टैरिफ और कच्चा तेल मिलकर बिगाड़ रहे इन देशों का बजट

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Last Updated:May 01, 2025, 13:44 ISTIMF ने कहा कि टैरिफ और कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता से पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के देशों को आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.हाइलाइट्सकच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता से आर्थिक चुनौती बढ़ी.पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के देशों पर नकारात्मक प्रभाव होगा.IMF ने नीतियां बनाने की जरूरत पर जोर दिया.दुबई. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा कि पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के देशों को आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि शुल्क उपायों, हाल की तुलना में तेल की कम कीमतों तथा वित्तीय मदद में कटौती के कारण क्षेत्र आर्थिक अनिश्चितता का सामना कर रहा है. एमईएनए क्षेत्र (पश्चिम एशिया व उत्तरी अफ्रीका) के लिए आईएमएफ की क्षेत्रीय परिदृश्य रिपोर्ट के अनुसार, ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतें जो 2022 में 120 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से ऊपर के उच्च स्तर से नीचे है…इसके 2025 तथा 2026 में 65 से 69 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल होने की संभावना है, इससे ऊर्जा निर्यातक अर्थव्यवस्थाएं बाजार में उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील हो जाएंगी. पश्चिम एशियाई देशों में ईरान, इराक, सऊदी अरब, तुर्की और इज़राइल समेत अन्य मुल्क शामिल हैं.

आईएमएफ में पश्चिम एवं मध्य एशिया के निदेशक जिहाद अज़ूर ने कहा कि अमेरिका तथा अन्य देशों की शुल्क योजनाओं व भू-राजनीतिक तनावों ने वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता बढ़ा दी है. इसका क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिससे उनकी वृद्धि दो से 4.5 प्रतिशत प्रभावित हो सकती है.

इकोनॉमी के बचाव के लिए रणनीति बनाने की जरूरत

दुबई में दिए साक्षात्कार में अजूर ने कहा, ‘‘ इसलिए देशों को इससे निपटने और अपनी अर्थव्यवस्थाओं की रक्षा के लिए नीतियां बनाने की जरूरत है.’’ अजूर ने कहा कि क्षेत्र में आने वाली विदेशी सहायता में कमी भी असर डाल सकती है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनके देश की, विश्व के सबसे बड़े सहायता प्रदाता होने की नीति में बदलाव किया है.

उन्होंने कहा, ‘‘ अंतरराष्ट्रीय सहायता में कमी, विशेष रूप से कमजोर देशों के लिए इस क्षेत्र के लिए नए जोखिम उत्पन्न कर रही है.’’ अजूर ने कहा कि इस वर्ष एमईएनए क्षेत्र में वृद्धि दर 2.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि पिछले वर्ष यह 1.8 प्रतिशत थी. हालांकि, उन्होंने कहा कि वैश्विक अनिश्चितता से परिदृश्य प्रभावित हो सकता है.

फारस की खाड़ी की अर्थव्यवस्थाएं पर्याप्त प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करना जारी रखती हैं जो वैश्विक महामारी के बाद से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के लगभग दो प्रतिशत तक बढ़ गया है, जबकि अन्य एमईएनए देश धीमी आवक के साथ संघर्ष करते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बावजूद एमईएनए देश संरचनात्मक सुधारों और आर्थिक संबंधों में विविधता लाकर वृद्धि को गति दे सकते हैं.
Location :New Delhi,New Delhi,Delhihomebusinessटैरिफ और कच्चा तेल मिलकर बिगाड़ रहे इन देशों का बजट

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