने वाले समय में भारत में काम कर रही दूसरी विदेशी ट्रेडिंग कंपनियों पर भी पड़ सकता है. लेकिन दूसरी तरफ उसे भारत के छोटे ट्रेडर्स का भी ध्यान रखना है.
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