ईरान की गर्दन पर खड़े हुए अमेरिका के तीन समुद्री बेड़े, जानें बेड़ों की क्या होती है ताकत

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ईरान – इजरायल संघर्ष के एक हफ्ते बाद गुजरने के बाद इस लड़ाई के और तेज होने के संकेत मिल रहे हैं. अमेरिका ने अपने तीन स्ट्राइक ग्रुप को भूमध्य सागर में ठीक ईरान के करीब तैनात करने के लिए भेज दिया. इसका मतलब ये है कि अब अमेरिका का हाथ सीधे ईरान की गरदन पर होगा. स्ट्राइक ग्रुप को समुद्री बेडे के तौर पर भी जानते हैं. ये सर्वशक्तिमान कहे जाते हैं. इन बेडों में क्या क्या होता है, क्योंकि ये जहां कहीं तैनात किये जाते हैं, वहां करीब के देशों में कंपकंपी छूट जाती है.

आप की जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिकी बेड़ा यूएस गेराल्ड आर फोर्ड पहले से भूमध्य सागर में तैनात था, अब इसके साथ यूएस कार्ल विंसन स्ट्राइक ग्रुप और यूएसएस निमित्ज स्ट्राइक ग्रुप को ठीक ईरान के करीब खड़े होने को भेज दिया गया है. वो तेजी से वहां बढ़ रहे हैं. पहले तो ये समझते हैं कि स्ट्राइक ग्रुप का मतलब क्या होता है. इसके बाद जानेंगे कि इन तीन बेडों में क्या है, जो ईरान के करीब जाकर खड़े हो जाएंगे.

स्ट्राइक ग्रुप (Carrier Strike Group) क्या होता है?

एक करियर स्ट्राइक ग्रुप यानि Carrier Strike Group (CSG) का मतलब सिर्फ एक विमानवाहक पोत नहीं होता बल्कि ये पूरा एक समुद्री युद्धक बेड़ा होता है, इसमें कई चीजें होती हैं, जो किसी बेड़े की ताकत को बहुत बढ़ा देती हैं.

– एयरक्राफ्ट करियर (जिस पर कई फाइटर्स और हेलिकॉप्टर हो सकते हैं और सीधे उड़ान भर सकते हैं)
– क्रूजर (जिनसे मिसाइल्स छोड़ी जाती हैं)guided missile cruisers)
– डेस्ट्रॉयर (मिसाइल्स को हवा नष्ट करने वाले)
– अटैक पनडुब्बी
– रिफ्यूलिंग, लॉजिस्टिक्स जहाज
और करियर से ऑपरेट करने वाले F/A-18 फाइटर जेट्स, ई-2D हॉकआई AEW विमान और हेलीकॉप्टर. कोई भी बेड़ा सामूहिक तौर पर समुद्र, आकाश और जमीन – तीनों मोर्चों पर लड़ाई में सक्षम होते हैं.

अमेरिकी समुद्री बेड़ा यूएसएस निमित्जच अब आकर भूमध्य सागर में ठीक ईरान की गर्दन पर खड़ा हो जाएगा.

कौन-कौन से ग्रुप कहां तैनात हैं और क्या करेंगे

ये तीनों बेड़े अब भूमध्य सागर में तैनात हो रहे हैं. एक वहां पहले से तैनात था जबकि दो अन्य को कहीं और से वहां भेजा गया है. हर बेड़ा अपने आपमें समुद्र में तैरता सैन्य बेस होता है. जिससे बड़ी सैन्य ताकत आकाश, जमीन और हवा तीनों में मिलती है.

यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड स्ट्राइक ग्रुप

– अमेरिका का सबसे नया और अत्याधुनिक सुपरकैरियर
– इस पर F-35C, F/A-18E/F, EA-18G Growler, E-2D Hawkeye जैसी आधुनिक फाइटर खड़े हो सकते हैं और उड़ान भर सकते हैं
– इसे भूमध्य सागर में तैनात किया गया है क्योंकि ईरान और हिज़्बुल्लाह के हमले की आशंका को इसे दूर कर सकें.
– हॉरमुज जलमार्ग और पूर्वी भूमध्य सागर में अमेरिकी हितों की सुरक्षा हो
– एक सैन्य बेस के साथ इजरायल को रक्षा कवच दिया जा सके.
नवीनतम जानकारी के अनुसार गेराल्ड फोर्ड को लेवेंट क्षेत्र यानि सीरिया – लेबनान के पास तैनात किया गया है, ताकि ईरानी मिसाइल और ड्रोन हमलों की स्थिति में एयर डिफेंस और त्वरित रिटालिएशन हो सके.

