मंडी में चल रहा किसानों के साथ खेल, एमएसपी से कम पर अनाज खरीद रहे बिचौलिए

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नई दिल्‍ली. सरकार किसानों को मंडी के बिचौलियों के चंगुल से बचाने के लिए लगातार अनाज की कीमतें बढ़ा रही है और खुद भी सरकारी खरीद के जरिये उनकी कमाई बढ़ा रही है. लेकिन, आज भी बिचौलियों ने किसानों के साथ धोखाधड़ी का खेल जारी रखा है. यह खुलासा किसी और ने नहीं, बल्कि खुद रिजर्व बैंक ने किया है. आरबीआई ने हाल में जारी अपने बुलेटिन में कहा है कि गेहूं को छोड़कर किसानों को अन्‍य सभी प्रमुख फसलों की सही कीमत नहीं मिल रही है और मंडी में उन्‍हें एमएसपी से भी कम कीमत दी जा रही है.

रिजर्व बैंक बुलेटिन के अनुसार, देशभर के तमाम मंडियों में गेहूं को छोड़कर प्रमुख खाद्य फसलों की औसत कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम चल रही हैं, क्योंकि खरीफ और रबी फसलों की बंपर पैदावार हुई है. इसके अलावा मई के लिए अनाज की कीमतों के आंकड़े देखने से पता चलता है कि 19 मई तक अनाज और दालों की कीमतों में व्यापक आधार पर कमी दिखाई है.

23 अनाजों पर लाभ देती है सरकारकिसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करती है. 14 फसलें खरीफ की होती हैं, जबकि सात फसलें रबी की और दो वाणिज्यिक फसलें शामिल हैं. हालांकि, सरकार कुछ वस्तुओं, विशेष रूप से गेहूं और चावल को खाद्य सुरक्षा के लिए केंद्रीय पूल के तहत खरीदती है.

खाने का तेल भी हुआ महंगाआरबीआई के मई बुलेटिन में प्रकाशित अर्थव्यवस्था की स्थिति पर जारी एक लेख में कहा गया है कि खाद्य तेल की कीमतें भी बढ़ रही हैं. इसकी प्रमुख वजह सोयाबीन, सूरजमुखी और सरसों के तेल के दाम बढ़ना है, जो देश में सबसे ज्‍यादा इस्‍तेमाल की जाने वाली तिलहन फसलें हैं. हालांकि, दूसरी ओर पाम और मूंगफली के तेल की कीमतें कम हुईं हैं, लेकिन इसका ज्‍यादा असर कीमतों पर नहीं दिख रहा है.

सब्यिजों की कीमतों में भी बदलावबुलेटिन के अनुसार, मुख्‍य सब्जियों की फसलों की कीमतों में भी बदलाव हुआ है. बुलेटिन की मानें तो प्याज की कीमतों में और सुधार हुआ, जबकि आलू और टमाटर की कीमतों में वृद्धि देखी गई है. इसका मतलब है कि आलू और टमाटर जैसी फसलों की कीमतें बढ़ने से आम आदमी का खाना-पीना भी महंगा हो गया है. हालांकि, प्‍याज ने महंगाई को थामने में मदद की है.

ज्‍यादा उत्‍पादन अर्थव्‍यवस्‍था के लिए अच्‍छाआरबीआई बुलेटिन के अनुसार, प्रमुख खरीफ और रबी फसलों की बंपर पैदावार के साथ-साथ खाद्य मुद्रास्फीति से निपटने के लिए नीति उपायों की श्रृंखला के बाद प्रमुख खाद्य फसलों (गेहूं को छोड़कर) की औसत मंडी कीमतें कम हो गई हैं. इससे कीमतें उनकी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे चल रही हैं, जो देश की खाद्य सुरक्षा के लिए अच्छा संकेत है. मंडी कीमतों के लिए आंकड़ा 1 अप्रैल से 19 मई, 2025 की अवधि में जुटाए गए हैं.

कितना है अभी एमएसपीराजस्थान और मध्य प्रदेश ने गेहूं के लिए MSP पर क्रमशः 150 रुपये/क्विंटल और 175 रुपये/क्विंटल का बोनस घोषित किया है. 16 मई, 2025 तक, धान की बुवाई (जो कुल ग्रीष्मकालीन क्षेत्र का लगभग 43 फीसदी है) 107.6 फीसदी पूर्ण मौसम के सामान्य क्षेत्र में थी, जबकि हरी मूंग (जो कुल मौसम के क्षेत्र का लगभग 27 फीसदी है) 108 फीसदी बुवाई पूरी कर चुकी थी. कुल ग्रीष्मकालीन क्षेत्र 80.7 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले वर्ष के इसी सप्ताह के क्षेत्र से 11.9 फीसदी अधिक है.

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