नई दिल्ली. टाटा स्टील ने एक ऐसा ऐलान कर दिया है जिसने कंपनी के अंदर छंटनी की खबरों को हवा दे दी है. कंपनी ने कहा है कि वह अपनी वैश्विक रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए अब अगले 12-18 महीनों में दुनियाभर में 11,500 करोड़ रुपए (करीब 1.3 अरब डॉलर) की लागत कटौती (Cost Takeout) की तैयारी में है. कंपनी के कार्यकारी निदेशक और CFO कौशिक चटर्जी ने एनालिस्ट कॉल में बताया कि ये लागत कटौती पूरी तरह से ‘कंट्रोल करने योग्य खर्चों’ पर ध्यान देकर की जाएगी.
उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में कंपनी ने पहले ही 6,600 करोड़ रुपए की संरचनात्मक लागत में कटौती की है. इसमें फिक्स्ड कॉस्ट, मैन्युफैक्चरिंग एफिशिएंसी, रॉ मटेरियल और कोल ब्लेंड ऑप्टिमाइजेशन शामिल हैं.
भारत में 4,000 करोड़ की बचत का लक्ष्य
भारत में कंपनी का फोकस ऑपरेशनल KPI, सप्लाई चेन ऑप्टिमाइजेशन, कर्मचारी उत्पादकता और लो-पे बैक प्रोजेक्ट्स में निवेश पर है. इस वजह से यहां अकेले 4,000 करोड़ रुपए की बचत का लक्ष्य है. कंपनी का इरादा प्रति टन कन्वर्जन कॉस्ट में 1,000-1,200 रुपए की कमी लाने का है.
ब्रिटेन में 29% फिक्स्ड कॉस्ट घटे
ब्रिटेन में टाटा स्टील पोर्ट टैलबोट प्लांट में ग्रीन स्टील ट्रांजिशन की ओर बढ़ रही है. कंपनी का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 में फिक्स्ड कॉस्ट 995 मिलियन पाउंड से घटाकर 762 मिलियन पाउंड किया गया और अगला टारगेट 540 मिलियन पाउंड तक लाना है. इसके लिए आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड, सब्सट्रेट कॉस्ट कंट्रोल और डाउन्स्ट्रीम ऑपरेशंस में बदलाव पर काम हो रहा है.
ब्रिटिश सरकार से कंपनी को 500 मिलियन पाउंड की मदद भी मिली है जिससे स्क्रैप-बेस्ड इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस (EAF) ट्रांजिशन में मदद मिलेगी. FY25 में इस प्रोजेक्ट पर 35 मिलियन पाउंड खर्च हो चुके हैं और साइट वर्क्स कुछ ही महीनों में शुरू होने वाले हैं.
नीदरलैंड में भी बदलाव, सरकार से मदद की उम्मीद
नीदरलैंड स्थित इजमुइडन प्लांट में 6.75 MTPA स्टील का उत्पादन होता है. यहां कंपनी 500 मिलियन पाउंड की बचत का लक्ष्य लेकर चल रही है. इसमें वॉल्यूम मैक्सिमाइजेशन, प्रोडक्ट मिक्स, रिपेयर एंड मेंटेनेंस में सुधार और कर्मचारी उत्पादकता जैसे क्षेत्रों पर फोकस किया गया है. कंपनी डच सरकार और यूनियनों से भी फंडिंग व नीति समर्थन को लेकर बातचीत कर रही है.
कैपिटल एक्सपेंडिचर में वृद्धि
FY26 के लिए टाटा स्टील ने भारत, ब्रिटेन और नीदरलैंड के प्रोजेक्ट्स पर कुल 15,000 करोड़ रुपए का कैपेक्स (capital expenditure) निर्धारित किया है. इसमें 80% से ज्यादा निवेश भारत के Kalinganagar जैसे प्रोजेक्ट्स में होगा.
नेट डेब्ट में भी बड़ी गिरावट
मार्च 2025 तक टाटा स्टील का नेट डेब्ट घटकर 82,579 करोड़ रुपए रह गया है, जो कि सितंबर 2024 में 88,870 करोड़ रुपए था. यानी 6 महीनों में करीब 6,200 करोड़ की कमी दर्ज की गई है.
शेयरों में उछाल और ब्रोकरेज हाउसेज की राय
Tata Steel के इन कदमों से निवेशकों का भरोसा बढ़ा है. 14 मई को BSE पर शेयरों में 5% की तेज़ी देखी गई.
Emkay Global ने कंपनी के लिए ‘Buy’ कॉल बरकरार रखा है और 185 रुपये का टारगेट दिया है.
Nuvama Institutional Equities ने भी रेटिंग को अपग्रेड कर ‘Buy’ कर दिया और टारगेट प्राइस को 164 रुपये से बढ़ाकर 177 रुपये किया. उनका अनुमान है कि Q1FY26 में EBITDA/t में करीब 2,000 रुपये की बढ़त आ सकती है.
वहीं Motilal Oswal ने ‘Neutral’ रेटिंग बरकरार रखते हुए टारगेट घटाकर 155 रुपये कर दिया है. उनका मानना है कि शॉर्ट टर्म में ग्लोबल ट्रेड टेंशन के चलते कीमतों में उतार-चढ़ाव रह सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में Tata Steel की स्थिति मजबूत है.
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