Last Updated:May 01, 2025, 16:10 ISTSaffron Priced Increased : कश्मीरी केसर की महक और रंग की दीवानी तो पूरी दुनिया है, लेकिन इसका स्वाद लेना अब और महंगा हो गया है. पहलगाम हमले के बाद केसर की कीमतों में अचानक 50 हजार रुपये तक उछाल आ चुका है.कश्मीरी केसर की कीमतों में 10 फीसदी से ज्यादा उछाल आ चुका है. हाइलाइट्सपहलगाम हमले के बाद केसर की कीमत 5 लाख रुपये प्रति किलो पहुंची.भारत में हर साल 55 टन केसर की खपत होती है.कश्मीर में हर साल 6-7 टन केसर का उत्पादन होता है.नई दिल्ली. कश्मीर घाटी के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद बढ़ते तनाव के बीच एक और बुरी खबर आ रही है. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ताजा हालात का असर कश्मीर घाटी से आने वाली केसर पर भी पड़ रहा है. केसर की कीमतें अचानक कई हजार रुपये महंगी हो गई हैं. रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि केसर की कीमत अभी 5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी हैं. इस कीमत में तो 50 ग्राम सोना आ जाएगा, जिसका भाव अभी आसमान पर चल रहा है.
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकी हमले के बाद उच्च क्वालिटी वाली केसर की कीमतें 5 लाख से ऊपर चली गई है, जबकि हमले के तत्काल पहले केसर की कीमत सवा 4 लाख से लेकर 4.50 लाख रुपये तक थी. इसका मतलब है कि महज 2 सप्ताह के भीतर ही केसर की कीमतों में 50 हजार रुपये का उछाल आ चुका है. केसर इकलौता ऐसा मसाला है, जिसकी पैदावार समुद्र तल से 1800 मीटर से भी ज्यादा की ऊंचाई पर भी की जा सकती है.
क्यों आया कीमतों में उछालकश्मीर से आने वाली केसर की कीमतों में यह उछाल इसलिए आया है, क्योंकि आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया है. पाकिस्तान की सभी सीमाएं और व्यापार सील किए जाने के बाद अफगानिस्तान से आने वाली केसर अब भारत में नहीं आ सकेगी, क्योंकि इसका रास्ता पाकिस्तान से ही गुजरता है. यही वजह है कि अब डिमांड के मुकाबले केसर की सप्लाई कम रहने का अनुमान है और इसी आशंका में केसर की कीमतों में 10 फीसदी का अचानक उछाल आ गया है.
कश्मीर में केसर की कितनी पैदावारभारत में हर साल करीब 55 टन केसर की खपत होती है, जबकि कश्मीर में केसर का उत्पादन हर साल महज 6 से 7 टन तक ही होता है. जाहिर है कि बाकी की खपत पूरी करने के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ता है. यह आयात अफगानिस्तान और ईरान से होता है. अफगान की केसर अपने रंग और सुगंध के लिए काफी मशहूर है, जबकि ईरान से आने वाली केसर की कीमत काफी कम होती है. कश्मीर के पुलवामा, श्रीनगर, पाम्पोर, बडगाम और जम्मू के किश्तवाड़ क्षेत्र में केसर की पैदावार होती है.
कश्मीर को मिला है जीआई टैगकश्मीर के केसर उत्पादन को साल 2020 में ही जीआई टैग मिल चुका है. इसके बाद से ही सरकार लगातार स्कीम चलाकर केसर को प्रमोट कर रही है. इसके बाकायदा नेशनल सैफरन मिशन भी शुरू किया है. जीआई टैग की वजह से कश्मीर के केसर में मिलावट करना काफी मुश्किल होगा और निर्यात के लिए इसकी ब्रांडिंग करना आसान हो जाएगा. सरकार के इस कदम ने कश्मीरी किसानों को सस्ती ईरानी केसर से मुकाबला करने में काफी मदद की थी. ताजा हालात ने कश्मीर की केसर को एक बार फिर ऊंचाइयों पर जाने में मदद की है.
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