भारतीय बाजार में लौट आए FII, अप्रैल में तो तोड़ दिया चार महीनों का रिकार्ड

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Last Updated:May 02, 2025, 15:23 ISTएफआईआई ने अप्रैल में भारतीय बाजार में ₹10,558.97 करोड़ का निवेश किया, जो चार महीनों में सबसे अधिक है. अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती और 6.5% जीडीपी वृद्धि के अनुमान से भारतीय बाजार पर भरोसा बढ़ा है.2025 में अब तक घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने ₹2.1 लाख करोड़ का निवेश किया है.हाइलाइट्सअप्रैल में एफआईआई ने भारतीय बाजार में ₹10,558.97 करोड़ का निवेश किया.अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती और 6.5% जीडीपी वृद्धि ने भरोसा बढ़ाया.एफआईआई का निवेश चार महीनों में सबसे अधिक रहा.नई दिल्ली. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs)  का भरोसा एक बार फिर भारतीय शेयर बाजार पर बनने लगा है. नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, एफआईआई ने लगातार दूसरे महीने भारतीय बाजारों में शुद्ध निवेश किया है. इस महीने 29 अप्रैल तक एफआईआई ने कुल ₹10,558.97 करोड़ रुपये शेयर बाजार में लगाए हैं. अप्रैल में एफआईआई की ओर से यह निवेश चार महीनों में सबसे अधिक रहा, जो दिसंबर 2024 के बाद का उच्चतम स्तर है.  मार्च में एफआईआई ने ₹1,717.78 करोड़ का निवेश किया. साल 2025 की शुरुआत में एफआईआई ने भारतीय इक्विटी की जोरदार बिकवाली की थी. जनवरी में उन्होंने ₹72,677.21 करोड़ और फरवरी में ₹46,599.08 करोड़ रुपये भारतीय बाजार से निकाले थे.

हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी ब्याज दरों में बढ़ोतरी, वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और घरेलू स्तर पर मुद्रास्फीति या नीतिगत गलतियां एफआईआई के रुख को प्रभावित कर सकती हैं. विदेशी निवेशकों के भारतीय शेयर बाजार में लौटने में पीछे वैश्विक संकेतों का अहम योगदान रहा है. अमेरिका में मुद्रास्फीति की दर में नरमी और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में संभावित कटौती से उभरते बाजारों में निवेश का आकर्षण बढ़ा है. इसके अलावा कुछ घरेलू कारकों जैसे भारत की 2025 में अनुमानित 6.5% जीडीपी वृद्धि, स्थिर रुपया और चुनावों के बाद नीति में निरंतरता ने निवेशकों का भरोसा मजबूत किया है. साथ ही निफ्टी का अपने 10 साल के औसत पी/ई अनुपात (22x) पर लौटना भारतीय शेयरों को फिर से आकर्षक बना रहा है.

डीआईआई कर रहे हैं लगातार खरीदारीमनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में अब तक घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने ₹2.1 लाख करोड़ का निवेश किया है, जबकि एफआईआई ने ₹1.07 लाख करोड़ की निकासी की है. वहीं 2024 में डीआईआई ने कुल ₹5.23 लाख करोड़ और एफआईआई ने ₹8,001.16 करोड़ की निकासी की थी. ACE इक्विटीज के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2025 तिमाही में डीआईआई की हिस्सेदारी बढ़कर 16.91% हो गई, जबकि एफआईआई की हिस्सेदारी घटकर 16.84% रह गई. यह एफआईआई की 50 तिमाहियों में सबसे कम हिस्सेदारी है.

सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि वैश्विक स्तर पर भारत को लेकर निवेशकों का मूड सकारात्मक है. उन्होंने कहा, “मैंने वॉशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क और बॉस्टन में कई एफपीआई निवेशकों से मुलाकात की, और सबका भारत को लेकर रुख सकारात्मक था.” उन्होंने आगे बताया कि पिछले पांच वर्षों में एफपीआई ने भारतीय इक्विटी और डेट बाजार में कुल $58 बिलियन का निवेश किया है.
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