जब अंग्रेजी शराब सस्ती हो जाएगी तो कौन खरीदेगा देसी दारू, कंपनियों को डर

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Last Updated:May 17, 2025, 07:31 ISTLiquor Industry Body: देश में शराब निर्माण कंपनियों से जुड़े संगठन CIABC ने कहा कि भविष्य में होने वाले व्यापार समझौतों में आयात शुल्क में कटौती से घरेलू कंपनियों को नुकसान हो सकता है. क्योंकि, इस पर रियायती शु…और पढ़ेंफाइल फोटोहाइलाइट्सघरेलू शराब कंपनियों को आयात शुल्क में कटौती से नुकसान हो सकता है.CIABC ने न्यूनतम आयात मूल्य व्यवस्था लागू करने का सुझाव दिया.FTA के तहत स्कॉच व्हिस्की पर शुल्क में कटौती से घरेलू ब्रांड प्रभावित होंगे.नई दिल्ली. शराब बनाने वाली कंपनियों की टॉप बॉडी CIABC ने कहा कि भविष्य में होने वाले व्यापार समझौतों में आयात शुल्क में कटौती से शराब बनाने वाली घरेलू कंपनियों को नुकसान हो सकता है. इसका कारण यूरोपीय यूनियन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आयात होने वाली शराब पर रियायती शुल्क से भारतीय बाजार में इनकी आपूर्ति बढ़ सकती है. कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन एल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज ने सरकार को कम लागत और कम गुणवत्ता वाली बोतलबंद ‘स्पिरिट’, थोक एवं बोतलबंद शराब के आयात को रोकने के लिए न्यूनतम आयात मूल्य व्यवस्था लागू करने का भी सुझाव दिया.

संगठन ने कहा कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत स्कॉच व्हिस्की पर शुल्क में कटौती से घरेलू प्रीमियम श्रेणी के व्हिस्की ब्रांड पर असर पड़ सकता है, क्योंकि इससे कम कीमत वाली स्कॉच व्हिस्की का आयात बढ़ने के आसार हैं. भारत समझौते के तहत ब्रिटेन की व्हिस्की और जिन पर शुल्क को 150 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत करेगा तथा समझौते के 10वें वर्ष में इसे और घटाकर 40 प्रतिशत कर देगा.

सीआईएबीसी के महानिदेशक अनंत एस. अय्यर ने कहा, ‘‘ यदि यूरोपीय संघ, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे शराब उत्पादक देशों के साथ भविष्य के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत वाइन सहित अन्य स्पिरिट पर भी इसी प्रकार की शुल्क रियायतें दी जाती हैं, तो इससे भारतीय बाजार में शराब के आयात के लिए रास्ता खुल जाएगा और घरेलू स्तर पर उत्पादित गुणवत्तायुक्त शराब के ब्रांड पर अनुचित दबाव पड़ सकता है.’’

भारत, अभी तक ब्रिटिश शराब पर कोई शुल्क रियायत नहीं दे रहा है तथा दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते के तहत ब्रिटेन की बीयर पर केवल सीमित आयात शुल्क लाभ दे रहा है. भारत ने व्यापार समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया को शराब पर शुल्क रियायत दी जो 29 दिसंबर 2022 को लागू है. उस सौदे में प्रीमियम आयातित वाइन पर शुल्क 150 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया था. शराब बनाने वाले प्रमुख राज्यों में महाराष्ट्र और कर्नाटक शामिल हैं.
Chandrashekhar Guptaचंद्रशेखर गुप्ता, टीवी और डिजिटल मीडिया में 14 साल से सक्रिय हैं. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने जी न्यूज में काम किया है. वर्तमान में वह hindi.news18.com के बिजनेस सेक्शन पर काम कर रहे हैं. वे पर्सनल …और पढ़ेंचंद्रशेखर गुप्ता, टीवी और डिजिटल मीडिया में 14 साल से सक्रिय हैं. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने जी न्यूज में काम किया है. वर्तमान में वह hindi.news18.com के बिजनेस सेक्शन पर काम कर रहे हैं. वे पर्सनल … और पढ़ेंभारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखेंLocation :New Delhi,New Delhi,Delhihomebusinessजब अंग्रेजी शराब सस्ती हो जाएगी तो कौन खरीदेगा देसी दारू, कंपनियों को डर

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