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वाईफाई 6 स्पेक्ट्रम
सरकार ने टेक कंपनियों की लंबे समय से 6GHz स्पेक्ट्रम को लेकर चल रही मांग मान ली है। केंद्र सरकार ने 6 GHz बैंड से डिलाइसेंसिंग से जुड़े नियम को ड्राफ्ट करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। इस डिलाइसेंसिंग नियम के लागू होने के बाद भारत में WiFi 6 ब्रॉडबैंड की एंट्री हो जाएगी और लोगों को घरों और दफ्तरों में सुपरफास्ड कनेक्टिविटी मिल सकेगी। WiFi 6 के लिए 6GHz बैंड की जरूरत होती है, जिसके लिए इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स और टेक कंपनियां सरकार से लंबे समय से गुहार लगा रही थी।
6GHz का नियम तैयार
सरकार ने 16 मई, 2025 की राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, दूरसंचार अधिनियम, 2023 (2023 का 44) की धारा 56 की उपधारा (2) के खंड (बी) और (एच) के साथ पठित धारा 3(3) और 4(6) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के आधार पर ड्राफ्ट तैयार किया है। नोटिफिकेशन के मुताबिक, कम पावर और बेहद कम पावर वाले वायरलेस एक्सेस सिस्टम,जिसमें 6GHz बैंड का रेडियो लोकल नेटवर्क भी शामिल है उन्हें लाइसेंस के दायरे से बाहर रखा गया है।
यह डिलाइसेंसिंग नियम 5925 से लेकर 6425 MHz बैंड पर लागू होगा। दूरसंचार विभाग ने इस ड्राफ्ट पर सभी स्टेकहोल्डर्स से 15 जून तक कमेंट करने के लिए कहा है। इसके बाद इसके लिए फ्रेमवर्क को पूरा किया जाएगा।
सरकार ने कहा कि तकनीकी मापदंडों का अनुपालन करते हुए, गैर-हस्तक्षेप, गैर-सुरक्षा और साझा आधार पर 5925-6425 MHz में लो पावर वाले इनडोर और बहुत कम पावर वाले आउटडोर वायरलेस एक्सेस के लिए किसी भी वायरलेस उपकरण को स्थापित करने, बनाए रखने, काम करने, रखने या सौदा करने के लिए फ्रिक्वेंसी असाइन करने के लिए किसी प्राधिकरण की आवश्यकता नहीं होगी।
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DoT द्वारा ड्राफ्ट किए गए नियम में कहा गया है कि लो पावर वाले 6GHz बैंड के सभी प्रकार के उपयोग को तेल प्लेटफार्मों, लैंड वीकल्स, नावों और एयरक्राफ्ट पर प्रतिबंधित किया गया है (सिवाय 10,000 फीट से ऊपर उड़ान भरने के), और ड्रोन और मानव रहित हवाई प्रणालियों के साथ संचार और नियंत्रण भी प्रतिबंधित है। सरकार का यह फैसला भारत के डिजिटल भविष्य के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकता है। कई टेक कंपनियों और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स ने सरकार के इस फैसले की सराहना की है।
BIF ने लगाई थी गुहार
बता दें इंडस्ट्री बॉडी ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (BIF) ने पिछले दिनों 11 अप्रैल को टेलीकॉम मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया को इससे संबंधित पत्र भी लिखा है। अपने पत्र में BIF ने कहा कि नई टेक्नोलॉजी वाले गैजेट्स जैसे कि Meta Ray Ban स्मार्ट ग्लास, Sony PS5, AR/VR हेडसेट में बेहतर डिजिटल एक्सपीरियंस के लिए यह स्पेक्ट्रम बैंड बेहद जरूरी है।
इस लेटेस्ट वाई-फाई बैंड की लाइसेंस प्रक्रिया में हो रही देरी की वजह से कंपनियों को हर साल करीब 12.7 लाख करोड़ का नुकसान हो रहा है। BIF में मेटा, गूगल, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, सिसको समेत साथ-साथ सैटेलाइट कंपनियों OneWeb, Tata Nalco, Hughes शामिल हैं।
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क्या है 6GHz WiFi बैंड?
6GHz भी अन्य स्पेक्ट्रम बैंड एक रेडियो वेव है, जिसकी मदद से डिवाइस OTA यानी ओवर-द-एयर डेटा एक्सचेंज किया जा सकता है। इस समय भारत में Wi-Fi के लिए 2.4GHz और 5GHz बैंड का ही इस्तेमाल किया जाता है। भारत में बेचे जाने वाले Wi-Fi राउटर इन्हीं दोनों बैंड पर काम करते हैं। 2.4GHz हो या 5GHz हो या फिर 6GHz इन स्पेक्ट्रम बैंड के बीच का सबसे बड़े अंतर का पता इनमें दिए गए नंबर से चलता है।
6GHz बैंड में 2Gbps तक की स्पीड से इंटरनेट एक्सेस किया जा सकता है। वहीं मौजूदा 5GHz वाले बैंड में 1Gbps की स्पीड से इंटरनेट एक्सेस किया जा सकता है। यही नहीं, 6GHz वाले स्पेक्ट्रम बैंड का कवरेज एरिया काफी ज्यादा होता है। इसकी वजह से डिवाइस में कनेक्टिविटी बरकरार रहती है। खास तौर पर स्ट्रीमिंग और गेमिंग के दौरान यूजर्स को नेटवर्क डिसकनेक्शन का सामना नहीं करना पड़ता है।
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