एल्‍गो ट्रेडिंग करने वालों को नुकसान से बचाने को एनएसई ने किए पुख्‍ता इंतजाम

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Last Updated:May 06, 2025, 12:31 ISTएनएसई ने रिटेल इनवेस्टर के लिए एल्गो ट्रेडिंग को सरल बनाने हेतु नए नियम जारी किए हैं. इन नियमों का उद्देश्य एल्गो ट्रेडिंग की पहुंच आसान बनाना और निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.सभी API सेशन को हर ट्रेडिंग दिन शुरू होने से पहले लॉग आउट करना होगा. हाइलाइट्सएनएसई ने एल्गो ट्रेडिंग के लिए नए नियम जारी किए.रिटेल निवेशकों की सुरक्षा और सुविधा के लिए नियम बनाए गए.प्रति सेकंड 10 ऑर्डर की सीमा तय की गई है.नई दिल्‍ली. रिटेल इनवेस्‍टर के लिए एल्गो ट्रेडिंग को अधिक सरल बनाने के लिए एनएसई ने नए नियम बनाए है. 5 मई को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने एक सर्कुलर जारी कर ब्रोकरों, एल्गो वेंडर्स और रिटेल एल्गो यूजर्स के लिए बनाए गए नियमों  द्वारा पालन किए जाने वाले नियमों का विवरण साझा किया. ये नियम सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के हालिया दिशानिर्देशों के अनुसार बनाए गए हैं. इन नियमों का मकसद न केवल एल्‍गो ट्रेडिंग तक रिटेल इनवेस्‍टर की पहुंच आसान बनानी है, बल्कि उनके हितों की रक्षा करना भी है.

एनएसई के सर्कुलर के अनुसार, स्टॉक ब्रोकर अपने क्लाइंट्स को अपनी ट्रेडिंग प्रणाली तक एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) के जरिए पहुंच मुहैया करानी होगी. इसके लिए क्‍लाइंट्स को स्टॉक ब्रोकर को एक ऐसा आईपी एड्रेस देना होगा जो स्थिर हो. इस आईपी एड्रेस के साथ API टूल्स को जोड़ा जाएगा. इस आईपी का इस्‍तेमाल कर क्‍लाइंट ब्रोकर के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से जुड़ेगा. जो संस्थाएएं स्वतंत्र रूप से एल्गो प्रदान करना चाहती हैं, उन्हें एक्सचेंज के साथ पैनल में शामिल होना होगा. एक्सचेंज प्रत्येक एल्गो को एक एल्गो आईडी प्रदान करेंगे. पंजीकृत होने के बाद ऐसे एल्गो का उपयोग इस्‍तेमाल ब्रोकरों द्वारा किया जा सकता है.

रिटेल इनवेस्‍टर अपनी एल्‍गो करवा सकता है रजिस्‍टरअगर कोई रिटेल निवेशक अपने द्वारा विकसित एल्गो को पंजीकृत करवाना चाहता है तो उसे ब्रोकर को इसका विवरण देना होगा. ब्रोकर इस जानकारी को एक्सचेंज को भेजेगा. एक्सचेंज एल्गो को पंजीकृत करेगा और फिर पंजीकरण आईडी क्लाइंट के साथ साझा की जाएगी.

ऑर्डर की लिमिट तयएनएसई के सुर्कलर के अनुसार, सभी API सेशन को हर ट्रेडिंग दिन शुरू होने से पहले लॉग आउट करना होगा. NSE ने एल्गो के लिए प्रति सेकंड 10 ऑर्डर की सीमा तय की है, लेकिन जरूरत पड़ने पर एक्सचेंज इस सीमा को बदल सकता है. सर्कुलर में कहा गया, “प्रति सेकंड ऑर्डर की सीमा शुरू में प्रति एक्सचेंज/सेगमेंट 10 ऑर्डर से अधिक नहीं होगी. स्टॉक एक्सचेंज जरूरत के अनुसार इसे समायोजित कर सकते हैं, जिसके लिए बाजार को पहले सूचना दी जाएगी.”

यदि कोई क्लाइंट प्रति सेकंड 10 ऑर्डर से अधिक की गति से ऑर्डर देना चाहता है, तो उसे अपने एल्गोरिदम को उस एक्सचेंज के साथ रजिस्टर करना होगा, जहां वह इसका उपयोग करना चाहता है. एनएसई ने कहा, “एक्सचेंज एक निश्चित सीमा तक ऑर्डर के लिए आसान रजिस्ट्रेशन और अनुपालन ढांचा तैयार करेंगे.”

ब्रोकर रखेगा निगरानीब्रोकर्स को सभी एल्गो ऑर्डर के लिए एक ठोस ऑडिट ट्रेल सुनिश्चित करना होगा, चाहे वे इंटरनेट आधारित-ट्रेडिंग (आईबीटी) सिस्टम के माध्यम से फायर किए गए हों या वायरलेस तकनीक (एसटीडब्ल्यूटी) के माध्यम से सिक्योरिटी ट्रेडिंग के माध्यम से या क्लाइंट एपीआई या वेंडर एपीआई से फायर किए गए हों. ब्रोकर्स को पांच साल तक जानकारी स्टोर करने के लिए कहा गया है.

सभी एल्‍गो प्रोवाइडर्स को एक्सचेंज के साथ रजिस्टर और लिस्ट होना होगा. यदि कोई ब्रोकर किसी रजिस्टर्ड एल्गो प्रोवाइडर के साथ व्यावसायिक या तकनीकी समझौता करता है, तो उसे प्रोवाइडर की पूरी जांच करनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रोवाइडर किसी गलत आचरण या सिक्योरिटी कानूनों के उल्लंघन में शामिल नहीं है.
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