किडनी की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए लाभकारी है सर्पासन, अस्थमा के लक्षणों को भी करता है कम

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Sarpasana is Beneficial for Health: आज की सुविधाजनक लेकिन सुस्त जीवनशैली ने हमारे शरीर की ताकत को धीरे-धीरे कमजोर करना शुरू कर दिया है. लगातार बैठकर काम करने, कम चलने-फिरने और व्यायाम की अनदेखी के चलते मांसपेशियों की ताकत घटने लगी है, जिससे पीठ और कमर में जकड़न समेत कई अनचाहे दर्द शुरू होने लगते हैं. ज्यादा परेशानी बढ़ने पर डॉक्टर के पास भागना पड़ता है, लेकिन अगर हम समय रहते अपनी मांसपेशियों को मजबूत कर लें, तो इन तकलीफों से बचा जा सकता है.

योग इसमें हमारी सबसे बड़ी मदद कर सकता है. योगासन में यूं तो कई आसन हैं, लेकिन ‘सर्पासन’ शरीर को शक्ति, लचीलापन और स्फूर्ति देने का सबसे सरल तरीका है. इसे ‘भुजंगासन’ और ‘कोबरा पोज’ भी कहा जाता है. यह आसन शरीर को फिट बनाए रखता है और तनाव को कम करता है.

मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है सर्पासन

आयुष मंत्रालय के मुताबिक, सर्पासन पीठ की मांसपेशियों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है. इस आसन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और शरीर में लचीलापन बढ़ता है.

सर्पासन किडनी की पथरी से छुटकारा दिलाने में फायदेमंद साबित होता है. इसका नियमित रूप से अभ्यास करने से किडनी पर जोर पड़ता है, जिससे किडनी में मौजूद विषाक्त पदार्थ निकलने लगते हैं और इसकी कार्यक्षमता में सुधार होता है. यह छाती, कंधों और पेट की मांसपेशियों को फैलाता है, जिससे शरीर में खिंचाव आता है और ताकत बढ़ती है. इसे करने से श्वसन तंत्र मजबूत होता है.

मानसिक तनाव और थकान को दूर करता है सर्पासन

इसके अलावा यह मानसिक तनाव और थकान को दूर करने में भी सहायक होता है. नियमित अभ्यास से मन शांत रहता है और शरीर में फुर्ती बनी रहती है. सर्पासन साइटिका की समस्या को कम करता है और अस्थमा के लक्षणों को भी घटाता है. यह प्रजनन प्रणाली को मजबूत करता है और महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म की समस्या को ठीक करने में मदद करता है.

सर्पासन करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, जिससे चेहरे पर चमक आती है और त्वचा निखरती है. यह आसन आसान है और रोजाना करने से शरीर में ऊर्जा और ताजगी बनी रहती है.

कैसे करते है सर्पासन?

सर्पासन करने के लिए सबसे पहले पेट के बल सीधे लेट जाएं और पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखें. अब अपने दोनों हाथों को धीरे-धीरे छाती के पास लाएं और हथेलियों को जमीन पर टिका दें. इसके बाद गहरी सांस लेते हुए अपनी नाभि के हिस्से को ऊपर उठाएं और सिर को पीछे की ओर ले जाते हुए ऊपर छत या आसमान की तरफ देखें. इस स्थिति में आपकी पीठ धीरे-धीरे ऊपर की ओर मुड़ेगी.

इस मुद्रा में कुछ देर तक बने रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें. यह स्थिति रीढ़ की हड्डी और पेट की मांसपेशियों के लिए लाभकारी होती है. फिर धीरे-धीरे वापस पहले वाली स्थिति में आ जाएं और कुछ समय के लिए शरीर को ढीला छोड़ दें. इस प्रक्रिया को तीन से चार बार दोहराएं. ये आसन करने से शरीर में लचीलापन बढ़ता है और तनाव कम होता है.

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