बाज़ार में होने वाले उतार-चढ़ाव से निवेशकों का सामना होता ही है. स्टॉक मार्केट में होने वाले ये उतार-चढ़ाव देखकर कभी-कभी अस्थिरता का डर भी सता सकता है. खास तौर पर सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIPs) में निवेश करनेवालों को बाज़ार की अस्थिरता डरावनी लग सकती है. हालांकि, उतार-चढ़ाव के इस दौर में SIPs में निवेश रोकना समझदारी से भरा फ़ैसला नहीं कहा जा सकता है. हकीकत में बाज़ार के अस्थिरता के दौर में भी अपनी SIPs जारी रखना निवेश की दुनिया में सही रणनीति है. यह लंबे समय के लिए धन बनाने के आपके लक्ष्य को पूरा करने में मददगार साबित हो सकती है. आइए समझते हैं कि क्यों आपको बाज़ार जब गिर रहा हो, तब भी अपनी SIPs में निवेश जारी रखना चाहिए. Nivesh ka Sahi Kadam के निर्देशों लिहाज़ से भी यह रणनीति सटीक है:
बाज़ार की अस्थिरता के दौर में SIPs के काम करने का तरीका समझें
बाजार में उतार-चढ़ाव का मतलब है कि शेयर बाजार में होने वाले अचानक और तेज़ी से कीमतों में बदलाव आना. बाज़ार की यह अस्थिरता कई कारणों पर निर्भर करती है. जैसे कि आर्थिक डेटा रिलीज़ होना, देश-दुनिया की राजनीति में बड़े बदलाव आना या वैश्विक बाज़ार की स्थितियों में होने वाले बदलाव. बाज़ार की अस्थिरता की वज़ह से म्युचुअल फंड निवेशकों के नेट असेट वैल्यू (NAV) को भी प्रभावित कर सकती है. इससे पोर्टफ़ोलियो की कीमतों में अस्थायी तौर पर गिरावट आ सकती है. दूसरी ओर बाज़ार की स्थितियों को दरकिनार कर म्युचुअल फंड में नियमित रूप से SIP के ज़रिए एक निश्चित राशि निवेश करने का अनुशासित तरीका है. SIPs में लगातार नियमित तौर पर निवेश करने पर निवेशकों के पास अलग-अलग समय में बाज़ार कीमतों पर म्युचुअल फंड खरीदने की सुविधा रहती है. इससे लंबे समय में आपके निवेश की कुल लागत कम हो जाती है. इस तरीके को आम बोलचाल की भाषा में निवेश रकम को औसत करना कहते हैं. बाज़ार की अस्थिरता के दौर में यह तकनीक बहुत उपयोगी साबित होती है.
बाज़ार के उतार-चढ़ाव में भी SIP जारी रखने के फ़ायदे
1. निवेश रकम को औसत करते जानाबाज़ार की अस्थिरता के दौर में म्युचुअल फंड के NAV (नेट असेट वैल्यू) में भी उतार-चढ़ाव आता है. बाज़ार में जब गिरावट का दौर रहता है, तो आप SIP में नियमित निवेश करते हुए अपनी तय राशि में कम कीमतों पर ज़्यादा यूनिट खरीद सकते हैं. इससे समय के साथ प्रति यूनिट औसत लागत कम हो जाती है. जब बाज़ार ऊपर चढ़ने लगता है, तो कम कीमतों पर खरीदी गई ये अतिरिक्त यूनिट आपके रिटर्न को काफी हद तक बढ़ा सकती हैं. मंदी के दौरान SIP में निवेश बंद कर देना सही रणनीति नहीं है. इससे आप कम कीमतों में अधिक यूनिट खरीदने का मौका खो देते हैं. यह लंबे समय के लिए अपने आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने और ज़्यादा पैसे जमा करने के उद्देश्य में रुकावट बन सकती है.
2. लंबे समय के लिए तय आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिएSIP के ज़रिए निवेश कर आप अपने आर्थिक लक्ष्यों के साथ निवेश की रणनीति को मिलाकर चल सकते हैं. जैसे कि घर खरीदना, उच्च शिक्षा के लिए पैसे जमा करना या रिटायरमेंट के लिए पैसे बचाना वगैरह. बाज़ार की अस्थिरता आम तौर पर थोड़े समय के लिए होती है, जबकि आपके आर्थिक लक्ष्य लंबे समय के लिए होते हैं. बाज़ार में गिरावट के दौरान SIP निवेश रोकने पर आप अपने लंबे समय के लिए तय लक्ष्यों को पूरा करने में रुकावट डालते हैं. साथ ही, अपने तय आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने से भी पीछे छूट सकते हैं.
