नई दिल्ली. केंद्र सरकार के 1 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए एक बड़ा बदलाव तय है. 16 जनवरी 2025 को केंद्रीय कैबिनेट ने 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को मंजूरी दे दी है, जिसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होंगी. इस फैसले के बाद सबसे ज्यादा चर्चा जिस बात पर हो रही है, वो है ‘फिटमेंट फैक्टर’—यानी वह गुणांक जिसके ज़रिए मौजूदा बेसिक पे (Basic Pay) को बढ़ाकर नया वेतन और पेंशन तय किया जाएगा.
7वें वेतन आयोग ने 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया था. इसकी वजह से न्यूनतम सैलरी ₹7,000 से बढ़कर ₹18,000 और न्यूनतम पेंशन ₹3,500 से बढ़कर ₹9,000 हुई थी. अब 8वें वेतन आयोग में यह फिटमेंट फैक्टर कितना होगा, इसे लेकर कर्मचारी संगठनों और सरकार के बीच खींचतान शुरू हो गई है.
क्या होता है फिटमेंट फैक्टर?
फिटमेंट फैक्टर वह गुणांक है जिसे मौजूदा बेसिक सैलरी या पेंशन से गुणा करके नया वेतन निकाला जाता है. इसका उद्देश्य महंगाई, जीवन-यापन की लागत और आर्थिक हालातों को ध्यान में रखते हुए वेतन में संतुलन लाना होता है.
7वें वेतन आयोग में: फिटमेंट फैक्टर 2.57 था
न्यूनतम वेतन: ₹7,000 → ₹18,000
न्यूनतम पेंशन: ₹3,500 → ₹9,000
8वें वेतन आयोग के लिए अनुमान: फिटमेंट फैक्टर 1.92 से 2.86 के बीच हो सकता है
न्यूनतम वेतन: ₹34,560 (1.92) से ₹51,480 (2.86) तक
न्यूनतम पेंशन: ₹17,280 से ₹25,740 तक
कर्मचारी संगठनों की प्रमुख मांगें
राष्ट्रीय संयुक्त सलाहकार तंत्र (NC-JCM) और कर्मचारी यूनियनें निम्नलिखित मांगें उठा रही हैं
फिटमेंट फैक्टर 2.86 किया जाए, जिससे सैलरी में 40-50% तक बढ़ोतरी हो
न्यूनतम वेतन ₹26,000 से अधिक हो, जो 1957 की लेबर कॉन्फ्रेंस की सिफारिशों पर आधारित हो
DA, HRA, TA जैसी भत्तों को महंगाई के अनुसार बढ़ाया जाए
MACP स्कीम को संशोधित किया जाए, जिससे करियर ग्रोथ का मौका बढ़े
पेंशन ग्रेच्युटी की सीमा ₹20 लाख से बढ़ाकर ₹25-30 लाख की जाए
यूनिफाइड पेंशन स्कीम लागू हो, जिससे सेवानिवृत्ति के बाद 50% औसत वेतन की गारंटी मिले
प्रोडक्टिविटी से जुड़ी बोनस व्यवस्था लागू हो
सरकार क्या कर सकती है?
सरकार के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं—कर्मचारी संतुष्टि और राजकोषीय अनुशासन. पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग के अनुसार, 1.92 का फिटमेंट फैक्टर ज्यादा व्यावहारिक रहेगा क्योंकि इससे सरकारी खर्च पर नियंत्रण रहेगा. वहीं दूसरी ओर, कर्मचारी संगठनों की 2.86 की मांग महंगाई और खर्च बढ़ने को देखते हुए वाजिब मानी जा रही है.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव कह चुके हैं कि 8वां वेतन आयोग “विकसित भारत” के लक्ष्य के अनुरूप जीवन स्तर सुधारने का माध्यम बनेगा, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई अंतिम फैसला घोषित नहीं हुआ है.
संभावित वेतन वृद्धि: कुछ उदाहरण
लेवलमौजूदा बेसिक पे2.86 पर संभावित नया पेबढ़ोतरीलेवल 1₹18,000₹51,480₹33,480लेवल 2₹19,900₹56,914₹37,014लेवल 5₹29,200₹83,512₹54,312लेवल 10₹56,100₹1,60,446₹1,04,346न्यूनतम पेंशन₹9,000₹25,740₹16,740
8वां वेतन आयोग सिर्फ एक वेतन संशोधन नहीं है, यह करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनधारकों की जीवनशैली, क्रयशक्ति और भविष्य को सीधे प्रभावित करेगा. यदि सरकार कर्मचारी संगठनों की मांगों को स्वीकारती है, तो वेतन और पेंशन में ऐतिहासिक बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन इसके लिए केंद्र को अपने बजटीय लक्ष्य भी साधने होंगे. जून 2025 में NC-JCM की अंतिम सिफारिशें सामने आएंगी, जिसके बाद तस्वीर और साफ होगी.
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