Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून पर अंतरिम आदेश टाल दिया है. ऐसा कोर्ट ने केंद सरकार के इस आश्वासन के बाद किया कि फिलहाल वक्फ बोर्ड या वक्फ काउंसिल में कोई नियुक्ति नहीं होगी. साथ ही, रजिस्टर्ड या घोषित वक्फ बाय यूजर (इस्तेमाल के आधार पर वक्फ) संपत्तियों को डिनोटिफाइ नहीं किया जाएगा. इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी.
इससे पहले बुधवार (16 अप्रैल 2025) को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा था कि वह वक्फ बोर्ड और वक्फ काउंसिल में गैर मुस्लिम सदस्यों को रखने के प्रावधान पर अंतरिम रोक लगाएगी. कोर्ट ने यह अंतरिम आदेश देने की भी बात कही थी कि फिलहाल वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाइड करने पर रोक लगा दी जाएगी. हालांकि कोर्ट ने ऐसा आदेश नहीं दिया था. उसने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर सुनवाई गुरुवार 17 अप्रैल को भी जारी रखने की बात कही थी.
केंद्र ने मांगा 7 दिन का समय
गुरुवार को सुनवाई शुरू होते ही सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वक्फ संशोधन कानून पूरी संसदीय प्रक्रिया का पालन करके पारित किया गया है. इस पर रोक लगाने के बहुत व्यापक परिणाम होंगे. कोर्ट सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दे. फिलहाल कोई अंतरिम आदेश पारित न करे.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह है. बहुत जगह पूरे के पूरे गांव पर वक्फ बोर्ड ने दावा कर दिया है. इस तरह की बातों से प्रभावित लोगों को कानूनी समाधान देने के लिए यह संशोधन लाया गया है. सरकार अपने जवाब में कोर्ट को यह बताएगी कि इस कानून की जरूरत क्यों है.
नए कानून में कई बातें सकारात्मक-CJI
इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि निश्चित रूप से नए कानून में कई बातें सकारात्मक हैं, लेकिन यह न्यायिक प्रक्रिया का मौलिक सिद्धांत है कि जब किसी मामले की सुनवाई हो रही हो, तो परिस्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं होने दिया जा सकता. यही कारण है कि कोर्ट ने कुछ प्रावधानों पर रोक की बात कही. याचिकाकर्ता पूरे कानून पर रोक की मांग कर रहे हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ऐसा नहीं कर रहा. वक्फ करने के लिए 5 साल तक मुसलमान रहने जैसे कई नियमों पर कोर्ट कुछ नहीं कह रहा.
वक्फ संपत्तियों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं
इस पर तुषार मेहता ने एक बार फिर कहा एक सप्ताह में कुछ नहीं बदल जाएगा. सरकार अगर चाहे भी तो वक्फ की संपत्तियों में इतनी जल्दी कोई बदलाव नहीं हो सकेगा इसलिए कोर्ट सरकार को जवाब दाखिल करने का मौका दे. तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ बोर्ड और वक्फ काउंसिल में फिलहाल कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी, वक्फ संपत्तियों को भी अभी डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा.
सॉलिसिटर जनरल के इस आश्वासन को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में दर्ज किया है. आदेश में लिखा गया है, “सॉलिसिटर जनरल ने यह कहा है कि फिलहाल किसी भी राज्य के वक्फ बोर्ड या केंद्रीय वक्फ काउंसिल में किसी सदस्य की नियुक्ति नहीं होगी. उन्होंने कहा है कि अगर किसी राज्य में कोई नियुक्ति हो तो उसे मान्य नहीं माना जाए. उन्होंने यह भी कहा है कि अगली सुनवाई तक वक्फ बाय यूजर समेत किसी भी वक्फ, चाहे वह रजिस्ट्रेशन के जरिए की गई हो या नोटिफिकेशन के जरिए, डिनोटिफाइ नहीं किया जाएगा. न ही उसकी स्थिति को बदला जाएगा.”
कोर्ट ने आगे लिखा है, “हम इस बयान को रिकॉर्ड पर ले रहे हैं. सरकार ने 7 दिन में जवाब दाखिल करने की बात कही है. उसके बाद 5 दिन में दूसरे पक्ष सरकार के हलफनामे पर अपना जवाब दें. 5 मई को मामले की अगली सुनवाई होगी.”
पांच याचिकाओं पर सुनवाई करेगी सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सैकड़ों की संख्या में दाखिल सभी याचिकाओं को सुन पाना उसके लिए संभव नहीं है. ऐसे में याचिकाकर्ता यह बताएं कि कौन सी 5 याचिकाओं को कोर्ट सुने. याचिकाकर्ताओं की तरफ से सौंपी गई लिस्ट के मुताबिक कोर्ट ने भविष्य में इन पांच याचिकाओं पर ही सुनवाई की बात कही है :-
1. अरशद मदनी2. मोहम्मद जमील मर्चेंट3. मोहम्मद फजलुर्रहीम4. शेख नुरुल हसन5. असदुद्दीन ओवैसी
कोर्ट ने विष्णु शंकर जैन को नोडल वकील नियुक्त किया
इन याचिकाओं को भी भविष्य में याचिकाकर्ता के नाम की बजाय In Re: Waqf Amendment Act, 2025. (स्वतः संज्ञान : वक्फ संशोधन कानून, 2025) की याचिका 1, 2, 3, 4 और 5 लिखा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से एजाज मकबूल, सरकार की तरफ से वकील कनु अग्रवाल और दखल के लिए आवेदन दाखिल करने वालों की तरफ से विष्णु शंकर जैन को नोडल वकील नियुक्त किया है. यह वकील अपने-अपने पक्ष की दलीलों को संकलित कर कोर्ट की सहायता करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून 1995 और 2013 को चुनौती देते हुए हरिशंकर जैन और पारुल खेड़ा ने याचिका दाखिल की है. इन दोनों याचिकाकर्ताओं ने वक्फ कानून के दुरुपयोग को देखते हुए इस व्यवस्था को खत्म करने की वकालत की है. कोर्ट ने कहा है कि इन दोनों याचिकाओं को सुनवाई की सूची में अलग से दर्ज किया जाएगा.
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