Last Updated:May 16, 2025, 22:00 ISTपाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस हद तक खराब हो गई है कि उसकी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था अब भारत के दो सबसे मजबूत क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे भारतीय राज्यों से भी पीछे रह गई है.हाइलाइट्समहाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से बड़ी है.तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान के करीब है.पाकिस्तान को 25वीं बार IMF से मदद मिली है.नई दिल्ली. ऑपरेशन सिंदूर की धूल अभी जमी भी नहीं है और एक के बाद एक नए खुलासे ने पाकिस्तान की आर्थिक के स्टेटस को उजागर कर दिया है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस हद तक खराब हो गई है कि अब उसकी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे भारतीय राज्यों से भी पीछे रह गई है, जो भारत की दो सबसे मजबूत क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाएं हैं. पाकिस्तान, ईएफएफ के तहत IMF से 1.02 अरब रुपये की दूसरी किस्त पाने के बावजूद, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे भारतीय राज्यों से पीछे है.
वर्ल्ड बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों की मानें तो साल 2004-05 में पाकिस्तान का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी 132 बिलियन डॉलर था. उसी साल, महाराष्ट्र का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) लगभग 92 बिलियन डॉलर था, जबकि तमिलनाडु का 48 बिलियन डॉलर – दोनों ही काफी कम हैं.
पाकिस्तान की इकोनॉमी से ज्यादा इस राज्य की अर्थव्यवस्था 2023-24 तक महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था में लगभग 490 बिलियन डॉलर की वृद्धि देखी गई है और तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था बढ़कर 329 बिलियन डॉलर हो गई है. इस बीच, डेटा के अनुसार स्रोत और राजकोषीय समय के आधार पर पाकिस्तान की जीडीपी 338 बिलियन डॉलर से 373 बिलियन डॉलर के बीच होने का अनुमान है. यानी अकेले महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था, पाकिस्तान से कहीं ज्यादा है और वहीं तमिलनाडु की इकोनॉमी भी बेहद पास ही है.
25वीं बार IMF से मदद साल 1958 के बाद से ये 25वीं बार है जब आईएमएफ ने पाकिस्तान को मदद राशि दी है. पिछले साल ऐसे महत्वपूर्ण समय में जब देश दिवालिया होने के कगार पर था, आईएमएफ ने अल्पावधि के आधार पर 3 अरब डॉलर देकर उसे बचाया था. वैसे आपको बता दें कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था दो दशकों में लगभग तीन गुनी हो गई है, लेकिन ये स्पीड उसने बरकरार नहीं रखी है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. जैसे कि राजनीतिक अस्थिरता, कम औद्योगिक विकास, उच्च मुद्रास्फीति और बार-बार बेलआउट जिसने इसे नीचे गिरा दिया.
इकोनॉमी से ज्यादा मिलिट्री पर ध्यान पाकिस्तान अपने रक्षा के लिए धन और संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा आवंटित करना जारी रखता है. वित्त वर्ष 2025 के लिए, इसका रक्षा बजट 16.4 प्रतिशत बढ़कर 7.37 बिलियन डॉलर हो गया, जो कि सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 2 प्रतिशत है. इस बीच, इसका विदेशी ऋण सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 42 प्रतिशत है, जिसमें वर्ष 2019 और 2023 के बीच चीन से लगभग 82 प्रतिशत सैन्य आयात शामिल है.
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