लखनऊ. उत्तर प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार फॉर्च्यून 500 कंपनियों और फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) को आकर्षित करने के लिए सरकार स्पेशल इन्सेंटिव दे रही है. सरकारी की ओर से एक बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सरकार की वैश्विक क्षमता केंद्र (JCC) नीति 2024 उत्तर प्रदेश को ग्लोबल बिजनेस मैप पर एक नया मुकाम दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने जा रही है. क्या आप जानते हैं यूपी सरकार जिन फॉर्च्यून कंपनियों को निवेश के लिए आमंत्रित कर रही हैं, वे क्या होती हैं. आइये आपको बताते हैं…
क्या होती हैं फॉर्च्यून कंपनियां
“फॉर्च्यून कंपनियां” शब्द का उपयोग सामान्यतः “Fortune 500” या “Fortune Global 500” सूचियों में शामिल कंपनियों के लिए होता है. फॉर्च्यून कंपनियों की लिस्ट हर साल अमेरिकी बिज़नेस मैगज़ीन Fortune द्वारा जारी की जाती है. जहां, Fortune 500, 500 सबसे बड़ी कंपनियों की सूची है. वहीं, Fortune Global 500, यह पूरी दुनिया की 500 सबसे बड़ी कंपनियों की सूची है, जो कुल राजस्व के आधार पर तय होती है.
फॉर्च्यून ग्लोबल 500 कंपनियों का कुल रेवेन्यू 3400 लाख करोड़ रहा है, इनमें वॉलमार्ट सबसे ऊपर है. इसके अलावा, सऊदी अरमको समेत कई अन्य मल्टीनेशनल कंपनियां भी शामिल हैं.
पैदा होंगी हायर सैलरी वाली जॉब्स
वैश्विक क्षमता केंद्र (JCC) नीति के तहत सरकार नोएडा, लखनऊ, कानपुर और वाराणसी जैसे शहरों को प्रौद्योगिकी और डिजिटल सेवा केंद्र के रूप में स्थापित करेगी, जिससे अगले पांच वर्षों में दो लाख से अधिक हायर सैलरी वाली नौकरियां पैदा होंगी.
बयान के अनुसार, इस नीति के तहत फॉर्च्यून 500 कंपनियों और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करने के लिए विशेष प्रोत्साहन प्रदान किए जाएंगे. विशेषज्ञों का मानना है कि जीसीसी नीति न केवल आर्थिक वृद्धि को गति देगी, बल्कि युवाओं को उच्च-कुशल रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगी. योगी सरकार की इस नीति के माध्यम से उत्तर प्रदेश को एक लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प को भी मजबूती मिलेगी.
बयान के अनुसार, नीति में लेवल-1 और एडवांस्ड जीसीसी के लिए स्पष्ट मानदंड निर्धारित किए गए हैं. लेवल-1 के लिए गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद के बाहर 15 करोड़ रुपये या 500 कर्मचारियों, और इन जिलों में 20 करोड़ रुपये का निवेश जरूरी है. एडवांस्ड जीसीसी के लिए 50 करोड़ रुपये (गौतमबुद्ध नगर/गाजियाबाद के बाहर) या 75 करोड़ रुपये (इन जिलों में) और 1000 कर्मचारियों की पात्रता है। यह छोटे और बड़े निवेशकों को समान अवसर प्रदान करता है.
उप्र सरकार ने निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए विशेष इन्सेंटिव पेश किए हैं. भूमि पर 30-50 प्रतिशत सब्सिडी, 100 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी छूट, 25 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी (लेवल-1 के लिए 10 करोड़, एडवांस्ड के लिए 25 करोड़ रुपये), एसजीएसटी प्रतिपूर्ति, पांच प्रतिशत ब्याज सब्सिडी, 20 प्रतिशत परिचालन सब्सिडी (लेवल-1 के लिए 40 करोड़, एडवांस्ड के लिए 80 करोड़ रुपये) और पेरोल सब्सिडी (प्रति कर्मचारी 1.8 लाख रुपये तक) जैसे प्रावधान लागत कम करेंगे और निवेश को बढ़ावा देंगे.
नीति में स्टार्टअप आइडिएशन के लिए 50 प्रतिशत लागत प्रतिपूर्ति (दो करोड़ रुपये तक), पेटेंट के लिए 5-10 लाख रुपये की आईपीआर सब्सिडी और उत्कृष्टता केंद्रों के लिए 10 करोड़ रुपये तक का अनुदान शामिल है। यह उप्र को तकनीकी नवाचार का केंद्र बनाएगा.
(भाषा से इनपुट के साथ)
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