3. बाज़ार की अस्थिरता का अनुमान लगाने के जोखिम से बचने का तरीकाबाज़ार के उतार-चढ़ाव का सटीक आकलन करने की कोशिश करना, मंदी आने पर SIP रोक देना और फिर बाज़ार के संतुलित होने पर उसे फिर से शुरू करना निवेश की दुनिया में खतरों से खेलने जैसा है. अनुभवी निवेशकों को भी बाज़़ार के उतार-चढ़ाव का सही अनुमान लगाने में मुश्किल होती है. SIP के ज़रिए नियमित निवेश करने पर आपको बाज़ार की अस्थिरता को लेकर बहुत सतर्क रहने की ज़रूर नहीं होती है. आप लंबे समय में चक्रवृद्धि ब्याज की दर का लाभ ले सकते हैं. ऐतिहासिक डेटा भी इसकी पुष्टि करते हैं कि बाज़ार समय के साथ ठीक होते हैं और गिरावट का दौर पीछे छोड़ आगे बढ़ते हैं. इससे धैर्य के साथ निवेश करने वाले निवेशकों को फ़ायदा होता है.
4. भावनात्मक परीक्षा का समयबाज़ार में होने वाले उतार-चढ़ाव एक तरीके से बतौर निवेशक आपकी भावनात्मक मज़बूती की भी परीक्षा होती है. अपने पोर्टफ़ोलियो में गिरावट देखकर आपको निराशा हो सकती है और शायद घबराहट के भाव भी आएं. हो सकता है कि ऐसी मानसिक स्थिति में आप SIPs में निवेश करना बंद कर दें. हालांकि, अपने SIP निवेश को जारी रखना आपको भावनात्मक तौर पर भी अनुशासित रखता है. निवेश की दुनिया में सफलता के लिए मानसिक मज़बूती बहुत ज़रूरी है.
5. बाज़ार के सुधरने पर बेहतर रिटर्न पाने का मौकाबाज़ार में परिवर्तन होते रहते है और गिरने के बाद सुधार आना भी लाज़िमी है. अस्थिरता के दौर में भी जो निवेशक SIP में निवेश जारी रखते हैं, उनके पास बाज़ार के ऊपर चढ़ने के दौरान लाभ कमाने का मौका होता है. ऐतिहासिक रूप से देखा गया है कि बाज़ार में सुधार के समय ही कुछ बेहतरीन निवेश के मौके बनते हैं, क्योंकि ऐसे समय में निवेश की कीमत आकर्षक हो जाती है. मंदी के दौरान भी अपनी SIP को जारी रखकर आप बाज़ार में सुधार के दौर में ज़्यादा से ज़्यादा रिटर्न कमा सकते हैं.
बाज़ार के उतार-चढ़ाव के दौरान SIPs निवेश के लिए कुछ आसान सुझाव
– अपने लक्ष्यों पर ध्यान रखें: हमेशा खुद को यह याद दिलाते रहें कि SIP शुरू करने के पीछे आपका उद्देश्य क्या था. यह आपके बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे जमा करना हो सकता है, रिटायरमेंट के बाद की ज़िंदगी आराम से बिताने के लिए हो सकता है. अपने लक्ष्यों पर ध्यान रखने से नियमित निवेश के लिए प्रोत्साहित रहेंगे.
– निवेश में विविधता रखें: जोखिम और रिटर्न को संतुलित करने के लिए किसी एक फंड के बज़ाय इक्विटी, डेट और हाइब्रिड फंड जैसे अलग-अलग विकल्पों में SIP निवेश करें.
– अपने पोर्टफ़ोलियो पर नज़र बनाए रखें: SIPs में आपका निवेश तय आर्थिक लक्ष्यों के साथ जोखिम उठाने की क्षमता के साथ चल रहे हैं या नहीं, इसकी निगरानी के लिए किसी वित्तीय सलाहकार के साथ काम करें.
– ऑटोमैटिक निवेश तरीकों को अपनाएं: नियमित SIP निवेश के लिए हर महीने की किसी एक निश्चित तारीख पर ऑटो-डेबिट सेट कर लें. इससे बाज़ार की अस्थिरता के दौर में भी निवेश रोकने के विचार हावी नहीं होंगे.
निष्कर्ष
बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से प्रभावित होकर अपने SIP निवेश को नहीं रोकना चाहिए. यह अस्थिरता आपके लिए अपनी निवेश रणनीति को मजबूत करने का एक अवसर है. निवेश रकम को औसत करते रहने, अपने लक्ष्य पर नज़र बनाए रखकर और बाज़ार के उतार-चढ़ाव का अनुमान लगाने की चुनौती से बचकर, आप बाज़ार की अस्थिरता को भी अपने फ़ायदे में बदल सकते हैं. Mutual Funds Sahi Hai के सुझावें के साथ और Nivesh ka Sahi Kadam, के दृष्टिकोण के ज़रिए आप पूरे आत्मविश्वास के साथ निवेश की दुनिया में अपने कदम बढ़ा सकते हैं.
अधिक जानकारी के लिए :
डिसक्लेमर: म्युचुअल फंड निवेश बाज़ार जोखिम के अधीन है. निवेश का फ़ैसला लेने से पहले स्कीम से जुड़े सभी दस्तावेज़ ध्यान से पढ़ें. अतीत का प्रदर्शन भविष्य में भी वैसे ही नतीजों की गारंटी नहीं है.
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