राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को गोरखपुर AIIMS के पहले दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं. राष्ट्रपति ने आयोजन में शामिल होने पर खुशी जाहिर की. उन्होंने विद्यार्थियों को उपाधि व मेडल प्रदान किए.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टर का व्यवहार मरीज के मानसिक व शारीरिक स्थिति पर गहरा प्रभाव डालता है. उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आपने इसे करियर के रूप में चुना, क्योंकि आपके मन और परिवार में सेवा भावना है. एक संवेदनशील डॉक्टर न केवल दवा, बल्कि अपने व्यवहार से भी मरीज को जल्द ठीक करने में मदद करता है. सहानुभूतिपूर्ण देखभाल से मरीज की हालत में तेजी से सुधार होता है. डॉक्टर के धैर्य व समर्पण की भावना समाज में आदर्श प्रस्तुत करती है, जिससे अन्य लोग भी प्रेरित होते हैं. चिकित्सा एक प्रोफेशन नहीं, बल्कि सेवा है.
‘डॉक्टरों के जगने से बचती हैं कई जिंदगियां’राष्ट्रपति ने कहा कि कभी रात में थके हारे सोए हैं, लेकिन आधी रात में किसी ने फोन किया तो आपको जगना पड़ता है. आपके जगने से कई जिंदगी बचती है. खाने का एक निवाला अंदर गया, तभी टेलीफोन आ गया, लेकिन आप खाना खाकर रेस्ट करके भी नहीं जा सकते हैं. यह इमरजेंसी सर्विस है, इसलिए लोग डॉक्टरों को भगवान मानते हैं. हम भगवान को देखे नहीं, लेकिन जिसके कदमों के पास अपने मरीजों को भेजते हैं, वे चलते-फिरते भगवान होते हैं. उनसे कहते हैं कि डॉक्टर साहब इसे बचाओ. उनके पास आर्थिक व्यवस्था है कि नहीं, बिन यह सोचे आपको जिंदगी बचानी पड़ेगी, क्योंकि यही मानवता है.
‘पूर्वी उप्र, बिहार व नेपाल के लोगों को मिल रहा गोरखपुर एम्स से फायदा’ राष्ट्रपति ने कहा कि कोई गरीब हो, ग्रामीण या शहरी नागरिक, इस संस्थान में समान गुणवत्ता का इलाज उपलब्ध है. पूर्वी उप्र, सीमावर्ती बिहार व नेपाल के लोगों के लिए उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा के केंद्र के रूप में एम्स गोरखपुर प्रसिद्ध हो रहा है. उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि चिकित्सा लोगों की सेवा के साथ ही देश सेवा का माध्यम भी है. डॉक्टरों का समाज व देश के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान होता है. डॉक्टर केवल रोग का इलाज नहीं करते, बल्कि स्वस्थ समाज की नींव भी रखते हैं.
‘एम्स से लोगों को मिल रहीं उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं’ राष्ट्रपति ने कहा कि जब देश के नागरिक स्वस्थ होते हैं तो उनके कार्य करने की क्षमता भी बढ़ती है और वे राष्ट्र की उन्नति में भागीदार बन सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि डॉक्टरों की सेवाएं गांवों व दूरदराज के क्षेत्रों में भी उपलब्ध हो. गोरखपुर व देश के अन्य स्थानों पर एम्स की स्थापना इस उद्देश्य से ही की गई है कि देश के हर कोने में उत्कृष्ट चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हों. आज पूरे देश में अनेक एम्स कार्यरत हैं, जिनके द्वारा स्थानीय लोगों को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाबीलएं मिल रही हैं. स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में रोजगार और शिक्षा के अवसर भी बढ़े हैं.
‘कई देशों की तुलना में भारत में कम है इलाज का खर्च’राष्ट्रपति ने कहा कि विदेशों से भी मरीज भारत में इलाज के लिए आते हैं, क्योंकि यहां इलाज न केवल सुलभ, बल्कि गुणवत्तापूर्ण भी है. भारत में इलाज का खर्च कई देशों की तुलना में बहुत कम है. यह भारत के लिए गौरव की बात है. मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने में एम्स जैसे संस्थाओं की निर्णायक भूमिका रही है. एम्स की पारदर्शिता, नैतिकता और अनुसंधान आधारित इलाज प्रणाली वैश्विक मंच पर इसे प्रतिष्ठित संस्थान बना रहे हैं. विश्वास है कि गोरखपुर समेत सभी एम्स भारत को वैश्विक चिकित्सा केंद्रों के रूप में स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे.
राष्ट्रपति ने टेक्नोलॉजी पर की चर्चाराष्ट्रपति ने कहा कि टेक्नोलॉजी इन मेडिसिन के बारे में सभी जानते हैं. टेली मेडिसिन, एआई इन डायग्नोस्टिक, रोबोटिक सर्जरी, वेरिएबुल हेल्थ टेक जैसी तकनीक चिकित्सा सेवा को बेहतर बना रहे हैं. एम्स की तरफ से रोबोट असिस्टेट सर्जरी, एआई बेस्ड कैंसर डिटेक्शन का उपयोग किया जा रहा है, जो चिकित्सा नवाचार के लिए भारत की तत्परता को दर्शाता है. एआई डिवेन हेल्थ केयर में एथिक्स डेटा प्राइवेसी और ह्यूमन टच बनाए रखने पर भी विचार करना आवश्यक है.
इस समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, गोरखपुर के सांसद रवि किशन, एम्स गोरखपुर के अध्यक्ष देशदीपक वर्मा, एम्स की कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता आदि मौजूद रहे.
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