ब्रह्मोस, बराक और आकाशतीर… वो हथियार जिनसे भारत ने पाकिस्तान में मचा दी तबाही

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Weapons used in Operation Sindoor: भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया था, जिसमें भारतीय सेना ने पीओके में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर पूरी तरह से तबाह कर दिया. यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 पर्यटकों की नाम पूछकर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. 7 से 11 मई के बीच पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन और मिसाइल से हमले किए, जिसके बाद भारत ने जवाबी हमला करते हुए पाकिस्तान के 11 बड़े एयरबेस को तबाह कर दिया. 
ऑपरेशन ऑपरेशन के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि इसमें भारत में निर्मित टेक्नोलॉजी और हथियारों का इस्तेमाल किया गया. भारत ने आकाश मिसाइल प्रणाली से लेकर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित डी4 एंटी-ड्रोन प्रणाली तक विभिन्न प्रकार के हथियारों का इस्तेमाल किया. 
भारत ने ड्रोन और मिसाइलों के हमले से बचने के लिए डी4 एंटी-ड्रोन सिस्टम का उपयोग किया. यह स्वदेशी रूप से विकसित ड्रोन डिटेक्शन और न्यूट्रलाइजेशन सिस्टम है, जिसका इस्तेमाल ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट करना है. 
ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस का हुआ इस्तेमाल 
10 मई की सुबह भारत ने कई ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को पाकिस्तान के प्रमुख एयरबेसों पर दागा. ये पाकिस्तानी रनवे, बंकर और हैंगर सहित कई ठिकानों के तबाह करने में मददगार साबित हुआ. इस घातक मिसाइल को जमीन पर स्थित स्वायत्त मोबाइल लॉन्चर, जहाजों, पनडुब्बियों और यहां तक कि सुखोई-30 एमकेआई जैसे हवाई प्लेटफॉर्म से भी लॉन्च किया जा सकता है. इसे हर मौसम में हर तरह की स्थितियों में दिन-रात काम करने के लिए डिजाइन किया गया है.
ब्रह्मोस को बनाने वाली कंपनी, ब्रह्मोस एयरोस्पेस का दावा है कि ब्रह्मोस की रेंज 290 किलोमीटर है जबकि ऑपरेशन रेंज ज्यादा ही मानी जाती है.  इसकी स्पीड 2.8 मैक है यानि आवाज की गति से भी ढाई गुना ज्यादा की स्पीड. भारत ने हालांकि, ब्रह्मोस, के एक्सटेंडेड रेंज यानी 450-500 किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइल भी तैयार कर ली है.
माना जाता है कि दुनिया की कोई रडार और हथियार, मिसाइल सिस्टम उसे इंटरसेप्ट नहीं कर सकता है यानी एक बार ब्रह्मोस को दाग दिया तो ब्रह्मास्त्र की तरह इसे कोई नहीं रोक सकता है और अपने लक्ष्य पर ही जाकर गिरती है और टारगेट को तबाह करके ही दम लेती है. 
सुखोई-30 MKI ने निभाई अहम भूमिका
भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 MKI विमान को HAL ने भारत में ही बनाया है. ये फाइटर जेट ऑपरेशन सिंदूर में बहुत अहम रहे. ये जेट एक ब्रह्मोस मिसाइल ले जा सकते हैं और हवा में ईंधन भरकर करीब 11 घंटे तक उड़ सकते हैं. सुखोई में ब्रह्मोस मिसाइल जोड़ने से भारत के हमला करने की ताकत कई गुना बढ़ गई है. 
बराक-8 मिसाइल का भी हुआ इस्तेमाल
बराक-8 मिसाइल को भारत की DRDO और इजराइल की एक कंपनी ने मिलकर बनाया है. यह मिसाइल दुश्मन के विमान, ड्रोन, मिसाइल और बड़े हमलों को भी रोक सकती है. इसकी तेज रफ्तार, जल्दी जवाब देने की क्षमता और खास रडार सिस्टम इसे भारत की हवाई सुरक्षा का अहम हिस्सा बनाते हैं.
मददगार साबित हुआ IACCS सिस्टम
भारत की हवाई सुरक्षा में IACCS सिस्टम बहुत मददगार साबित हुआ. यह सिस्टम भारतीय वायुसेना और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने मिलकर बनाया है. यह जमीन के नीचे बने एक गुप्त जगह से काम करता है और रडार, सेंसर, विमान से मिलने वाली जानकारी और खुफिया सूचनाओं को जोड़कर आसमान में क्या हो रहा है, उसकी पूरी तस्वीर दिखाता है. इससे दुश्मन के हमलों को जल्दी पहचानकर तुरंत जवाब दिया जा सकता है. इसी की मदद से पाकिस्तान के मिसाइल और ड्रोन हमलों को समय रहते रोका गया और कोई नुकसान नहीं हुआ.
आकाशतीर से दिया गया करारा जवाब
आकाशतीर एक मीडियम रेंज मिसाइल है जो जमीन से हवा में वार करती है. इसे भारत ने खुद बनाया है और अब यह भारतीय सेना और वायुसेना दोनों के पास है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, आकाशतीर के नए वर्जन आकाश-NG ने कई ड्रोन और मिसाइल हमलों को रोकने में बड़ी मदद की. यह मिसाइस बहुत तेज उड़ती है और 30 मीटर से लेकर 20 किलोमीटर ऊंचाई तक के लक्ष्य को मार सकती है.
इसमें ज़ोरदार धमाका करने वाला वारहेड और स्मार्ट सेंसर लगे होते हैं. रडार, लॉन्चर और कंट्रोल सिस्टम- सब कुछ भारत में ही बना है. यह सिस्टम अब भारत की हवाई सुरक्षा का अहम हिस्सा बन गया है.
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