नई दिल्ली. सरकार ने दो सरकारी कंपनियों को बचाने के लिए करीब सवाल 3 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज दिया, फिर भी इन दोनों कंपनियों को अपनी जमीन बेचने की नौबत आ गई है. अधिकारियों का कहना है कि खुद पर देनदारी कम करने के लिए दोनों कंपनियां जमीनें बेचकर 1,000 करोड़ रुपये जुटाएंगी. इसके लिए बाकायदा डेडलाइन भी तय कर दी है और कहा है कि मार्च, 2026 तक इस डील को पूरा कर लिया जाएगा.
मामले से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि सरकारी दूरसंचार कंपनियां बीएसएनएल और एमटीएनएल ने चालू वित्तवर्ष में ही अपनी जमीनों को बेचकर 1,000 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी बना ली है. इस डील को पूरा करने के लिए दोनों कंपनियां सही जमीन की पहचान कर रही हैं. बीएसएनएल के पास 2 से 3 जमीन हैं, जिसे बेचने की तैयारी कर रही है. दोनों ही कंपनियों की जमीनों की कीमत करीब 1,000 करोड़ रुपये बताई जाती है.
क्यों आई ऐसी नौबतबीएसएनएल और एमटीएनएल ने अपनी जमीनें बेचने का प्लान इसलिए बनाया है, क्योंकि दोनों ही कंपनियां कई साल से फाइनेंशियल क्राइसिस से जूझ रही हैं. इसके अलावा ऑपरेशनल कॉस्ट बढ़ने की वजह से भी दोनों कंपनियां मुश्किल में हैं. ऊपर से ग्राहकों की संख्या भी नहीं बढ़ रही है और दोनों पर कर्ज बढ़ता ही जा रहा है. यूजर्स की संख्या नहीं बढ़ने की वजह से भी दोनों कंपनियों का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है.
किस कंपनी पर कितना कर्जाहाल में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, एमटीएनएल ने हाल में ही सरकारी बैंकों के 8,346 करोड़ रुपये डिफॉल्ट किए हैं. 31 मार्च, 2025 तक कंपनी पर करीब 33 हजार करोड़ रुपये का कर्जा बकाया था. बीएसएनएल पर भी नवंबर, 2024 तक करीब 23,297 करोड़ रुपये का कर्जा बकाया चल रहा था. बकाए के इस बोझ को कम करने के लिए सरकार ने चालू वित्तवर्ष में ही जमीनों को बेचकर या लीज पर देकर 1 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.
डील में है सबसे बड़ी चुनौतीसरकारी अधिकारी ने बताया कि वैसे तो यह डील साधारण सी लगती है, लेकिन अलग-अलग राज्यों में होने की वजह से इसमें काफी चुनौतियां हैं. खासकर जमीनों के स्वामित्व को लेकर दिक्कते हैं. जमीनों का मामला वैसे ही जटिल होता है, ऊपर से अलग-अलग राज्यों में होने की वजह से इसकी बिक्री या लीज का काम पूरा होने में समय लग सकता है. डील के लिए राज्यों से क्लीयरेंस लेने, टाइटल विवाद निपटाने और डॉक्यूमेंट तैयार करने का काम काफी जटिल हो सकता है.
बीएसएनएल ने देख ली जमीनसूत्रों का कहना है कि बीएसएनएल ने अपनी जमीन की पहचान कर ली है और उसकी साइज व प्रॉपर्टी की वैल्यू का आकलन किया जा रहा है. कंपनी का दावा है कि यह जमीन वाणिज्यिक क्षेत्र में होने की वजह से निवेशकों को जल्दी आकर्षित करेगी. एमटीएनएल ने भी अपनी जमीनों को तलाशने का काम शुरू कर दिया है, लेकिन इसकी वैल्यू बीएसएनएल की जमीनों के मुकाबले कम रहने का अनुमान है.
सरकार ने बनाया मोनेटाइजेशन प्लानसरकार ने सिर्फ बीएसएनएल और एमटीएनएल की जमीनों को बेचकर ही पैसे जुटाने का प्लान नहीं बनाया है, बल्कि कई और सरकारी संपत्तियों को बेचकर पूंजी जुटाने का प्लान बनाया है. वित्त्मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार गैर फायदे वाली संपत्तियों को बेचकर करीब 10 लाख करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी में है और साल 2025 तक इससे 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए साल 2021 में ही पहला प्रस्ताव पेश कर दिया गया था.
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