नई दिल्ली. 34 करोड़ की आबादी वाले अमेरिकाक को दुनिया का सबसे ताकतवर देश माना जाता है. देश में बुनियादी ढांचे के निर्माण पर यह भारी-भरकम पैसा खर्च करता है. अमेरिका में 71 इंटरस्टेट हाईवे और 5,000 से अधिक हवाई अड्डे हैं. लेकिन, खास बात यह कि अभी तक अमेरिका में एक भी हाई-स्पीड रेलवे लाइन नहीं है. यानी आम भाषा में कहें तो अमेरिका वालों को अभी बुलेट ट्रेन की सवारी नसीब नहीं हुई है. वहीं, चीन की हाई-स्पीड रेल नेटवर्क की कुल लंबाई इस वर्ष 50,000 किलोमीटर से अधिक हो चुकी है और यूरोपीय यूनियन में 8,556 किलोमीटर हाई-स्पीड रेल लाइनें हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस मामले में अमेरिका चीन और यूरोप से पीछे क्यों रह गया?
सामान्यतः ऐसी ट्रेनें जिनकी गति 250 किमी प्रति घंटा होती है, उन्हें हाई-स्पीड ट्रेन कहते हैं. बीबीसी डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी लेखक और पत्रकार विल डोइग का कहना है कि अमेरिका एक “कार-आसक्त देश” (Car-Obsessed Country) है. यहां लोगों को लगता है कि उन्हें हाई-स्पीड रेल की जरूरत नहीं है या वे नहीं चाहते कि यह उनके इलाके से होकर गुज़रे. लोगों की हाई स्पीड ट्रेन में दिलचस्पी न होने की वजह से ही अमेरिकी सरकार ने भी इस ओर खास ध्यान नहीं दिया है. हालांकि, अब अमेरिका में दो हाई स्पीड रेल कॉरिडोर पर काम चल रहा है और कुछ प्रस्तावित हैं. लेकिन, डोनाल्ड ट्रंप एक एक प्रस्तावित योजना को वित्तपोषित करने से मना करने के बाद एक बार फिर अमेरिका में हाई-स्पीड रेल के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है.
अब शुरू हुई दो परियोजनाएं
अमेरिका में अब दो हाई स्पीड रेल परियोजनाओं पर काम चल रहा है. पहली परियोजना कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को से लॉस एंजेलेस तक की है. दूसरी परियोजना लॉस एंजेल्स से लास वेगास तक है. इसके अलावा पोर्टलैंड (ओरेगन) से सिएटल (वॉशिंगटन स्टेट) और फिर कनाडा के वैंकूवर तक एक नई हाई-स्पीड रेल लाइन की योजना है. डलास और ह्यूस्टन के बीच भी एक परियोजना प्रस्तावित थी, लेकिन ट्रंप सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए तय 63.9 मिलियन डॉलर की ग्रांट रद्द कर दी, जिससे इस योजना पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं.
सैन फ्रांसिस्को से लॉस एंजेल्स परियोजना को कैलिफोर्निया राज्य सरकार संचालित कर रही है और इसके 2033 तक पूरा होने की उम्मीद है. वहीं लॉस एंजेल्स से लास वेगास तक की लाइन, ब्राइटलाइन वेस्ट (Brightline West), एक निजी परियोजना है, जो 2028 तक चालू होने की संभावना है.
चीन और यूरोप बहुत आगे
चीन की हाई-स्पीड रेल नेटवर्क की कुल लंबाई इस वर्ष 50,000 किलोमीटर से अधिक हो चुकी है और यूरोपीय यूनियन में 8,556 किलोमीटर हाई-स्पीड रेल लाइनें हैं. स्पेन अकेले 3,190 किलोमीटर के साथ इस सूची में सबसे आगे है. ब्रिटेन की बात करें तो वहां फिलहाल केवल एक हाई-स्पीड रेल लाइन चालू है, जो चैनल टनल से लंदन सेंट पैनक्रास तक 68 मील की दूरी तय करती है. हालांकि हाई स्पीड 2 नामक प्रोजेक्ट लंदन से बर्मिंघम के बीच निर्माणाधीन है, लेकिन वित्तीय संकट के चलते इसमें भी देरी हो रही है.
चीन का वैश्विक विस्तार और रणनीति
चीन में 2030 तक हाई-स्पीड रेल नेटवर्क की लंबाई लगभग 60,000 किलोमीटर तक पहुंचने की उम्मीद है. डेनमार्क स्थित थिंक टैंक ‘21st century Europe’ के अनुसार, जिन चीनी शहरों को हाई-स्पीड रेल से जोड़ा गया, वहां की अर्थव्यवस्था में औसतन 14.2% की वृद्धि दर्ज की गई. चीन केवल अपने देश में ही नहीं, बल्कि इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम जैसे एशियाई देशों में भी हाई-स्पीड रेल निर्माण में सहायता कर रहा है.
यूरोप और अमेरिका की तुलना में अंतर
‘21st century Europe ‘ के कावे पूर का कहना है कि यूरोप का बढ़ता हुआ हाई-स्पीड रेल नेटवर्क इस बात का प्रमाण है कि वहां सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में वर्षों से निवेश होता आ रहा है. उनका थिंक टैंक चाहता है कि यूरोप की सभी राजधानियों और बड़े शहरों को हाई-स्पीड रेल नेटवर्क से जोड़ा जाए. कावे पूर का मानना है कि अगर अमेरिका को हाई-स्पीड रेल नेटवर्क विकसित करना है, तो उसे पहले अपने संस्कृति में बदलाव लाना होगा. अमेरिका को यह सोचना होगा कि वह किस तरह का भविष्य चाहता है – कारों पर निर्भर या सार्वजनिक परिवहन-आधारित.
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