ईरान-इजरायल जंग के चलते भारत को लगा बड़ा झटका, बंद हुआ इस चीज का निर्यात, औंधे मुंह गिरे दाम

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Indian Rice Exporters on Israel-Iran War: ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध का असर भारत के चावल निर्यातकों पर पड़ा है. दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध के कारण ईरान के रास्ते जाने वाले चावल का निर्यात बंद हो गया है. जिस कारण हरियाणा, पंजाब, दिल्ली व उत्तर प्रदेश से निर्यात होने वाला करीब एक लाख मीट्रिक टन चावल बंदरगाहों पर ही रुक गया है. जिस कारण निर्यात होने वाले चावल की कीमतों में करीब 1200 प्रति क्विंटल की गिरावट आ गई है.

ईरान में फंसे चावल के कारण भारतीय एक्सपोर्टरों को सता रहा डर

निर्यातकों को सबसे बड़ी चिंता ईरान में फंसे उनके चावल के पैसे और पोर्ट पर लोड उनके चावल कंटेनर को लेकर खड़े है. क्योंकि ईरान में निर्यात होने वाले चावल का कोई इंश्योरेंस नहीं होता है. जिस कारण अब चावल निर्यातकों करोड़ों रुपये के चावल का डर सता रहा है. दूसरी ओर, ईरान जाने वाले चावल के निर्यात के लिए परमिट सिर्फ चार महीने के लिए बनता है. जिसमें तय समय सीमा के अंदर निर्यातकों को चावल की डिलीवरी देनी होती है. यदि तय समय पर चावल नहीं पहुंचता तो परमिट कैंसिल हो जाता है. जिसका नुकसान एक्सपोर्टरों को झेलना पड़ता है.

चावल निर्यातकों की केंद्र सरकार से मांग

चावल निर्यातकों की मांग है कि भारत सरकार युद्ध के दौरान ईरान सरकार से बात करके उनके परमिट बढ़ाने को लेकर बात करे. उल्लेखनीय है कि विश्व में बासमती चावल का 40 प्रतिशत हिस्सा अकेला हरियाणा से ही निर्यात होता है. बाकी 60 प्रतिशत हिस्सा पंजाब, दिल्ली व उत्तर प्रदेश करता है.

ईरान, सऊदी और इराक भारत के तीन प्रमुख बासमती चावल आयातक देश

कैथल के चावल निर्यातक गौतम मिगलानी का कहना है कि भारत ईरान को करीब 30 प्रतिशत से ज्यादा बासमती चावल निर्यात करता है, जो भारत के चावल का सबसे बड़ा आयातक देश है. दूसरे नंबर पर सऊदी अरब और तीसरे नंबर पर ईराक भारत से चावल आयात करता है. ये तीनों ही देश भारत के बासमती चावल के आयात करने वाले देश हैं.

पहले ईरान भारत से 15 लाख टन तक चावल आयात करता था. इस साल भी ईरान भारत से अच्छा चावल आयात कर रहा था, जिस कारण चावल के दामों में भी तेजी आई थी. लेकिन अब युद्ध के कारण चावल के दामों में करीब एक हजार से 1,200 रुपये प्रति क्विटल की गिरावट आई है.

चावल निर्यातकों को हो रही चिंता

निर्यातकों का कहना है कि अगर आने वाले समय में हम ईरान को चावल निर्यात नहीं कर सकेंगे तो आने वाले अगली फसल धान की फसल को नहीं खरीद सकेंगे. जिस कारण आने वाली धान के दामों में गिरावट आएगी. ईरान की तरफ जाने वाले शिपमेंट को रोक दिया गया है और जो चावल कंटेनर वहां पहुंच चुके हैं उनको लेकर भी हमें डर है. पोर्ट पर करीब 4,000 कंटेनर अभी होल्ड पर रखे गए है.

(रिपोर्ट- सुनील रविश)

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