अमेरिका में रिजेक्ट हुए आम तो खड़े हुए FSSAI के कान, फल वालों पर गिरेगी गाज?

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नई दिल्ली. अब से बाजार में बिकने वाले फलों को अगर केमिकल से पकाया गया पाया गया तो जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई होगी. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कहा है कि वे फलों को पकाने में गैरकानूनी केमिकल्स और नकली कोटिंग्स के इस्तेमाल पर सख्त नजर रखें और खास जांच अभियान चलाएं. FSSAI ने खास तौर पर कैल्शियम कार्बाइड (जिसे आम भाषा में मसाला भी कहते हैं) के इस्तेमाल पर सख्त रोक की बात दोहराई है. आपको बता दें कि हाल ही में यूएस ने भारत से गए आम के 15 कंटेनर्स को ठुकरा दिया था. इसकी वजह भी आम की सेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए किए गए ट्रीटमेंट के इस्तेमाल में गड़बड़ी को बताया जा रहा है.

ये केमिकल सेब, आम, केले जैसे फलों को जल्दी पकाने के लिए कई बार इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इससे सेहत को बड़ा खतरा होता है. ये मुंह के छाले, पेट में जलन और यहां तक कि कैंसर तक की वजह बन सकता है. FSSAI ने राज्यों को कहा है कि वे मंडियों, बाजारों, गोदामों और स्टोरेज की कड़ी जांच करें. खासकर वहां जहां इस तरह के केमिकल्स के इस्तेमाल की आशंका हो. अगर किसी जगह कैल्शियम कार्बाइड पाया जाता है तो उसे सबूत मानकर संबंधित फल व्यापारी पर केस दर्ज किया जा सकता है.

साथ ही कुछ जगहों पर फल बेचने वाले एथिफॉन नाम की केमिकल से केले और दूसरे फलों को सीधे डुबाकर पकाने की कोशिश कर रहे हैं जो नियमों के खिलाफ है. FSSAI ने साफ किया है कि एथिफॉन को केवल एथिलीन गैस बनाने के लिए ही उपयोग किया जा सकता है वो भी तय प्रक्रिया के तहत. इसलिए सभी फल व्यवसायियों को चेतावनी दी गई है कि वे केवल नियमों के अनुसार ही फलों को पकाएं नहीं तो उनके खिलाफ FSS Act 2006 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी. FSSAI ने उपभोक्ताओं और व्यापारियों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और सुनिश्चित करें कि बाजार में केवल सुरक्षित और सही तरीके से पके फल ही बिकें.

फलों को जल्दी पकाने (ripen करने) के लिए आमतौर पर कुछ रसायनों (chemicals) का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें सबसे आम हैं:

1. कैल्शियम कार्बाइड (Calcium Carbide)

यह एक गैरकानूनी और हानिकारक रसायन है जिसका उपयोग खासकर आम, केला और पपीता जैसे फलों को पकाने के लिए किया जाता है. यह हवा में नमी के संपर्क में आकर एसीटिलीन गैस (acetylene gas) छोड़ता है, जो फलों को कृत्रिम रूप से पकाता है.

यह गैस हमारे शरीर के लिए हानिकारक है और इससे निम्न स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं:

सिरदर्द, चक्कर आना

उल्टी, जी मिचलाना

नर्वस सिस्टम पर असर

दीर्घकालिक उपयोग से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा

2. एथीलीन गैस (Ethylene Gas)

यह एक प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाला हार्मोन है जो फलों के पकने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है. आजकल वाणिज्यिक स्तर पर एथीलीन जनरेटर या गैस सिलेंडर से नियंत्रित मात्रा में इसे इस्तेमाल किया जाता है. अगर इसका इस्तेमाल मानक सीमा (10 से 100 पार्ट्स पर मिलियन – ppm) में किया जाए, तो यह सुरक्षित और स्वीकृत है.

3. एथ्रेल या ईटीएचईपीएचओएन (Ethephon / Ethrel)

यह रसायन पौधों में जाकर एथीलीन गैस छोड़ता है और फलों को पकने में मदद करता है. अगर इसका कम मात्रा में उपयोग हो और इसे अच्छी तरह धोकर फल बेचा जाए, तो यह अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता है. इसका प्रयोग कृषि वैज्ञानिकों द्वारा निर्देशित मात्रा में ही किया जाना चाहिए.

सुझाव

हमेशा ऐसे फल खरीदें जो प्राकृतिक ढंग से पके हों या सरकारी प्रमाणित कोल्ड स्टोरेज से आए हों. फल को खाने से पहले अच्छे से धोएं और कुछ देर पानी में भिगोकर रखें. शक हो तो कटे हुए फल की बनावट, स्वाद और गंध पर ध्यान दें. कृत्रिम रूप से पके फल अक्सर अंदर से कच्चे और बाहर से रंगीन दिखते हैं.

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