Rajasthan News: बॉर्डर स्टेट के दुग्ध उत्पादकों के लिए बड़ी सौगात, 20 हजार से ज्यादा पशुपालकों को मिलेगा लाभ

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राजस्थान सरकार ने बॉर्डर स्टेट के दुग्ध उत्पादक पशुपालकों के लिए एक बड़ी राहत और प्रोत्साहन योजना की घोषणा की है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत की अगुवाई में राज्य के डेयरी क्षेत्र को सशक्त करने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। इस विशेष योजना के तहत गुजरात सीमा से सटे चार जिलों- उदयपुर, बांसवाड़ा, बाड़मेर और रानीवाड़ा (जालौर) के पंजीकृत दुग्ध उत्पादक पशुपालकों को आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी लाभ पहुंचाए जाएंगे।

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इस योजना के तहत चारों जिला दुग्ध संघों में पंजीकृत पशुपालकों को मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना के तहत मिलने वाले 5 रुपये प्रति लीटर अनुदान के अतिरिक्त 2 रुपये प्रति लीटर बोनस भी दिया जाएगा। यह योजना करीब 1.75 लाख लीटर प्रतिदिन दूध संकलन पर आधारित है, जिससे 20 हजार 786 से अधिक दुग्ध उत्पादक किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। फिलहाल उदयपुर डेयरी में 11,447 लाभार्थी, रानीवाड़ा-जालौर में 5,160 लाभार्थी, बाड़मेर डेयरी में 2,226 लाभार्थी और बांसवाड़ा डेयरी में 1,953 लाभार्थी हैं।

इन चार जिलों के पंजीकृत पशुपालक किसानों को अब महज 370 रुपए वार्षिक प्रीमियम पर 2.5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा कवर मिलेगा, जिसमें परिवार के चार सदस्य शामिल होंगे साथ ही 14 रुपए के प्रीमियम पर 5 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा भी उपलब्ध होगा। जिसके तहत दुर्घटना में मृत्यु होने पर पर परिवार को 5 लाख रुपये और आंशिक या पूर्ण अपंगता पर 2.5 लाख रुपये तक की सहायता राशि मिलेगी। कुल बीमा प्रीमियम का 90% हिस्सा आरसीडीएफ व संबंधित दुग्ध संघ वहन करेगा। डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत के प्रयासों से दुग्ध उत्पादकों की बेटियों के विवाह में भी आरसीडीएफ सामाजिक भूमिका निभाएगा।

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‘सरस लाडो मायरा योजना’ के तहत इन जिलों के रजिस्टर्ड किसानों की बेटियों की शादी में 21,000 रुपये का मायरा अनुदान दिया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य लिंगानुपात सुधारना, बेटियों के जन्म को बढ़ावा देना, बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर रोक लगाना और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को सहारा देना है।

बायोगैस प्लांट से ऊर्जा आत्मनिर्भरता

आरसीडीएफ अब इन जिलों के पशुपालकों को फ्लैक्सी बायोगैस प्लांट भी स्थापित कराएगा, जिसकी कीमत लगभग 37,000 रुपये है। इस पर 29,000 रुपये का सरकारी अनुदान दिया जाएगा। इससे पशुपालक को हर महीने दो एलपीजी सिलेंडर के बराबर गैस उपलब्ध होगी, जिससे रसोई खर्च में काफी राहत मिलेगी। राज्य सरकार इन दुग्ध संघों के लिए एक विशेष मार्केटिंग योजना भी तैयार कर रही है। इसके तहत हर जिले में एक उच्च शिक्षित मार्केटिंग कंसल्टेंट नियुक्त किया जाएगा। उसका वेतन व अन्य खर्च आरसीडीएफ वहन करेगा। साथ ही दुग्ध उत्पादकों को उनकी मूल राशि सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर करने की व्यवस्था भी लागू की जाएगी।

चारों जिला दुग्ध संघों के दूध प्रोसेसिंग प्लांट्स को अपग्रेड किया जाएगा। इस कार्य के लिए खर्च आरसीडीएफ के रिहेबिलिटेशन फंड से वहन किया जाएगा। इससे उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, बेहतर गुणवत्ता के डेयरी उत्पाद उपलब्ध होंगे और साथ ही बाजार में प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता में वृद्धि होगी। राज्य सरकार की यह नीति केवल डेयरी सेक्टर को प्रोत्साहित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास को एकीकृत रूप से बढ़ावा देती है। यह योजना केवल आर्थिक मदद नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बनेगी। इससे बेटियों को सम्मान, किसानों को संबल और डेयरी क्षेत्र को नई उड़ान मिलेगी।

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