नई दिल्ली. बीते करीब ढाई साल में ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव दोगुना हो चुका है. अक्टूबर 2022 में जहां इसकी कीमत $1,630 प्रति औंस थी, वहीं अब यह बढ़कर लगभग $3,260 प्रति औंस तक पहुंच गई है. 2025 की शुरुआत में भी सोने ने दमदार प्रदर्शन किया और साल की पहली छमाही में इसकी कीमतों में 27% तक की तेजी दर्ज की गई. लेकिन अब दो महीनों में सोने की कीमतों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2% की गिरावट देखने को मिली है और भारतीय सर्राफा बाजार में भी सोना अपने ऑल टाइम हाई से 4 फीसदी गिर चुका है. ऐसे में अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या सोने का बुल रन खत्म हो गया है?
पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर बढ़ती अनिश्चितता, आर्थिक अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव ने सोने के भाव को नई ऊंचाइयां दी है. रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका की बिगड़ती राजकोषीय स्थिति और मध्य-पूर्व में इज़राइल-ईरान संघर्ष जैसे घटनाक्रमों ने सोने की मांग को बढ़ावा दिया. केंद्रीय बैंकों ने भी बड़ी मात्रा में सोना खरीदा. अभी भी बैंकों ने सोना खरीदना बंद नहीं किया है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले 12 महीनों में 43% केंद्रीय बैंक अपनी गोल्ड होल्डिंग बढ़ाने की योजना बना रहे हैं.
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क्या अब खत्म हो गई है सोने की तेजी?
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि सोने में आई हालिया गिरावट अस्थाई है. इसे किसी बड़े ट्रेंड रिवर्सल के रूप में देखना जल्दबाजी होगी. फिलहाल सोने में मुनाफावसूली का दौर चल रहा है और यह अल्पकालिक कमजोरी है. सिटीबैंक का मानना है कि इसमें कुछ और गिरावट देखी जा सकती है, लेकिन लंबी अवधि के निवेशकों के लिए यह खरीदारी का अवसर भी हो सकता है. बैंक ऑफ अमेरिका (BofA) ने हाल ही में भविष्यवाणी की है कि सोने की कीमत 2026 तक $4,000 प्रति औंस तक पहुंच सकती है, जो मौजूदा स्तर से लगभग 20% की और बढ़ोतरी होगी.
BofA का मानना है कि अमेरिका की आने वाली वित्तीय नीतियां खासकर ट्रंप का बिग एंड ब्यूटीफुल बिल, डॉलर पर दबाव बना सकती हैं जिससे सोने की चमक और बढ़ेगी. लेकिन, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सोना पहले ही काफी ऊंचे स्तर पर है, इसलिए बड़ी गिरावट भी संभव है. ऐसे में निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो का 5-10% हिस्सा ही सोने में लगाएं और अत्यधिक निवेश से बचें.
ये कारक होंगे अहम
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दिसंबर 2024 से अपनी ब्याज दरें 4.25%-4.5% पर स्थिर रखी हैं. लेकिन अब ब्याज दरों में कटौती की चर्चा जोरों पर है. अगर सितंबर 2025 से कटौती शुरू होती है, तो अगले 2-3 वर्षों में 200-300 बेसिस प्वाइंट तक गिरावट संभव है, जो सोने के लिए एक बार फिर पॉजिटिव संकेत हो सकता है. सोने की कीमतों का सीधा संबंध ब्याज दरों और डॉलर की मजबूती/कमजोरी से होता है.
जब ब्याज दरें गिरती हैं और डॉलर कमजोर होता है, तब निवेशक अधिक रिटर्न के लिए सोने की ओर रुख करते हैं. इस साल अमेरिकी डॉलर इंडेक्स 10% से अधिक गिर चुका है और यह 100 के नीचे बना हुआ है. डॉलर की कमजोरी को अमेरिकी अर्थव्यवस्था की कमजोरी के रूप में देखा जा रहा है. जब निवेशकों को अमेरिका की आर्थिक स्थिति पर भरोसा कम होता है, तो वे डॉलर-आधारित संपत्तियों से हटकर सोने जैसे सुरक्षित विकल्पों में निवेश करते हैं. इज़राइल-ईरान संघर्ष अब खत्म हो चुका है और सीज़फायर लागू है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध अब भी जारी है. ऐसे में भू-राजनीतिक माहौल अब भी अस्थिर है.
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