दरअसल, पांच बत्ती इलाके में रहने वाले सांसी समाज के लोग वर्षों से वहां रह रहे हैं। समाज की परंपरा के अनुसार जब किसी बच्चे की मृत्यु होती है, तो उसे दफनाया जाता है। पहले एयरपोर्ट क्षेत्र के पास स्थित श्मशान भूमि में उन्हें दफनाया जाता था, लेकिन अब वहां विस्तार कार्यों के चलते वह जमीन सरकारी उपयोग में ली जा चुकी है। ऐसे में समाज के लोगों के सामने मृत बच्चों को दफनाने की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है।
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सांसी समाज के लोगों का कहना है कि वे लंबे समय से श्मशान भूमि की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं हुआ। बीते दिनों प्रकाश सांसी के मासूम पुत्र का निधन हो गया, परंतु श्मशान भूमि न होने के कारण उसे सुनसान इलाके में दूर ले जाकर दफनाना पड़ा। इस पीड़ा को लेकर गुरुवार को प्रकाश सांसी और अजय सांसी सफेद कफन में लिपटे हुए जिला कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन लेकर कार्यालय पहुंचे। ज्ञापन में समाज के लिए श्मशान भूमि उपलब्ध कराने की मांग की गई थी। दुर्भाग्यवश कलेक्टर जनसुनवाई में व्यस्त थे, जिससे वे ज्ञापन नहीं सौंप सके और मायूस होकर लौटना पड़ा।
अजय सांसी ने कहा कि यह समस्या सिर्फ हमारे समाज की नहीं है, जोधपुर में कई समाज ऐसे हैं जिनके पास अंतिम संस्कार की पर्याप्त भूमि नहीं बची है। विकास के नाम पर श्मशान भूमि या तो खत्म हो रही है या अन्य कार्यों में प्रयोग में ली जा रही है। ऐसे में प्रशासन को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। प्रकाश सांसी, जिनका पुत्र हाल ही में काल के गाल में समा गया वो भावुक होते हुए बोले कि नजिंदा रहते तो हमारी कोई नहीं सुनता, लेकिन क्या मरने के बाद भी हमारी आत्माओं को चैन से सोने की जगह नहीं मिलेगी?
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