भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप क्यों पहुंचे सऊदी अरब, क्या कुछ होने वाला है बड़ा?

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नई दिल्ली. भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. 72 घंटे पहले दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाने वाले दो देश सऊदी अरब और अमेरिका पर अब पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हैं. दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 3,000 किलोमीटर और पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से महज 2,500 किलोमीटर दूर मौजूद हैं. डोनाल्ड ट्रंप की इस क्षेत्र में मौजूदगी के सामरिक जानकार अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं. लेकिन इतना तो तय है कि डोनाल्ड ट्रंप की एशिया में मौजूदगी से कुछ बड़ा होने का संकेत मिल रहा है. डोनाल्ड ट्रंप भारत और पाकिस्तान में किसी एक को या फिर दोनों को बड़ा सरप्राइज दे दें तो हैरानी नहीं होगी.

भारत-पाकिस्तान में सीजफायर के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सऊदी अरब यात्रा ने दुनिया का ध्यान खींचा है. यह यात्रा न केवल मध्य पूर्व में अमेरिका की रणनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाती है, बल्कि दक्षिण एशिया में चल रहे तनाव पर भी इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है. सऊदी अरब की राजधानी रियाद भारत की राजधानी नई दिल्ली से लगभग 3,000 किलोमीटर और पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से करीब 2,500 किलोमीटर दूर है. यह दूरी हवाई यात्रा के हिसाब से 4-5 घंटे की उड़ान के बराबर है.

ट्रंप की मौजूदगी के क्या हैं मायने?
ट्रंप भौगोलिक रूप से फिलहाल भारत और पाकिस्तान के काफी करीब हैं, लेकिन उनकी यह यात्रा मध्य पूर्व में आर्थिक और भू-राजनीतिक हितों, जैसे तेल, व्यापार, और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर केंद्रित है. क्योंकि पाकिस्तान ने भारत को परमाणु युद्ध का भय दिखाकर ब्लैकमेल करने की कोशिश की है, तो ऐसे में पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम पर भी अगर सऊदी अरब से अमेरिका बात करे तो हैरानी नहीं होगी. सऊदी अरब पाकिस्तान जितना करीब है, उतना ही भारत से भी करीब है. सऊदी अरब ने भारत और पाकिस्तान में तनाव दूर करने में अहम भूमिका निभाई थी. ऐसे में अगर कुछ बड़ा हो जाए तो हैरानी नहीं होगी.

क्या भारत-पाकिस्तान के रिश्ते में गर्माहट में कमी आएगी?
भारत-पाकिस्तान में तनाव 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी. इस घटना ने भारत-पाकिस्तान तनाव को बढ़ाया. भारत ने इसके लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया और ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमले किए. जवाब में पाकिस्तान ने भी सैन्य कार्रवाई की. ट्रंप ने 10 मई को एक अस्थायी सीजफायर की घोषणा की, लेकिन इसके कुछ घंटों बाद ही उल्लंघन की खबरें आईं.

ट्रंप ने अपनी पहली यात्रा के लिए सऊदी अरब को क्यों चुना?
ट्रंप की सऊदी अरब यात्रा का रणनीतिक महत्व ट्रंप की सऊदी अरब यात्रा का मुख्य उद्देश्य 1 ट्रिलियन डॉलर के निवेश और व्यापार समझौतों को मजबूत करना है. सऊदी अरब, जो पाकिस्तान का करीबी सहयोगी है, ने भारत-पाकिस्तान तनाव को कम करने में मध्यस्थता की भूमिका निभाई है. सऊदी विदेश मंत्री आदेल अल-जुबैर की हालिया भारत यात्रा और संभावित पाकिस्तान यात्रा इसकी पुष्टि करती है. सऊदी अरब की मध्यस्थता भारत के लिए जटिल है, क्योंकि भारत तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता, जबकि पाकिस्तान ने ट्रंप और सऊदी अरब की भूमिका का स्वागत किया है.

भारत-पाकिस्तान तनाव पर प्रभाव ट्रंप ने तनाव को ‘शर्मनाक’ करार दिया और मध्यस्थता की पेशकश की, लेकिन उनकी नीति ‘अमेरिका फर्स्ट’ के तहत सीमित हस्तक्षेप पर केंद्रित है. अमेरिका का ध्यान यूक्रेन और गाजा जैसे वैश्विक संकटों पर है, जिसके कारण भारत-पाकिस्तान तनाव में गहरी भागीदारी कम संभावित है. वहीं, सऊदी अरब का पाकिस्तान के साथ मजबूत आर्थिक और सैन्य रिश्ता है, जबकि भारत के साथ भी व्यापारिक संबंध मजबूत हैं. कुल मिलाकर ट्रंप की यात्रा मध्य पूर्व में स्थिरता को बढ़ावा दे सकती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से दक्षिण एशिया में तनाव को कम करने में मददगार हो सकती है. हालांकि, सीजफायर की नाजुकता और दोनों देशों के बीच अविश्वास इसे जटिल बनाते हैं.

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