Last Updated:May 13, 2025, 19:15 ISTभारत द्वारा पाकिस्तान के डिफेंस सिस्टम पर हमले से चीन के डिफेंस स्टॉक्स में भारी गिरावट आई है. संघर्ष विराम के बाद चीन की रक्षा टेक्नोलॉजी की नाकामी से निवेशकों का भरोसा डगमगाया है.पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ संघर्ष में जे-10 का इस्तेमाल किया था. हाइलाइट्सभारत के हमले से चीन के डिफेंस स्टॉक्स गिरे.संघर्ष विराम से चीन की रक्षा टेक्नोलॉजी की नाकामी उजागर.चीन की डिफेंस कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट.नई दिल्ली. भारत ने पाकिस्तान के डिफेंस सिस्टम को पिछले हफ्ते जो क्षति पहुंचाई उसका असर चीन के बाजार पर अब दिख रहा है. चीन के बाजार में मंगलवार को डिफेंस स्टॉक्स भयानक बिकवाली के दबाव में दिखे. पहले भारत ने पाकिस्तान में चीन के डिफेंस उपकरणों को ध्वस्त करके उनकी छवि खराब की और फिर 10 मई को युद्ध विराम ने चीन के अरमानों पर और पानी फेर दिया. अगर संघर्ष आगे और बढ़ता तो जाहिर तौर पर पाकिस्तान को चीन से और उपकरण मंगाने पड़ते और वहां कि डिफेंस कंपनियों को फायदा होता है. लेकिन संघर्ष विराम के कारण ऐसा कुछ नहीं हो पाया. इतना ही नहीं, इस संघर्ष में चीन निर्मित उपकरणों की भी सच्चाई सामने आ गई.
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की रक्षा जरूरतों में चीन की भारी भागीदारी और भारत के साथ संघर्ष में उसकी टेक्नोलॉजी की नाकामी ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है. पिछले सप्ताह भारत द्वारा “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पीओके स्थित आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया था. इसके जवाब में पाकिस्तान ने चीन में बने ड्रोन और मिसाइलों के ज़रिए भारत पर कई हमले किए. हालांकि भारत की एडवांस एयर डिफेंस प्रणाली ने ज़्यादातर हमलों को नाकाम कर दिया.
भरोसा डगमगाया
जब संघर्ष थमा, तो निवेशकों का भरोसा चीन के डिफेंस सिस्टम् पर डगमगाने लगा. 13 मई को हैंग सेंग चाइना ए एयरोस्पेस एंड डिफेंस इंडेक्स 3% नीचे आ गया. इसमें शामिल AVIC चेंगदू और झूझोउ होंग्डा के शेयर क्रमशः 8.6% और 6.3% टूटे. AVIC चेंगदू वही कंपनी है जो पाकिस्तान को J-10C फाइटर जेट्स सप्लाई करती है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने संसद में बताया था कि भारत के साथ संघर्ष में इन्हीं जेट्स का इस्तेमाल हुआ था. वहीं झूझोउ होंग्डा वही कंपनी है जो PL-15 मिसाइल बनाती है, जिसे पाकिस्तान की सेना ने इस संघर्ष में प्रयोग किया.
चीन सबसे बड़ा सप्लायर
पाकिस्तान की हथियार जरूरतों का 81% हिस्सा अकेले चीन पूरा करता है, जबकि तुर्की और नीदरलैंड जैसे देश बहुत पीछे हैं. SIPRI डाटा के मुताबिक, 2020 से 2024 के बीच पाकिस्तान के हथियार आयात में तुर्की का हिस्सा 3.8% और नीदरलैंड का 5.5% रहा. एक और प्रमुख चीनी कंपनी AVIC एयरोस्पेस के शेयर्स भी 2% तक टूटे, जो सैन्य विमान और हेलिकॉप्टर बनाती है. गौरतलब है कि AVIC चीन की सरकारी डिफेंस कंपनियों का सबसे बड़ा समूह है और यह देश की ज्यादातर सैन्य एविएशन परियोजनाओं की अगुवाई करती है. भारत-पाक के बीच हालिया संघर्ष से चीन की रक्षा टेक्नोलॉजी की सीमाएं उजागर हो गई हैं, जिससे न केवल अंतरराष्ट्रीय बाजार में उसकी छवि को झटका लगा है, बल्कि निवेशकों का भरोसा भी डगमगाया है.
Jai Thakurजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे…और पढ़ेंजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे… और पढ़ेंभारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessये है जुड़वा इफेक्ट! मार पड़ी पाकिस्तान को, रोने लगे चीन के डिफेंस स्टॉक
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