रास नहीं आई शहर में लाखों की नौकरी! 2 भाइयों ने गांव से बनाई 200 करोड़ की कंपनी

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नई दिल्ली. अगर आप से कोई कहे कि आप एक बड़े इंटरनेशनल बैंक में लाखों रुपये के पैकेज वाली नौकरी छोड़कर किसानी में लग जाइए तो क्या आप उसकी बात मानेंगे? बहुत ज्यादा संभावना है कि आप उन्हें कुछ अच्छे शब्द सुनाएंगे और बात को वहीं खत्म कर देंगे. लेकिन महाराष्ट्र के इन 2 भाइयों ने बताया कि क्यों ये कोई मजाक नहीं बल्कि उद्यमी बनने का सच में एक अच्छा विकल्प हो सकता है. यह कहानी पुणे के पास भोदानी गांव में रहने वाले 2 भाइयों की है. किसान के बेटे जिन्होंने पिता से विरासत में मिले हुनर को निखारा और 200 करोड़ की एक कंपनी खड़ी कर दी.2014 में शुरू हुई ये यात्रा आज 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की वैल्यू वाली ऑर्गेनिक फूड कंपनी ‘Two Brothers Organic Farms’ में बदल चुकी है, जो दुनिया के 60 से अधिक देशों में केमिकल-फ्री प्रोडक्ट्स बेच रही है. यह कहानी है सत्यजीत और अजीत हंगे की, जिन्होंने बैंक की नौकरी छोड़कर दिखा दिया कि खेती सिर्फ गुजारे का नहीं, बल्कि करोड़ों का व्यापार बन सकती है — बस जरूरत है तो भरोसे, जज्बे और मिट्टी से जुड़ने की.

सत्यजीत और अजीत की कहानी

भोदानी गांव में पैदा हुए सत्यजीत (1981) और अजीत (1984), एक किसान परिवार से थे. लेकिन उनके पिता ने उन्हें खेती से दूर रखा, क्योंकि उन्हें ये पेशा अस्थिर और समाज में कमतर माना जाता था. MBA करने के बाद सत्यजीत सिटी बैंक में और अजीत HSBC में बड़े पदों पर थे. 2012 आते-आते, दोनों को एहसास हुआ कि कॉर्पोरेट जिंदगी में पैसा तो है, पर सुकून नहीं. उन्हें याद आने लगे अपने बचपन के वो दिन, जब छुट्टियों में खेतों में जाते थे. यहीं से शुरू हुई वापसी की तैयारी.

Two Brothers Organic Farms की नींव

2014 में दोनों भाइयों ने अपने पुश्तैनी खेत पर ‘Two Brothers Organic Farms’ (TBOF) की शुरुआत की. शुरुआत में पानी की कमी, बंजर जमीन और मजदूरों की दिक्कतें आईं. पिता को भी यकीन नहीं था कि ये काम चलेगा. लेकिन भाइयों ने हार नहीं मानी. चार साल की मेहनत से उन्होंने एक मॉडल खड़ा किया जिसमें देशी गाय, मल्टी-क्रॉपिंग, देसी बीज और फॉरेस्ट ट्रीज जैसी पद्धतियां शामिल थीं. इन्हीं प्रयोगों से उनकी मिट्टी जिंदा हुई और फसलें लहलहाईं. 2018 तक, उनका ब्रांड Amorearth पूरी तरह तैयार था.

एक गांव से 5000 एकड़ तक पहुंची क्रांति

सिर्फ अपने खेत तक सीमित न रहकर, TBOF ने अन्य किसानों को भी जोड़ा. आज वे 17 राज्यों के 4,800 किसानों के साथ काम करते हैं और 16,000 से ज्यादा किसानों को ट्रेनिंग दे चुके हैं. वे किसानों को मार्केट रेट से 35–50% से ज्यादा दाम पर उपज खरीदते हैं. जैसे, 2023 में महाराष्ट्र के महिला किसान समूह को ₹900 प्रति क्विंटल प्रीमियम देकर ₹11,000 प्रति क्विंटल पर उड़द खरीदी गई, जिससे हर महिला को ₹60,500 तक की आमदनी हुई.

A2 घी से अमेरिका तक

TBOF का सबसे चर्चित प्रोडक्ट बना A2 देसी गाय का घी, जो बिलोना विधि से बनता है और इसकी मांग अमेरिका, सिंगापुर और मिडल ईस्ट तक है. इसके अलावा फ्लोर, दालें, मसाले, ऑयल, गुड़ और वेलनेस प्रोडक्ट्स भी कंपनी बनाती है. TBOF के 70% ऑर्डर उनकी वेबसाइट से आते हैं, और बाकी Amazon और ऑफलाइन से. सोशल मीडिया पर वे खेती और किसानों की कहानियां शेयर कर ब्रांड से लोगों का भावनात्मक जुड़ाव बनाते हैं.

निवेश, इनोवेशन और ग्लोबल विस्तार

2024 में Zerodha की Rainmatter और अभिनेता अक्षय कुमार, क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग जैसे निवेशकों से उन्हें ₹58 करोड़ की फंडिंग मिली. इस फंड से वे अमेरिका में विस्तार कर रहे हैं, जहां अब उनकी कमाई का 20% हिस्सा आता है. वे अपने खेतों को सोलर पावर से चलाने लगे हैं और कार्बन न्यूट्रल बनने का सपना लेकर आगे बढ़ रहे हैं.

सिर्फ बिजनेस नहीं, बदलाव की प्रेरणा

2022 में, उन्होंने गणतंत्र दिवस की कमाई का 50% गांव की दो महिलाओं के घर बनाने में दान किया. उनकी टीम में 300 से ज्यादा लोग गांव से ही जुड़े हैं. दुनिया भर के लोग, जैसे कोस्टा रिका से आए पर्यटक, उनसे जैविक खेती सीखने आते हैं.

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