हार्ट पेशेंट अपनी सेहत को लेकर खिलवाड़ कर रहे हैं, जिसका खुलासा कई स्टडी में हुआ. हार्ट फेल्योर के पांच में से केवल तीन मरीज ही साल में कम से कम एक बार कार्डियोलॉजिस्ट से कंसल्ट करते हैं. इस लापरवाही से वे अपनी लाइफ खतरे में डालते हैं. यूरोपियन हार्ट जर्नल में पब्लिश एक स्टडी के अनुसार, जो मरीज साल में एक बार कार्डियोलॉजिस्ट से मिलते हैं, अगले साल उनकी मौत की आशंका करीब 24 पर्सेंट कम हो जाती है.
क्या कहती है रिसर्च?
रिसर्च में सामने आया कि अगर कार्डियोलॉजिस्ट साल में कम से कम एक बार हार्ट फेल्योर के मरीज को देखते हैं तो हर 11 से 16 मरीजों में से एक की जान बचाई जा सकती है. साथ ही, इससे यह भी पता चलता है कि किन मरीजों को साल में एक बार या फिर उससे अधिक बार डॉक्टर से कंसल्ट करने की जरूरत होती है.
कैसे कंट्रोल कर सकते हैं हार्ट फेल्योर?
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, हार्ट फेल्योर पेशेंट का दिल ब्लड सर्कुलेशन और प्रेशर को नॉर्मल नहीं कर पाता है. हार्ट फेल्योर को आमतौर पर ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन सही ट्रीटमेंट से इसके लक्षणों को कई साल तक कंट्रोल कर सकते हैं.
किन मरीजों पर की गई स्टडी?
हेल्थ एक्सपर्ट्स ने जनवरी, 2020 में हार्ट फेल्योर की प्रॉब्लम से जूझ रहे फ्रांसीसी मरीजों को अपनी स्टडी में शामिल किया. इसमें पिछले पांच साल से हार्ट फेल्योर की प्रॉब्लम को झेल रहे पेशेंट शामिल थे. इस स्टडी में 655919 मरीजों को शामिल किया गया था.
दो ग्रुप में बांटे गए मरीज
रिसर्चर्स ने अपनी स्टडी के दौरान मरीजों को दो ग्रुप में बांटा. इसमें देखा गया कि क्या ये मरीज पिछले साल या पांच साल के दौरान हार्ट फेल्योर की वजह से अस्पताल में भर्ती हुए और क्या इलाज के दौरान वे डाइयुरेटिक मेडिसिन यानी पेशाब बढ़ाने वाली दवाएं ले रहे थे या नहीं? दरअसल, डाइयुरेटिक मेडिसिन शरीर में से पेशाब के रास्ते अतिरिक्त सोडियम को बाहर निकालने में मदद करती हैं, जिससे शरीर में फ्लूड बनना कम हो जाता है.
स्टडी में सामने आईं ये बातें
पेशेंट के सभी ग्रुप पर स्टडी के बाद रिसर्चर्स ने देखा कि हर पांच में से लगभग दो मरीज एक साल के दौरान कार्डियोलॉजिस्ट से नहीं मिले. जिन मरीजों ने कार्डियोलॉजिस्ट से जांच कराई, उनकी मौत की आशंका कम पाई गई. वहीं, ऐसे मरीज हार्ट फेल्योर की वजह से अस्पताल में भी कम एडमिट हुए. इसके अलावा जो मरीज पिछले साल अस्पताल में भर्ती हुए, उनके लिए कार्डियोलॉजिस्ट से चार अपॉइंटमेंट लेना ज्यादा बेहतर था. स्टडी के मुताबिक, इससे खतरा 34.3 पर्सेंट से घटकर 18.2 पर्सेंट रह गया.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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