आखिरकार अमेरिका के आगे झुका चीन, अब टैरिफ पर होगी पक्की बात

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बीजिंग. टैरिफ को लेकर अमेरिका के साथ चल रहे तनाव के बीच चीन ने कहा कि वह शुल्क कम करने के लिए वार्ता संबंधी अमेरिकी प्रस्तावों पर विचार कर रहा है. यह कदम संभवतः दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच शुल्क युद्ध को कम कर सकता है. चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘ अमेरिका ने हाल में कई बार संबंधित पक्षों के माध्यम से चीन को संदेश देने का प्रयास किया है और शुल्क मुद्दों पर चीन के साथ बातचीत करने की इच्छा जाहिर की है इसलिए चीन इस पर विचार कर रहा है.’’ मंत्रालय के प्रवक्ता ने बयान में कहा कि शुल्क और व्यापार युद्ध की शुरुआत अमेरिका ने एकतरफा तरीके से की थी. बयान के अनुसार, अगर अमेरिका बातचीत करना चाहता है, तो उसे ईमानदारी दिखानी चाहिए, इसकी तैयारी करनी चाहिए और अपनी गलत प्रथाओं को सुधारने और एकतरफा शुल्क हटाने जैसे मुद्दों पर ठोस कदम उठाने चाहिए.

बयान में कहा गया है कि चीन ने देखा है कि अमेरिकी पक्ष लगातार अपने शुल्क उपायों में समायोजन के बारे में बात कर रहा है… ‘‘ किसी भी संभावित वार्ता में, यदि अमेरिका अपने त्रुटिपूर्ण एकतरफा शुल्क उपायों में सुधार नहीं करता है, तो यह पूरी तरह से ईमानदारी की कमी को दर्शाएगा तथा आपसी विश्वास को और कमजोर करेगा.’’

‘ब्लैकमेल करने की कोशिश नहीं चलेगी’

इसमें कहा गया है कि कहना कुछ और करना कुछ… यहां तक ​​कि बातचीत की कोशिश और फिर ‘ब्लैकमेल’ करने की कोशिश…ये सब चीन के साथ नहीं चलेगा. चीन वर्तमान में एकमात्र ऐसा देश है, जिस पर अमेरिकी शुल्क लागू हुए हैं. अमेरिका ने भारत और यूरोपीय संघ सहित कई अन्य देशों के खिलाफ जवाबी शुल्क पर रोक लगा दी है. इससे चीन अलग-थलग पड़ गया है और उसने अमेरिका के साथ शुल्क युद्ध छेड़ दिया है.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी निर्यात पर 145 प्रतिशत शुल्क लगाया है. हालांकि बाद में व्हाइट हाउस ने कहा कि चीनी वस्तुओं पर शुल्क 245 प्रतिशत है. चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी निर्यात पर 125 प्रतिशत शुल्क लगाया है. चीन ने शुल्क के मुद्दे पर अमेरिका के साथ किसी भी तरह की बातचीत होने से इनकार किया है, जबकि ट्रंप ने हाल में कहा था कि बातचीत जारी है और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने उनसे बात की है.

वहीं चीन के विदेश मंत्रालय ने भी दोनों राष्ट्रपतियों के बीच ऐसी किसी भी बातचीत से इनकार किया है. हांगकांग स्थित समाचार पत्र ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की शुक्रवार को प्रकाशित खबर के अनुसार, डाक नेटवर्क के जरिये भेजे जाने वाले 800 डॉलर या इससे कम मूल्य के चीन से आयातित सामानों पर उनके मूल्य का 90 प्रतिशत या 75 डॉलर प्रति सामान शुल्क लगने के बाद शुल्क पर चीन का रुख नरम हुआ है. एक जून के बाद यह शुल्क बढ़कर 150 डॉलर प्रति सामान हो जाएगा.

ई-कॉमर्स कंपनियों के जरिये भेजे जाने वाले छोटे पार्सल पिछले कुछ वर्षों में चीन के निर्यात वृद्धि का प्रमुख इंजन बन गए हैं जो पिछले शुल्क के कारण अमेरिका से थोक ऑर्डर में गिरावट आने से उत्पन्न हुई कमी को पूरा कर रहे हैं. मीडिया की खबरों के अनुसार, नए शुल्क लागू होने के बाद अमेरिका में माल ले जाने वाले कई जहाज वापस लौटने लगे हैं.

चीन का पिछले वर्ष अमेरिका को निर्यात 439.9 अरब अमेरिकी डॉलर का था जबकि पिछले वर्ष अमेरिका का चीन को कुल निर्यात 143 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था. चीन एकमात्र ऐसा देश है जिसने जवाबी कार्रवाई करते हुए शुल्क लगाया है.

अमेरिका, चीन के लिए तीसरा सबसे बड़ा निर्यात बाजार है. चीन के बेबाक रवैये के बावजूद चीन की अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी शुल्क के प्रभाव को लेकर काफी चिंता है, जो निर्यात में गिरावट, कम घरेलू खपत से जूझ रहा है.

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का असर बाकी देशों पर भी पड़ने की आशंका है, क्योंकि चीन ने 21 अप्रैल को उन देशों पर जवाबी कार्रवाई करने की धमकी दी है जो अमेरिकी शुल्क छूट पाने के लिए अमेरिका के साथ उसके खर्च पर व्यापार समझौते करना चाहते हैं.

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने आगाह किया कि वह शुल्क छूट पाने के लिए अमेरिका के साथ विशेष व्यापार समझौते करने से उन देशों को रोकने के लिए एक एहतियाती कदम उठाएगा, जिनके साथ चीन के लाभप्रद व्यापारिक संबंध हैं. चीन की यह चेतावनी उन खबरों के बाद आई है कि अमेरिका, शुल्क छूट के बदले में अन्य देशों पर चीन के साथ व्यापार संबंधों को प्रतिबंधित करने के लिए दबाव बनाने की तैयारी कर रहा है. विश्व व्यापार संगठन के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका के साथ चीन के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के किसी भी द्विपक्षीय व्यापार समझौते से उसके विदेशी व्यापार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, जो 3670 अरब अमेरिकी डॉलर है.

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इसमें पिछले साल आसियान (586.52 अरब अमेरिकी डॉलर), यूरोपीय संघ (580 अरब अमेरिकी डॉलर) और जापान (167.12 अरब अमेरिकी डॉलर) जैसे अपने सबसे बड़े व्यापार साझेदारों को निर्यात शामिल है. इस बीच, चीन ने 16 अप्रैल को एक नए शीर्ष अंतरराष्ट्रीय वार्ताकार की नियुक्ति की थी, जब ट्रंप ने कहा था कि शुल्क गतिरोध को समाप्त करने के लिए समझौता करने की जिम्मेदारी अब चीन की है.

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