भारत के 1 लाख टन बासमती चावल पर संकट! हफ्तेभर से बंदरगाहों पर अटकी है खेप

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Last Updated:June 23, 2025, 19:26 ISTBasmati Rice Export : ईरान और इजराइल संघर्षों की वजह से अब भारत के कारोबार पर भी असर दिखने लगा है. भारत का 1 लाख टन बासमती चावल बंदरगाहों पर ही अटका पड़ा है. इससे निर्यातकों को भारी नुकसान हो सकता है.ईरान-इजराइल युद्ध की वजह से भारत के निर्यात पर असर पड़ना शुरू हो गया है. हाइलाइट्सभारत का 1 लाख टन बासमती चावल बंदरगाहों पर अटका.ईरान-इजराइल संघर्ष से चावल निर्यातकों को नुकसान.गुजरात के कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों पर रुकी खेप.नई दिल्‍ली. ईरान और इजराइल के बीच जारी युद्ध का असर अब भारत के कारोबार पर भी साफ दिखने लगा है. अभी तक सिर्फ अनुमान और कयास ही लगाए जा रहे थे, लेकिन अब इसकी सही तस्‍वीर सामने आने लगी है. भारत के 1 लाख टन बासमती चावल करीब एक सप्‍ताह से बंदरगाह पर ही अटके हुए हैं, जो युद्ध प्रभावित इन क्षेत्रों में ही डिलीवर होना था.अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ ने सोमवार को बताया कि इजराइल-ईरान संघर्ष के कारण ईरान जाने वाला लगभग 1,00,000 टन बासमती चावल भारतीय बंदरगाहों पर फंसा हुआ है. संघ के अध्यक्ष सतीश गोयल ने कहा कि ईरान जाने वाला लगभग 1,00,000 टन बासमती चावल फिलहाल भारतीय बंदरगाहों पर फंसा है. भारत के कुल बासमती चावल निर्यात में ईरान की 18-20 फीसदी की हिस्सेदारी है. जहाज के जरिये ढुलाई में व्यवधान से भारतीय चावल निर्यातकों के समक्ष चुनौतियां बढ़ गई हैं, जिन्हें पहले भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण ईरानी बाजार में भुगतान में देरी और मुद्रा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा है.

कहां फंसा है बासमती चावल
गोयल ने बताया कि निर्यात खेप मुख्य रूप से गुजरात के कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों पर रुकी है, जहां पश्चिम एशिया संघर्ष के कारण ईरान जाने वाले माल के लिए न तो जहाज उपलब्ध हैं और न ही बीमा. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संघर्ष, आमतौर पर मानक शिपिंग बीमा पॉलिसियों के तहत कवर नहीं होते हैं, जिससे निर्यातक अपनी खेप भेजने में असमर्थ हैं. इसका मतलब है कि जब तक इन चावल का बीमा नहीं हो जाता, इन्‍हें युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में भेजना नुकसान को बुलावा देना है.

संघर्ष बढ़ा तो हो सकता है नुकसानउन्होंने कहा कि निर्यात खेप में देरी और भुगतान को लेकर अनिश्चितता गंभीर वित्तीय तनाव पैदा कर सकती है. घरेलू बाजार में बासमती चावल की कीमतें पहले ही चार-पांच रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर चुकी हैं. इस मुद्दे पर संघ, कृषि-निर्यात संवर्धन निकाय एपीडा के संपर्क में है. उन्होंने कहा कि संकट पर चर्चा के लिए 30 जून को केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक होनी है, जिसमें कुछ हल निकाले जाने की संभावना है.

कौन खरीदता है सबसे ज्‍यादा चावलसऊदी अरब के बाद ईरान भारत का दूसरा सबसे बड़ा बासमती चावल का खरीदार है. भारत ने मार्च में समाप्त हुए वित्तवर्ष 2024-25 के दौरान ईरान को लगभग 10 लाख टन सुगंधित अनाज का निर्यात किया. भारत ने 2024-25 के दौरान लगभग 60 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया, जिसकी मांग मुख्य रूप से पश्चिम एशिया और पश्चिम एशियाई बाजारों से आई थी. अन्य प्रमुख खरीदारों में इराक, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका शामिल हैं. हाल के हफ्तों में इजरायल-ईरान संघर्ष काफी बढ़ गया है, जिसमें दोनों पक्षों ने भारी हमले किए हैं और अमेरिका सीधे तौर पर युद्ध में शामिल हो गया है.Pramod Kumar Tiwariप्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि…और पढ़ेंप्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि… और पढ़ेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessभारत के 1 लाख टन बासमती चावल पर संकट! हफ्तेभर से बंदरगाहों पर अटकी है खेप

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