Jyeshtha Amavasya 2025 Upay: धार्मिक दृष्टिकोण से ज्येष्ठ अमावस्या के दिन का बड़ा महत्व होता है. वैसे तो हर महीने अमावस्या तिथि पड़ती है, लेकिन ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि इसलिए भी खास होती है, क्योंकि इसमें वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) और शनि जयंती (Shani Jayanti) जैसे त्योहार मनाए जाते हैं.
ज्येष्ठ अमावस्या कब है? (Jyeshtha Amavasya 2025 Kab Hai)
इस साल ज्येष्ठ अमावस्या की दो तिथि बताई जा रही है, जोकि 26 मई और 27 मई है. पंचांग के मुताबिक अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से हो रही है और 27 मई रात 08 बजकर 31 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में उदायतिथि को देखते हुए 27 मई को ज्येष्ठ अमावस्या मान्य होगी.
ज्येष्ठ अमावस्या का धार्मिक महत्व क्या है?
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन स्नान, दान, व्रत, पितरों का तर्पण आदि जैसे काम किए जाते हैं. लेकिन यह तिथि पापों से मुक्ति भी दिलाती है. वो भी एक नहीं बल्कि 10 तरह के पापों से. इस वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या मंगलवार के दिन पड़ रही है, जिसे भौमवती अमावस्या भी कहा जाएगा.
साथ ही ज्येष्ठ अमावस्या को बड़ अमावस्या भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन वट या बरगद वृक्ष की पूजा होती है. पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी इस अमावस्या कई कार्य किए जाते हैं. खासकर इस अमावस्या पर गंगा स्नान करने और दान पुण्य करने से 10 तरह के पापों से मुक्ति मिलती है.
10 तरह के पाप कौन से होते हैं
शास्त्रों में 10 तरह के पापों के बारे में बताया गया है जोकि कायिक, वाचिक और मानसिक होते हैं. कायिक पाप को शारीरिक पाप कहा जाता है जैसे किसी वस्तु की चोरी करना, हिंसा करना और परस्त्री का गमन करना. वाणी द्वारा किए पापों को वाचिक पाप कहते हैं. इसमें झूठ बोलने, अनुचित बोलने, चुगली करने और दूसरों की निंदा करने जैसे पाप शामिल होते हैं. वहीं मानसिक पाप वह होता है जोकि मन से किए जाते हैं. जैसे मन ही मन किसी का अहित सोचना, किसी झूठ में शामिल होना या किसी भी धन संपत्ति हड़पने का विचार मन में लाना.
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में हरिद्वार हर की पौड़ी में स्नान करने, मां गंगा के मंत्रों का जाप करने और दान-पुण्य करने से ये सारे पापों का नाश होता है.
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