चीन की चाल से नोएडा में हड़कंप! 20 हजार नौकरियों पर खतरा, कहां ज्‍यादा असर

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नई दिल्‍ली. चीन ने भारत सहित दुनिया के कई देशों के सामने एक नया संकट खड़ा कर दिया है. इसका शिकार अमेरिका भी बना, लेकिन उसने अपने लिए रास्‍ता निकाल लिया है. भारत के सामने अभी संकट बढ़ता ही रहा और अब इसकी आंच राजधानी दिल्‍ली से सटे शहर नोएडा तक जा पहुंची है. मोबाइल, टीवी और ऑडियो डिवाइस बनाने वाली कंपनियों के सामने मुश्किल इस कदर बढ़ गई है कि इसमें काम काम करने वाले करीब 20 हजार कर्मचारियों की नौकरियों पर खतरा मंडराने लगा है.इन उद्योगों से जुड़े अधिकारियों और विश्‍लेषकों का कहना है कि चीन ने रेयर अर्थ मैटेरियल का निर्यात रोक दिया है, जिससे ऑटोमोबाइल कंपनियों के साथ-साथ स्‍मार्टफोन, टीवी और ऑडियो डिवाइस मैन्‍युफैक्‍चरर्स को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इंडस्‍ट्री का कहना है कि चीन ने पहले तो रेयर अर्थ का निर्यात कुछ समय के लिए ही रोका था, लेकिन अब इसकी अवधि बढ़ती ही जा रही है. जाहिर है कि देश के तमाम उद्योगों के लिए यह खतरा है.

क्‍या है चीन का मकसद
इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का कहना है कि अगर चीन से रेयर अर्थ नहीं मिलता है तो उन्‍हें हियरेबल और वियरेबल जैसे प्रोडक्‍ट को चीन से ही आयात करना पड़ेगा, जो अभी तक भारत में बनाए जाते हैं. इसके अलावा भारतीय कंपनियों को स्‍पीकर खुद बनाने के बजाय सीधे चीन से खरीदना पड़ेगा. अगर ऐसी नौबत आती है तो इन कंपनियों में काम करने वाले करीब 5 से 6 हजार डायरेक्‍ट जॉब पर तो 15 हजार अप्रत्‍यक्ष नौकरियों पर खतरा पैदा हो जाएगा. इसका ज्‍यादातर असर नोएडा और दक्षिण भारत में दिखेगा, जहां इससे जुड़ी कंपनियां उत्‍पादन करती हैं.

7 एलीमेंट पर चीन ने लगाई रोकचीन ने अप्रैल में 7 रेयर एलीमेंट के निर्यात को लेकर लाइसेंस नियम काफी कड़े कर दिए थे. इसमें टरबियम और डायप्रोसियम जैसे दो महत्‍वपूर्ण मेटल शामिल हैं, जिनसे नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन मैग्‍नेट बनाए जाते हैं. इन मैग्‍नेट के इस्‍तेमाल से उपभोक्‍ता इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, स्‍पीकर, माइक्रोफोन, हैप्टिक मोटर्स और कैमरा मॉड्यूल बनाए जाते हैं.

टीवी को स्लिम बनाते हैं ये मेटल
चीन से आने वाले इन रेयर अर्थ मेटल का इस्‍तेमाल मॉडर्न टीवी को स्लिम बनाने के काम आते हैं. इससे कम जगह में रखे जाने वाले टीवी बनाए जा सकते हैं. इसके अलावा हाई क्‍वालिटी ईयरबड और ऑडियो-विजुअल डिवाइस बनाने में भी इन मेटल का इस्‍तेमाल किया जाता है. वैसे तो स्‍मार्टफोन बनाने में इस मैग्‍नेट का कम ही इस्‍तेमाल होता है, लेकिन फिर भी यह काफी जरूरी एलीमेंट हैं. फिलहाल भारत को अगर अपना घरेलू उत्‍पादन मजबूत करना है तो इसका विकल्‍प जल्‍द ही तलाशना होगा.

मोबाइल में कहां यूज होता है मैग्‍नेटस्‍मार्टफोन बनाने में मैग्‍नेट का इस्‍तेमाल स्‍पीकर, माइक्रोफोन, हैप्टिक मोटर्स और कैमरा मॉड्यूल बनाने में होता है. वैसे देखा जाए तो स्‍मार्टफोन में मैग्‍नेट का इस्‍तेमाल काफी कम मात्रा में होता है. अगर रेयर अर्थ मेटल की सप्‍लाई नहीं होती है तो मोबाइल की सप्‍लाई चेन में रुकावट आने के साथ ही इसकी लागत भी बढ़ सकती है.

किन शहरों में सबसे ज्‍यादा असर
एसोसिएशन ने सरकार को लिखे पत्र में कहा है कि अगर मैग्‍नेट की सप्‍लाई नहीं होती है तो नोएडा, चेन्‍नई और पुणे में स्‍पीकर के उत्‍पादन पर असर पड़ेगा. कुछ उत्‍पादक पूरी तरह तैयार स्‍पीकर का आयात भी शुरू कर सकते हैं. इसके अलावा कुछ कंपनियों ने इस मैग्‍नेट के विकल्‍प तलाशना शुरू कर दिया है, जो फेराइट मैग्‍नेट हो सकते हैं. एक्‍सपर्ट का कहना है कि इस रेयर अर्थ के बिना टीवी को स्लिम यानी पतला और एडवांस्‍ड बनाना मुश्किल होगा. इसका सीधा असर प्रोडक्‍ट की क्‍वालिटी और उसकी सप्‍लाई पर भी दिखेगा.

कीमतों में आ सकता है उछालJVC, Thomson, Kodak, Blaupunkt और Westinghouse जैसे टीवी ब्रांड बनाने वाली कंपनी Super Plastronics Pvt Ltd का कहना है कि हमें इसके विकल्‍प के रूप में फेराइट मैग्‍नेट का इस्‍तेमाल करना होगा. इसके बिना नेक्‍स्‍ट जेनरेशन बॉक्‍स स्‍पीकर को बनाना और उसकी बेहतर साउंड क्‍वालिटी लाना मुमकिन नहीं होगा. कंपनी के सीईओ अवनीत सिंह मारवाह का कहना है कि हम अभी कीमतें बढ़ाने पर विचार नहीं कर रहे हैं, लेकिन यही स्थिति ज्‍यादा समय तक रही तो परेशानी बढ़ सकती है.

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