Last Updated:July 02, 2025, 17:34 ISTLoan EMI- आरबीआई का कहना है कि राशि और संख्या, दोनों लिहाज से बढ़ रहे गैर हाउसिंग कंज्यूमर लोन बैंकों को मुश्किल में डाल सकते हैं. गैर आवासीय कंज्यूमर लोन की किस्त न देने की दर बढ़ रही है.भारत में घरेलू कर्ज कर्ज में गैर आवासीय कंज्यूमर लोन की हिस्सेदारी तीन कारणों से बढ़ रही है.हाइलाइट्सभारत में बढा है प्रति व्यक्ति घरेलू कर्ज.गैर-उत्पादक कर्ज की ईएमआई में जा रहा 25% पैसा.टीवी, एसी, फ्रिज या स्मार्टफोन खरीदने को ले रहे खूब लोन.नई दिल्ली. भारत के हर व्यक्ति पर औसतन 4.8 लाख रुपए का कर्ज है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने जून 2025 की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. इस कर्ज में होम लोन, पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड का बकाया और अन्य रिटेल लोन शामिल हैं. खास बात यह है कि आम आदमी की खर्च योग्य आय का 25.7% हिस्सा उन कर्ज की ईएमआई चुकाने में जा रहा है, जो उसके लिए भविष्य में गैर-उत्पादक है. यह कर्ज क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन या टीवी, एसी, फ्रिज या स्मार्टफोन खरीदने के लिए लिया था.
कुल घरेलू खर्च योग्य आय में गैर आवासीय कंज्यूमर लोन की हिस्सेदारी बढ़ रही है. यह रफ्तार होम, एग्री और बिजनेस लोन से ज्यादा है. घरेलू कर्ज में ऐसे कंज्यूमर लोन की हिस्सेदारी बढ़कर 55% हो चुकी है. इसकी तुलना में भविष्य में काम आने वाले होम लोन की कुल घरेलू कर्ज में हिस्सेदारी महज 29.1% है. इसके चलते एक साल में जीडीपी की तुलना में घरेलू कर्ज दिसंबर 2024 तक बढ़कर 41.9% हो गया, जो दिसंबर 2023 में 40.2% ही था.
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प्रति व्यक्ति घरेलू कर्ज बढ़ा उसमें गैर आवासीय कंज्यूमर लोन की हिस्सेदारी ज्यादा होने का अर्थ है कि यह ऋण ज्यादा ब्याज पर लिया गया है. आरबीआई का कहना है कि राशि और संख्या, दोनों लिहाज से बढ़ रहे गैर हाउसिंग कंज्यूमर लोन बैंकों को मुश्किल में डाल सकते हैं. हालांकि, राहत की बात यह है कि अभी भी भारत उन टॉप 50 देशों में नहीं आता जहां प्रति व्यक्ति घरेलू कर्ज सबसे ज्यादा लिया गया है.
क्यों बढ रहा है कर्ज
भारत में घरेलू कर्ज कर्ज में गैर आवासीय कंज्यूमर लोन की हिस्सेदारी तीन कारणों से बढ़ रही है. पहला कारण लैंडिंग प्लेटफॉर्म का बढ़ना है. अब भारत में स्मार्टफोन से लेकर एसी-फ्रिज के लिए लोन देने वाली कंपनियों और प्लेटफॉर्म की संख्या तेजी से बढी है. आसानी से लोन मिलने की वजह से लोग ज्यादा लोन ले रहे हैं. दूसरा कारण है भारत में भी पश्चिमी देशों की तरह लोन लेकर घरेलू सामान खरीदने की प्रवृति में इजाफा होना. इससे गैर आवासीय कंज्यूमर लोन की मांग में वृद्धि हुई है. तीसरा कारण बैंकों द्वारा रिटेल लोन पर फोकस करना है.
डिफॉल्ट रेट भी ज्यादा
गैर आवासीय कंज्यूमर लोन की किस्त न देने की दर बढ़ रही है. खासतौर पर क्रेडिट कार्ड और 50 हजार रुपए तक के पर्सनल लोन भरने से लोग ज्यादा चूक रहे हैं. RBI की फ्लेक्सिबल मॉनेटरी पॉलिसी से ब्याज दरें कम हो सकती हैं. इससे कर्ज चुकाना आसान हो सकता है, लेकिन माइक्रोफाइनेंस लोन लेते समय सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि उनकी ब्याज दरें ज्यादा हो सकती हैं.Location :New Delhi,New Delhi,Delhihomebusinessघर-कार हुई पुरानी बात, अब इस काम के लिए ले रहे सबसे ज्यादा कर्ज
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