नई दिल्ली. भारत में सैटेलाइट इंटरनेट के लिए कमर्शियल रोलआउट करने से ठीक पहले डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम्युनिकेशन (DoT) ने सैटेलाइट सर्विस देने वाली कंपनियों के लिए 29 से 30 नई सेक्योरिटी गाइडलाइन्स जारी कर दी हैं. डॉट ने नए नियमों को देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जारी किया है. दरअसल, चीन और पाकिस्तान जैसे पडोसी देशों के साथ अभी चल रहे जियोपॉलिटिकल टेंशन की वजह से सरकार ने कदम उठाया है.
नई गाइडलाइंस मौजूदा लाइसेंस धारकों जैसे कि Airtel OneWeb और Jio SES को तो प्रभावित करेगी, साथ ही जिन्हें लाइसेंस नहीं मिला है, जैसे कि Amazon Kuiper और Elon Musk की Starlink पर भी लागू होती हैं. ये नए नियम लाइसेंस की मंजूरी और भारत में संचालन के लिए अनिवार्य हैं.
DoT के नए नियम बेहद सख्तनए गाइडलाइन्स के अनुसार सैटेलाइट ऑपरेटर्स को नीचे दी गई चीजों का ध्यान रखना होगा.
वेबसाइट ब्लॉक और मेटाडेटा कलेक्शन: सैटेलाइट सर्विस देने वाली कंपनियों को भारतीय कानूनों के हिसाब से वैलिड इंटरसेप्शन यानी अवरोधन सक्षम करना होगा, मेटाडेटा स्टोर करना होगा और वेबसाइटों को ब्लॉक करना होगा.
यूजर का टर्मिनल वेरिफिकेशन : भारत में सिर्फ रजिस्टर्ड डिवाइस को ही सैटेलाइट सर्विस का एक्सेस मिलेगा. विदेशी टर्मिनल को प्रॉपर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का पालन करना होगा.
रियल टाइम लोकेशन ट्रैकिंग : सेक्योरिटी एजेंसियां जब भी सैटेलाइस सेवा प्रदाता कंपनियों से यूजर टर्मिनल्स के लोकेशन की जानकारी मांगेंगी उन्हें देना होगा.
भारत से बाहर कोई डेटा ट्रांसफर नहीं होगा : सर्विस देने वाली कंपनियों को इस नियम को भी सख्ती से मानना होगा कि वो भारतीय यूजर्स का डेटा, देश से बाहर किसी फॉरेन सर्वर पर नहीं डाल सकतीं.
प्रतिबंधित क्षेत्र के लिए प्रोटोकॉल: यूजर का टर्मिनल जैसे ही किसी प्रतिबंधित या अनऑथोराइज्ड जोन में जाएगा, अपने आप नेटवर्क डिस्एबल हो जाएगा.
बॉर्डर सर्विलांस जोन : कंपनियों को भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ 50 किलोमीटर का एक निगरानी क्षेत्र बनाना होगा, जिससे संवेदनशील क्षेत्रों में बेहतर निगरानी हो सके.
Starlink को लग सकती है अभी और देर देश की Jio और Airtel जैसी टेलीकॉम कंपनियां पहले से ही प्राधिकरण के पुराने नियमों का पालन कर रही हैं, लेकिन Starlink को कई नई चीजों का भी सामना करना होगा. यानी जो पुराने नियम हैं, उनके साथ और 30 नए पैरामीटर्स को भी फॉलो करना होगा. ऐसे में Starlink की भारत में लॉन्चिंग में देर हो सकती है. नए सख्त नियमों के कारण अप्रूवल मिलने और टेस्टिंग टाइमलाइन की प्रक्रिया धीमी हो सकती है.
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