अमेरिका की वजह से पूरी दुनिया में त्राहिमाम! कहीं का मार्केट नहीं सेफ, क्या हुआ ऐसा?

Must Read

नई दिल्ली. दुनियाभर के शेयर बाजारों में सोमवार को भारी गिरावट देखने को मिली क्योंकि अमेरिका की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग में कटौती ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है. एजेंसी ने यह कदम अमेरिका के बढ़ते कर्ज और उसे रोक पाने में सरकार की असफलता को देखते हुए उठाया है. इसके चलते वैश्विक निवेशकों में जोखिम से बचने की प्रवृत्ति तेज हुई है. अमेरिका में डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज का फ्यूचर 0.8 फीसदी गिरा, जबकि S&P 500 का फ्यूचर 1.2 फीसदी फिसला. वहीं डॉलर भी कमजोर पड़ा और जापानी येन के मुकाबले 144.92 पर आ गया, जो पहले 145.65 था. इसके साथ ही यूरो की कीमत बढ़कर 1.1254 डॉलर हो गई. वहीं भारतीय बाजार की बात करें तो सोमवार को सेंसेक्स 271.17 अंक (0.33%) टूटकर 82,059.42 पर बंद हुआ. वहीं, निफ्टी में भी 74.35 अंक (0.30%) की गिरावट दिखी और ये 24,945.45 पर बंद हुआ.

10-वर्षीय अमेरिकी ट्रेज़री बॉन्ड पर यील्ड बढ़कर 4.54% हो गई, जो शुक्रवार को 4.44% थी. यह दिखाता है कि निवेशक अब शेयरों की बजाय बॉन्ड्स में सुरक्षा खोज रहे हैं. यूरोप में जर्मनी का DAX 0.1%, फ्रांस का CAC 40 0.5% और ब्रिटेन का FTSE 100 भी 0.5% गिरा. एशियाई बाजारों में चीन की सुस्ती का असर दिखा, जहां सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में रिटेल सेल्स केवल 5.1% बढ़ी, जबकि मार्च में यह आंकड़ा बेहतर था. औद्योगिक उत्पादन की ग्रोथ भी मार्च के 7.7% से घटकर 6.1% रह गई.

चीन में मांग की कमी, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का साया

विश्लेषकों का मानना है कि चीन में उत्पादन मांग से तेज़ी से बढ़ रहा है, जिससे इन्वेंटरी जमा हो रही है. कैपिटल इकोनॉमिक्स के जूलियन इवांस-प्रिचर्ड ने कहा, “मार्च में थोड़ी रिकवरी के बाद अप्रैल में चीन की अर्थव्यवस्था फिर धीमी हुई है, जिसका कारण व्यापार युद्ध और उपभोक्ताओं की बढ़ती सतर्कता है.” हॉन्गकॉन्ग का हैंगसेंग 0.1% गिरा जबकि शंघाई कंपोजिट लगभग सपाट रहा. अलीबाबा के शेयर 3.4% टूटे, क्योंकि खबर आई कि अमेरिका Apple और Alibaba के बीच AI इंटीग्रेशन डील की जांच कर रहा है.

ट्रंप की व्यापार नीति से मिला शेयरों को सपोर्ट

पिछले हफ्ते अमेरिकी शेयर बाजारों में रैली दिखी थी, जहां S&P 500 अपने रिकॉर्ड हाई से महज 3% दूर पहुंच गया था. यह तेजी ट्रंप की व्यापार नीतियों में नरमी की उम्मीद पर आधारित थी. अमेरिका और चीन ने 90 दिन की टैरिफ ‘स्टैंड डाउन’ पर सहमति जताई थी, जिससे बाजारों को राहत मिली थी. हालांकि, University of Michigan के कंज़्यूमर सेंटिमेंट इंडेक्स के अनुसार, अमेरिकी उपभोक्ताओं का भरोसा अब भी कमजोर बना हुआ है.

तेल, तकनीक और टेलिकॉम: मिला-जुला असर

अमेरिकी क्रूड 47 सेंट गिरकर $61.50 पर आ गया, जबकि ब्रेंट क्रूड $64.91 पर पहुंचा. टोक्यो का निक्केई 0.7%, सियोल का कोस्पी 0.9% और ऑस्ट्रेलिया का ASX 200 भी 0.6% गिरा. ताइवान का बाजार सबसे ज़्यादा 1.5% टूटा. टेलिकॉम सेक्टर में हलचल रही क्योंकि Charter Communications ने Cox के साथ मर्जर की घोषणा की, जिससे उसके शेयर 1.8% चढ़ गए.

अमेरिका की रेटिंग में गिरावट और चीन की मांग में कमी ने एक बार फिर वैश्विक अर्थव्यवस्था को अस्थिरता की ओर धकेला है. अब सबकी निगाहें फेडरल रिजर्व पर हैं कि वह इस अनिश्चित माहौल में ब्याज दरों को लेकर क्या रुख अपनाता है. अगर महंगाई पर काबू पाया जाता है, तो आगे चलकर दरों में कटौती की उम्मीद भी बन सकती है.

stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news

English News

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest Article

- Advertisement -