नई दिल्ली. शेयर बाजार से जुड़े ब्रोकरों के लिए केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले आर्थिक मामलों विभाग (DEA) ने Securities Contracts (Regulation) Rules), 1957 के नियम 8 (Rule 8) में संशोधन किया है. इस बदलाव का मकसद ब्रोकरों के लिए नियमों को ज्यादा स्पष्ट और कारोबारी रूप से अनुकूल बनाना है.
SCRR का नियम 8 यह तय करता है कि कोई व्यक्ति कैसे किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज का सदस्य बन सकता है और किन परिस्थितियों में उसकी सदस्यता बनी रह सकती है. पुराने नियम के मुताबिक, कोई ब्रोकर किसी अन्य व्यापार में हिस्सेदारी नहीं ले सकता, जब तक कि वह बतौर एजेंट या ब्रोकर काम न कर रहा हो, और उस व्यापार में उसकी कोई निजी वित्तीय जिम्मेदारी (personal financial liability) न हो.
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मुख्य बातें
Rule 8 क्या है?यह नियम बताता है कि कोई व्यक्ति कब किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज का सदस्य बन सकता है. इसमें यह भी कहा गया है कि ब्रोकर किसी अन्य व्यवसाय में हिस्सेदारी नहीं ले सकते, जब तक कि वह एजेंट या ब्रोकर के रूप में हो और उस व्यवसाय से उनकी निजी वित्तीय ज़िम्मेदारी न जुड़ी हो.
समस्या क्या थी?“Any Business” यानी “कोई भी व्यवसाय” की परिभाषा स्पष्ट नहीं थी, जिससे यह तय करना मुश्किल हो रहा था कि ब्रोकर अपने खुद के फंड से कहां निवेश कर सकते हैं और कहां नहीं.
संशोधन में क्या बदला गया?अब साफ कर दिया गया है कि अगर ब्रोकर खुद के फंड से किसी कंपनी में निवेश करता है, और उसमें क्लाइंट के पैसे या उनकी ज़िम्मेदारी नहीं जुड़ी है, तो उसे ‘बिजनेस’ नहीं माना जाएगा. यानी, ऐसे निवेशों पर अब Rule 8 की रोक नहीं मानी जाएगी.
ब्रोकरों के लिए यह जरूरी होता जा रहा था कि वे अपने ग्रुप कंपनियों या सब्सिडियरी में निवेश कर सकें. पुराने नियम इसकी राह में बाधा थे. नए संशोधन से उनकी व्यावसायिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिलेगा.
पृष्ठभूमि क्या है?
DEA ने सितंबर 2024 में एक डिस्कशन पेपर जारी किया था जिसमें इस नियम की व्याख्या की जटिलताओं पर चर्चा की गई थी. उस पेपर में बताया गया था कि कई ब्रोकर अपने प्रोफिट से ग्रुप कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन नियमों की वजह से उनके सामने बाधाएं थीं.
इस संशोधन से पहले NSE और BSE ने भी जनवरी 2022 में एक सर्कुलर जारी कर ब्रोकरों को चेताया था कि वे क्लाइंट्स से लोन लेने, गारंटी देने या फिक्स्ड रिटर्न देने वाले डिपॉजिट प्लान न चलाएं, जो कि SCRR नियमों का उल्लंघन करते हैं.
विशेषज्ञों की राय
EY इंडिया के पार्टनर Keyur Shah ने इस संशोधन का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह बदलाव ब्रोकरों को अपने बैलेंस शीट से निवेश करने में और ज्यादा स्पष्टता देगा और ग्रुप स्तर पर उनके कारोबारी फैसलों को आसान बनाएगा.
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