Last Updated:May 05, 2025, 07:54 ISTNew Rice Veriety :भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने DRR धान 100 (कमला) और पुसा डीएसटी राइस 1 नामक दो नई जीनोम-संपादित चावल किस्में विकसित की हैं, जो कम पानी में उगाई जा सकती हैं और 20-30% अधिक उत्पादन देगी.ये किस्में बदलते मौसम में भी अच्छी पैदावार देंगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)हाइलाइट्सकम पानी में उगाई जा सकेंगी नई चावल किस्मेंDRR धान 100 और पुसा डीएसटी राइस 1 विकसित20-30% अधिक उत्पादन देंगी नई किस्मेंनई दिल्ली. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने दुनिया की पहली जीनोम-संपादित चावल की दो उन्नत किस्में, DRR धान 100 (कमला) और पुसा डीएसटी राइस 1 विकसित की हैं. ये किस्मों को उगाने के लिए कम पानी की जरूरत होगी और ये जल्दी पककर तैयार होंगी. इतना ही नहीं इन किस्मों का उत्पादन भी पारंपरिक किस्मों के मुकाबले 20-30% तक ज्यादा होगा. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को इन दोनों किस्मों को जारी किया. चौहान ने कहा कि जलवायु-प्रतिरोधी और अधिक उत्पादन देने वाली किस्में देश में दूसरी हरित क्रांति का मार्ग प्रशस्त करेंगी. इनसे उत्पादन बढ़ेगा, कम पानी में फसल होगी और लागत भी घटेगी. साथ ही, ये किस्में बदलते मौसम में भी अच्छी पैदावार देंगी.
ICAR के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन किस्मों के लिए वर्तमान में बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) प्राप्त करने की प्रक्रिया चल रही है. प्रमाणित बीज अगले दो वर्षों में किसानों को उपलब्ध करा दिया जाएगा. इन किस्मों को आधुनिक CRISPR-Cas जीनोम-संपादन तकनीक से विकसित किया गया है. यह तकनीक वैज्ञानिकों को पौधों के मूल जीन में लक्षित और सटीक परिवर्तन बिना कोई बाहरी डीएनए डाले बिना करने में सक्षम बनाती है. यह तकनीक सुरक्षित मानी जाती है और भारत में इसे खेती के लिए मंजूरी मिल चुकी है.
इन राज्यों में होगी खेतीजीनोम-संपादित ‘कमला’ वैरायटी को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में खेती के लिए अनुशंसित किया गया है. वहीं, ‘पुसा डीएसटी राइस 1’ को भी इन राज्यों में उपयुक्त पाया गया है.
20 दिन पहले पकेगीICAR के अनुसार, यदि इन किस्मों को 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अपनाया जाए, तो देश में 45 लाख टन अतिरिक्त धान का उत्पादन संभव है. साथ ही, कम परिपक्वता अवधि (20 दिन जल्दी तैयार होने) के कारण 7,500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की बचत और 20% तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाई जा सकेगी.
2018 से चल रहा है शोधICAR ने 2018 में चावल में जीनोम-संपादन अनुसंधान परियोजना की शुरुआत की थी. इसके तहत दो प्रमुख किस्मों ‘सांबा महसूरी (BPT5204)’ और ‘MTU1010 (कॉटन्डोरा सन्नालु)’ — को चुना गया था. इन पर अनुसंधान कर उन्हें बेहतर उत्पादन, तनाव सहनशीलता और जलवायु अनुकूलता के साथ विकसित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप ‘कमला’ और ‘पुसा डीएसटी राइस 1’ तैयार हुईं है.
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