IPL अब सिर्फ चौकों-छक्कों और रोमांच तक सीमित नहीं रहा. मैदान के हर कोने पर तकनीक की पैनी नजर रहती है, चाहे खिलाड़ी मैदान पर हों या अंपायर हजारों किलोमीटर दूर बैठे हों. जी हां, आज के IPL मैच में टेक्नोलॉजी ही असली सुपरस्टार है, जो हर बॉल, हर डिसीजन और हर मूवमेंट पर नजर रखती है.
चलिए जानते हैं, ऐसी कौन-कौन सी तकनीकें हैं जो IPL को और भी एडवांस बना रही हैं और कैसे ये दूर बैठे अंपायर को भी बारीक से बारीक चीजें साफ-साफ दिखाने में मददगार साबित हो रही है.
1. DRS- DRS यानी Decision Review System एक ऐसी तकनीक है जो खिलाड़ी को अंपायर के फैसले को चुनौती देने का मौका देती है. जब कोई खिलाड़ी आउट कर दिया जाता है और उसे लगता है कि फैसला गलत है, तो वह DRS ले सकता है. इसके तहत तीन खास टेक्नोलॉजी काम करती हैं.
Hawk-Eye: जो गेंद कहां गिरी, कहां टकराई और विकेट की तरफ जा रही थी या नहीं, ये दिखाती है.
UltraEdge: जो बैट और बॉल के हल्के टच की आवाज पकड़ती है.
Ball Tracking: जो यह बताता है कि गेंद पैड से लगने के बाद विकेट की ओर जा रही थी या नहीं. ये तीनों मिलकर थर्ड अंपायर को सही फैसला लेने में मदद करते हैं, चाहे वो मैदान में हो या हजारों किलोमीटर दूर बैठा हो.
2. SpiderCam- SpiderCam एक ऐसा कैमरा है जो तारों की मदद से हवा में उड़ता है और मैदान का शानदार एरियल व्यू देता है. इससे बल्लेबाज़ की हर मूवमेंट, फील्डिंग पोजिशन और रनिंग के दौरान के एक्शन को ऊपर से देखा जा सकता है. ये कैमरा अंपायर के लिए नहीं, दर्शकों और कमेंट्री टीम के लिए भी मैच को और रोमांचक बनाता है.
3. LED Stumps- LED Stumps एक नई और स्मार्ट टेक्नोलॉजी है जो अब IPL में पुराने लकड़ी के स्टंप्स की जगह ले चुकी है. इन स्टंप्स और बेल्स के अंदर सेंसर लगे होते हैं. जैसे ही गेंद स्टंप्स से टकराती है या बेल्स जरा भी हिलती हैं, ये तुरंत लाल रोशनी से चमक उठते हैं. इससे थर्ड अंपायर को साफ-साफ दिख जाता है कि बॉल ने स्टंप को छुआ है या नहीं, और बैट क्रीज़ के अंदर था या बाहर. खासकर रनआउट या स्टंपिंग जैसे क्लोज़ फैसलों में ये टेक्नोलॉजी तुरंत और साफ नतीजा देती है, वो भी बिना किसी शक के.
4. Smart Replay System- IPL में अब ऐसा सिस्टम है जिससे थर्ड अंपायर को एक-एक एंगल का साफ और तुरंत रिप्ले मिल जाता है. इसे कहते हैं Smart Replay System. इस टेक्नोलॉजी से अंपायर को लंबा इंतज़ार नहीं करना पड़ता और डिसीजन जल्दी हो जाता है. फैंस को भी बोर नहीं होना पड़ता, रिप्ले फटाफट आता है और फैसला चुटकियों में हो जाता है. ये सिस्टम खास कैमरों और सॉफ्टवेयर की मदद से हर जरूरी एंगल को तुरंत स्क्रीन पर लाता है.
5. Player Tracking System- इस टेक्नोलॉजी में खिलाड़ी के शरीर पर या कपड़ों में लगे होते हैं GPS और Motion Sensors. जब खिलाड़ी दौड़ता है, फील्डिंग करता है या थ्रो करता है, तो ये डिवाइस उसकी हर मूवमेंट को ट्रैक करते हैं – जैसे रनिंग स्पीड कितनी थी, कितनी दूरी तय की, थ्रो कितनी तेज थी वगैरह. ये डेटा TV पर दिखने वाले शानदार एनिमेशन बनाने में भी काम आता है और फील्डर की परफॉर्मेंस एनालिसिस में भी मदद करता है. मतलब, हर खिलाड़ी की मेहनत अब सिर्फ कोच नहीं, करोड़ों फैंस भी साफ देख सकते हैं.
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