इजरायल और ईरान के बीच जंग शुरू, खुद को अलग कर चुका अमेरिका… मिडिल ईस्ट में आखिर क्यों हुआ तना

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Tension in Middle East: पश्चिम एशिया में हालात तेजी से युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं। शनिवार तड़के ईरान और इजरायल के बीच अब तक का सबसे बड़ा सैन्य टकराव देखने को मिला, जब दोनों देशों ने एक-दूसरे पर मिसाइलों और ड्रोन से हमले किए. इस पूरे घटनाक्रम से सिर्फ इजरायल और ईरान ही नहीं, बल्कि पूरा क्षेत्र एक गंभीर संकट की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है.

शनिवार तड़के इजरायल के दो सबसे बड़े शहरों- तेल अवीव और यरुशलम में अचानक एयर रेड सायरन बज उठे. ईरान की ओर से कई मिसाइलें दागे जाने की खबर से अफरातफरी मच गई. लोग घरों से निकलकर बंकरों और सुरक्षित स्थानों की ओर भागे. इजरायली सेना ने दावा किया कि उसने अधिकतर मिसाइलों को रोक लिया, लेकिन कुछ मिसाइलें जमीन पर गिरीं. तेल अवीव में एक मिसाइल गिरने की पुष्टि हुई है जबकि यरुशलम में जोरदार धमाके सुनाई दिए. अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि ये धमाके ईरानी हमलों के कारण थे या इजरायली रक्षा प्रणाली के जवाब में हुए.

 अब कोई जगह सुरक्षित नहीं!
इस गंभीर सैन्य गतिरोध के बीच दोनों देशों के नेताओं के बयान और भी आक्रामक हो गए हैं. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने इजरायल पर युद्ध शुरू करने का आरोप लगाया और जनता को आश्वस्त किया कि “हमारा जवाब अधूरा नहीं होगा.” वहीं एक वरिष्ठ ईरानी अधिकारी ने कहा, “अब इजरायल की कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है.”
उधर, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा, “यह सिर्फ शुरुआत है, अभी और जवाब बाकी हैं.”

अमेरिका का दखल और क्षेत्रीय युद्ध की आशंका
इस पूरे घटनाक्रम में अमेरिका भी सक्रिय हो गया है. अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को अमेरिकी सेना ने ईरान से इजरायल की ओर दागी गई कई मिसाइलों को रास्ते में ही नष्ट कर दिया. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “अगर ईरान अब भी परमाणु समझौते पर राजी हो जाए तो यह संघर्ष रोका जा सकता है.” हालांकि, ईरान ने अमेरिका की किसी भी बातचीत की संभावना को खारिज करते हुए कहा है कि “अब परमाणु वार्ता का कोई मतलब नहीं बचा है.”

हिजबुल्ला-हमास निष्क्रिय, लेकिन खतरा अभी बरकरार
विश्लेषकों का मानना है कि यह संघर्ष एक बड़े क्षेत्रीय युद्ध की ओर बढ़ सकता है, लेकिन इस बार ईरान के सहयोगी संगठन – गाज़ा का हमास और लेबनान का हिजबुल्ला इजरायल के पिछले हमलों से पहले ही कमजोर हो चुके हैं. ऐसे में उनकी भागीदारी सीमित रह सकती है, लेकिन यह मान लेना जल्दबाजी होगी कि खतरा टल गया है.

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