नई दिल्ली. इस साल आरबीआई सरकार को 3 लाख करोड़ रुपये तक का डिविडेंड दे सकता है. CNBC-TV18 के पोल में टॉप इकनॉमिस्ट्स ने यह अनुमान जताया है. कुछ विशेषज्ञ तो यह भी मान रहे हैं कि असली आंकड़ा इससे भी ज्यादा हो सकता है. यह डिविडेंड पिछले साल दिए गए 2.1 लाख करोड़ रुपये से करीब 50% ज्यादा हो सकता है.
आरबीआई के डिविडेंड का मुख्य स्रोत होता है उसका मुनाफा, जो कई तरह से आता है – जैसे डॉलर की बिक्री से लाभ, विदेशी बॉन्ड्स पर ब्याज, भारतीय सरकारी बॉन्ड्स पर रिटर्न, गोल्ड की वैल्यू में बढ़त और दूसरे निवेशों पर वैल्यूएशन गेन. इन्हीं से कटौती कर खर्चों और रिजर्व फंड में ट्रांसफर के बाद बची रकम सरकार को डिविडेंड के रूप में दी जाती है.
इस बार डिविडेंड बढ़ने के 5 अहम कारण
डॉलर बिक्री से बंपर मुनाफा
FY25 में आरबीआई ने कुल $415 अरब डॉलर बेचे, जबकि FY24 में यह आंकड़ा सिर्फ $153 अरब था. अगर औसतन हर डॉलर पर ₹6.5 का फायदा हुआ हो, तो इससे ही ₹2.7 लाख करोड़ रुपये तक की कमाई हो सकती है.
विदेशी बॉन्ड्स पर स्थिर रिटर्न
आरबीआई के विदेशी सिक्योरिटीज में ₹48.6 लाख करोड़ की होल्डिंग है. इन पर 3% का भी औसत ब्याज मिला हो, तो ₹1.5 लाख करोड़ का रिटर्न बनता है.
सरकारी बॉन्ड्स से आमदनी
भारतीय सरकारी बॉन्ड्स की होल्डिंग ₹13.6 लाख करोड़ से बढ़कर ₹15.6 लाख करोड़ हुई. हालांकि रेट कम हुए, पर वैल्यूएशन गेन संभव है.
गोल्ड वैल्यू में उछाल
गोल्ड की कीमत FY25 में $2,345 से बढ़कर $3,045 प्रति औंस हो गई. इससे RBI की गोल्ड वैल्यू ₹4.4 लाख करोड़ से बढ़कर ₹6.6 लाख करोड़ हो गई – ₹2.2 लाख करोड़ की बढ़त. यह रकम CGRA (Currency and Gold Revaluation Account) में जाती है, पर यह फाइनेंशियल स्ट्रेंथ बढ़ाती है.
कम खर्च और स्टेबल बफर
अगर आरबीआई ज्यादा रकम कंटिजेंसी बफर में ट्रांसफर नहीं करता, तो ₹3 लाख करोड़ से ज्यादा डिविडेंड संभव है. Jalan समिति ने 5.5-6.5% का बफर तय किया है. पिछले साल ₹42,819 करोड़ ही ट्रांसफर किए गए थे.
राजनीतिक और आर्थिक वजहें भी अहम
सरकार ने बजट में ₹2.56 लाख करोड़ की उम्मीद जताई थी RBI और PSU बैंकों से. लेकिन रक्षा खर्च बढ़ने के संकेत हैं, जो ₹6.8 लाख करोड़ से बढ़कर ₹7 लाख करोड़ तक पहुंच सकते हैं. ऐसे में सरकार को ज्यादा फंड की जरूरत होगी. दूसरी ओर, महंगाई भी काबू में है – CPI 4% के नीचे है, जिससे RBI को ऊंचा डिविडेंड देने में झिझक नहीं होगी.
अगर सब कुछ अनुमान के अनुसार रहा, तो RBI का डिविडेंड ₹3 लाख करोड़ तक या उससे भी ज्यादा जा सकता है. यह न सिर्फ सरकार की फाइनेंशियल हेल्थ को सपोर्ट करेगा, बल्कि चालू साल में अतिरिक्त खर्चों को मैनेज करने में भी मदद करेगा.
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