यूएसएस गेराल्ड फोर्ड ताकतवर समुद्री बेड़ा है. ये समुद्र में तैरते ऐसे सैन्य बेस का काम करता है कि इससे जमीन से लेकर आकाश तक आपरेशंस को अंजाम दिया जा सकेगा.

यूएसएस कार्ल विंसन (USS Carl Vinson CVN-70) स्ट्राइक ग्रुप

ये अमेरिका के प्रशांत बेड़े का हिस्सा है. इसे अभी भूमध्य सागर में ट्रांसफर कर दिया गया है. ये ईरान के बिल्कुल करीब खड़ा है. अमेरिका ने पहली बार अपना समुद्री बेड़े यहां भेजे हैं.
– ये ईरान पर दबाव बढ़ाएंगे. ईरान के तटीय ठिकानों पर प्रहार की क्षमता खत्म कर देंगे और खुद उन सारे इलाकों पर नजर रखते हुए उसे अपने कंट्रोल में रखेंगे
– गाजा-लेबनान सीमा से ड्रोन लॉन्चिंग की निगरानी करेंगे
– भूमध्य सागर में रूसी नौसैनिक गतिविधियों पर नजर रखेंगे

यूएसएस कार्ल विंसन को प्रशांत सागर से ईरान के करीब लाकर तैनात किया जा रहा है. एक समुद्री बेड़ा किसी देश के करीब पहुंचने का मतलब साफतौर पर उस देश के लिए खतरा होता है.

यूएसएस निमित्ज बेड़ा USS Nimitz (CVN-68)

इसे अमेरिका का ग्यारहवां समुद्री बेड़ा कहा जाता है. इसकी तैनाती आमतौर पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रहती है लेकिन इसको वहां से हटाकर भूमध्य सागर में भेजा गया. इसकी तैनाती का मतलब ईरान पर दबाव बढ़ाना तो है ही. साथ ही ये भी
– ईरान की तरफ से किसी भी हमले या होरमुज जलडमरूमध्य बंद करने की स्थिति में उसको खुला कराना
– लाल सागर और पूर्वी भूमध्य सागर दोनों क्षेत्रों में जरूरत के हिसाब से मूवमेंट करना
– ये डेस्ट्रॉयर USS Chung-Hoon, USS Decatur और क्रूजर USS Bunker Hill से सज्जित है
ये समुद्र में दमदार सैन्य एयरबेस का काम करेगा, जहां एयरस्ट्राइक, क्रूज मिसाइल लांच क्षमता की जा सकेगी. साथ ही इजराइल और क़तर बेस से तालमेल रखते हुए रूस समर्थित सीरियाई नेवी पर नजर रखेगा.

तीनों बेड़ों के भूमध्य सागर में तैनात होने का रणनीतिक मतलब

– ईरान-इस्राइल तनाव में अमेरिका की खुली सैन्य धमकी और तैयारी
– इन कैरियर ग्रुप्स की मौजूदगी अमेरिका का सिग्नल है कि अगर ईरान ने इस्राइल या अमेरिका के किसी बेस पर हमला किया, तो जवाब समुद्र, आकाश और मिसाइल से एक साथ आएगा. इन तीनों बेड़ों के जरिए F-35C और B-2 बॉम्बर्स को लॉन्चिंग कवच दिया जा सकेगा. इन बेड़ों से F-35C सटीक हवाई हमले कर सकते हैं. यहां से B-2 और B-52 बॉम्बर्स को हवा में ही रिफ्यूलिंग सपोर्ट भी दिया जा सकेगा.
– रूसी और ईरानी नेवी पर नजर रखी जाएगी.
– क्षेत्रीय सहयोगियों जैसे इज़राइल, क़तर, सऊदी को भरोसा और ईरान को मनोवैज्ञानिक दबाव देना.

मतलब साफ है कि तीन बेड़ों का भूमध्य सागर में आकर खड़े हो जाना ईरान के लिए रेड सिगनल है. ये संकेत है कि अमेरिका ने अब ईरान के खिलाफ किसी भी सिचुएशन के लिए फुल स्केल वार रेडीनेस मोड में अपनी नौसेना तैनात कर दी है. अमेरिका ने अब तक कभी कहीं अपने तीन बेड़ों को इस तरह नहीं लगाया है. ये उसकी अब तक की सबसे बड़ी मेडिटेरेनियन स्ट्राइक फोर्स बिल्डअप में एक है.

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