एड्स नहीं इस बीमारी को रोकने के लिए इस्तेमाल हुए थे कंडोम, जान लीजिए नाम

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Condom Use for Zika Prevention: जब भी “कंडोम” शब्द सुनाई देता है, ज्यादातर लोगों के मन में पहला ख्याल एड्स या गर्भनिरोध का आता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि, एक समय ऐसा भी था जब कंडोम का इस्तेमाल इस बीमारी को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर किया गया था? ये बीमारी न तो सेक्स से फैलती थी और न ही कोई वायरस थी, बल्कि ये एक ऐसी सामाजिक और शारीरिक बीमारी थी, जिसने दुनिया भर में चिंताओं को जन्म दिया था. इस बीमारी की चर्चा तो कम हुई है, लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि, ये कौनसी बीमारी थी, जिसे रोकने के लिए कंडोम का इस्तेमाल किया गया था. 

बता दें, ज़िका वायरस पहली बार 1947 में युगांडा के जिका जंगल में पाया गया, लेकिन 2015 में यह वायरस अचानक ब्राजील में फैलने लगा था. इस वायरस का सबसे डरावना असर गर्भवती महिलाओं पर होता था. जिका से संक्रमित मां के गर्भ में पल रहा बच्चा माइक्रोसेफली नामक गंभीर बीमारी से ग्रसित हो सकता था, जिसमें बच्चे का दिमाग पूरी तरह विकसित नहीं होता और सिर छोटा रह जाता है. 

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कंडोम को क्यों किया गया इस्तेमाल? 

ज़िका वायरस मुख्य रूप से मच्छरों के ज़रिए फैलता है, लेकिन रिसर्च में ये बात भी सामने आई कि, यह यौन संबंधों के माध्यम से भी फैल सकता है. इसका मतलब यह हुआ कि, अगर कोई पुरुष जिका वायरस से संक्रमित है, तो वह शारीरिक संबंध के दौरान अपनी पार्टनर को संक्रमित कर सकता है और यही गर्भावस्था के दौरान और भी ज्यादा खतरनाक बन जाता है. 

कंडोम से कैसे बनी सुरक्षा की पहली दीवार?

कंडोम ने केवल यौन संक्रमित रोगों से ही नहीं, बल्कि जिका जैसे नॉन-सेक्सुअल वायरस के यौन प्रसार को भी रोका. 

लोगों को जागरूक करने के लिए हेल्थ कैंप, सोशल मीडिया, और डॉक्टरों द्वारा सलाह दी गई कि, सुरक्षित संबंध ही बचाव का सबसे बड़ा तरीका है. 

लोगों की सोच में बदलाव आने लगा था 

जिका वायरस की वजह से लोगों की सोच में बड़ा बदलाव आया था. कंडोम को केवल गर्भनिरोध या एड्स से बचाव का माध्यम नहीं, बल्कि एक गंभीर वायरस को रोकने वाला जीवन माना जाने लगा था। 

स्वास्थ्य की दुनिया में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं, जब पुराने तरीकों को नए नजरिए से देखा जाता है. जिका वायरस और कंडोम की यह कहानी हमें यही सिखाती है कि, उपाय की अहमियत, उसकी उपयोगिता के समय और संदर्भ पर निर्भर करती है. इसलिए जरूरी है कि हम सिर्फ सुन-सुनकर धारणाएं न बनाएं, बल्कि जानकारी के आधार पर समझ विकसित करें. 

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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