नई दिल्ली. पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति कैसी है, इस बात से कोई भी अनजान नहीं है. खबरों के अनुसार, वहां खाने-पीने की सामान्य चीजों की भी मारामारी है. इसलिए पाकिस्तान बार-बार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के सामने कटोरा लेकर कर्ज की भीख मांगने चला जाता है. इसी महीने पाकिस्तान को आईएमएफ से बड़ा कर्ज मिला है. लेकिन इस कर्ज के साथ ही कई शर्तें भी आई हैं जिन्होंने आम पाकिस्तानियों की भी रात की नींदें उड़ा दी होंगी.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को अपने बेलआउट कार्यक्रम की अगली किस्त जारी करने से पहले अब तक की तुलना में सबसे अधिक शर्तें लगाई हैं. कुल मिलाकर 50 शर्तों में से 11 नई शर्तें शामिल हैं, जिनके पूरा होने के बाद ही पाकिस्तान को अगली किस्त मिलेगी. IMF ने चेताया है कि भारत के साथ हाल ही में बढ़े तनाव, अगर और गहराए, तो इस योजना के वित्तीय और सुधार लक्ष्यों को पूरा करना मुश्किल हो सकता है.
बढ़ेगा बिजली का बिल
इन नई शर्तों में सबसे अहम है 17.6 लाख करोड़ रुपये के अगले बजट की संसदीय मंजूरी. इसके अलावा बिजली उपभोक्ताओं पर लगने वाले कर्ज सेवा अधिभार में बढ़ोतरी करनी होगी और तीन साल से पुरानी कारों के आयात पर लगी तत्काल रोक को दूर करना होगा. “कर्ज सेवा अधिभार” (debt‑service surcharge) का मतलब है एक अतिरिक्त शुल्क जो सरकार या बिजली कंपनी अपने ग्राहकों से वसूलती है, ताकि वह अपने लिए लिया गया कर्ज (loan) चुका सके. सरकार को अगले वित्तीय वर्ष के रक्षा बजट को कम से कम 2.414 ट्रिलियन रुपये पर ही रखना है, जबकि संसद ने अब तक इसे 2.5 ट्रिलियन रुपये से अधिक रखने का संकेत दिया था.
प्रांतीय सरकारों को भी निर्देश
केंद्र और प्रांत दोनों स्तरों पर कर सुधार की नई शर्तें भी जोड़ी गई हैं. चार प्रांतीय सरकारों को एक व्यापक योजना बनाकर नए कृषि कर कानून लागू करने होंगे, जिसमें करदाताओं की पहचान, पंजीकरण और रिटर्न प्रोसेसिंग के लिए ऑपरेशनल मंच शामिल है. ये शर्तें जून तक पूरी करनी होंगी. साथ ही, सरकार को IMF द्वारा सुझाए गए सुधारों के आधार पर एक गवर्नेंस एक्शन प्लान भी प्रकाशित करना होगा, ताकि कमजोर प्रशासनिक कमजोरियों को दूर किया जा सके.
एनर्जी सेक्टर के लिए शर्तें
एनर्जी सेक्टर के लिए चार शर्तें हैं: हर वर्ष बिजली दरों को लागत-आधारित नए अनुमानों के अनुसार तय करने के आदेश जारी करना, गैस शुल्क को भी अर्ध-वार्षिक आधार पर संशोधित करना, सिल सशक्त उद्योगों को राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ने के लिए कैप्टिव पावर लेवी को स्थायी कानून बनाना और बिजली सेवा अधिभार पर 3.21 रुपये प्रति यूनिट की सीमा खत्म करना. इन शर्तों के तहत सरकार को ईमानदार उपभोक्ताओं को सजा देने वाली नीतियों को सुधारना होगा.
इसके अलावा, पाकिस्तान को 2035 तक विशेष प्रौद्योगिकी क्षेत्रों और औद्योगिक पार्कों को मिलने वाले सभी प्रोत्साहनों की समीक्षा कर समाप्ति की रूपरेखा तैयार करनी होगी. उपभोक्ताओं के हित में एक और शर्त लगाई गई है कि तीन साल से अधिक पुरानी कारों के वाणिज्यिक आयात पर लगी सीमा पूरी तरह हटाने के लिए संसद में आवश्यक कानून पेश किए जाएं. यह काम जुलाई के अंत तक पूरा होना चाहिए.
क्यों लगी हैं शर्तें
इन शर्तों का मकसद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को स्थिर करना है. IMF ने साफ कहा है कि यदि ये शर्तें पूरी नहीं हुईं, तो बेलआउट की अगली किश्त मिलना मुश्किल हो जाएगा और देश की आर्थिक चुनौतियाँ और बढ़ जाएँगी. इस सबके बीच भारत-पाक तनाव इस पूरी प्रक्रिया को और जटिल बना सकता है.
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