चीन की जमीन से निकला ‘खजाना’, फायदा भारत के आम आदमी को भी! लेकिन कैसे? जानिए

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Last Updated:June 03, 2025, 13:41 ISTचीन की जमीन के नीचे से तांबे (कॉपर) का बड़ा भंडार मिला है. यह इतना बड़ा है कि कई सालों तक दुनिया की डिमांड पर सप्लाई किया जा सकता है. अभी तक कॉपर पैदा करने वाले देश चिली का इस पर लगभग एकाधिकार था. वह अपने हिसाब से कीमतों को ऊपर नीचे कर सकता था. मगर अब चीन के आने से तांबा सस्ता होने की उम्मीद है. तिब्बत के पठार पर चीन को तांबे (कॉपर) का एक ऐसा खजाना मिला है, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया है. आम इंसान की भाषा में कहें तो ये ठीक वैसा ही है जैसे किसी को अचानक ज़मीन के नीचे से सोने की खान मिल जाए. लेकिन खास बात ये है कि चीन को बेशक खजाना मिला है, लेकिन इससे भारत समेत दुनियाभर के आम लोगों को भी बड़ा फायदा होगा. चीन में तांबे का रिजर्व मिलने से समझा जा रहा है कि वैश्विक बाजार में कॉपर की कीमतों में भारी कमी आ सकती है. यदि ऐसा होता है तो कॉपर की कमी नहीं रहेगी और इससे आम आदमी को फायदा हो सकता है. इससे इलेक्ट्रिक गाड़ियां, मोबाइल और सोलर पैनल जैसे सामान सस्ते हो सकते हैं. हालांकि अभी जो देश कॉपर प्रोड्यूस करते हैं और जिनकी अर्थव्यवस्था ही तांबे पर टिकी है, उनके लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है. बता दें कि चीन के हाथ लगा कॉपर का रिजर्व कोई छोटा-मोटा नहीं, बल्कि पूरे 2 करोड़ टन कॉपर का भंडार है. यह खोज चीन के क़िंगहाई-शिजांग (Qinghai-Xizang) क्षेत्र में हुई है और इसे अब तक के सबसे बड़े तांबे के भंडारों में से एक माना जा रहा है. चीन की सरकार ने 6 जनवरी 2025 को इस खोज की पुष्टि की. चीन की प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय और राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक ब्यूरो ने इसे देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया. इसका मतलब यह है कि चीन अब तांबे के वैश्विक बाज़ार में अपनी मजबूत पकड़ बना सकता है. अभी तक दुनिया में तांबे का सबसे बड़ा खिलाड़ी चिली (Chile) रहा है, लेकिन अब उसकी बादशाहत खतरे में पड़ सकती है. तांबा एक बहुत ही जरूरी धातु है, जिसका इस्तेमाल मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक गाड़ियों, घरों की वायरिंग और सोलर पैनल जैसे उपकरणों में होता है. अगर चीन इस नए भंडार का इस्तेमाल करता है और दुनिया भर में तांबा सस्ते दामों में बेचने लगे, तो इससे देश की फैक्ट्रियों को फायदा होगा. वे सस्ते में तांबा खरीद सकेंगी, उत्पादन लागत कम होगी और चीन को व्यापारिक सौदों में फायदा मिल सकता है. दूसरी ओर चिली जैसे देशों के लिए ये खतरे की घंटी है. चिली की अर्थव्यवस्था काफी हद तक तांबे की बिक्री पर निर्भर है. अब जब चीन एक बड़ा सप्लायर बन सकता है, तो चिली की कंपनियों की आमदनी घट सकती है, निवेश कम हो सकता है और नौकरियों पर भी असर पड़ सकता है. खासकर चिली की सरकारी खनन कंपनी कोडेल्को (Codelco) पर सीधा असर पड़ेगा. इस हालात से निपटने के लिए चिली के अर्थशास्त्री सरकार को नए व्यापार समझौते करने, खनन क्षेत्र में छूट देने और नीतियों में बदलाव करने की सलाह दे रहे हैं. दुनिया के बड़े संस्थान जैसे वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल कॉपर स्टडी ग्रुप इस बदलाव पर नज़र बनाए हुए हैं. कुछ लोग इसे एक अवसर मान रहे हैं, तो कुछ लोग आने वाले अस्थिरता और जोखिम को लेकर चिंता जता रहे हैं.homebusinessचीन की जमीन से निकला ‘खजाना’, फायदा भारत के आम आदमी को भी! लेकिन कैसे? जानिए

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