अमेरिकी कोर्ट में तहव्वुर राणा ने बचने के लिए दीं कौन सी दलीलें, कब कैसी ट्रिक का किया इस्तेमाल

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Tahawwur Rana Extradition: 2008 के मुंबई आतंकी हमले के आरोपी और मोस्ट वॉन्टेड आतंकी तहव्वुर राणा को भारत लाया जा रहा है. अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट और देश के मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने तहव्वुर की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने भारत भेजे जाने पर रोक लगाने की मांग की थी.
तहव्वुर राणा ने कोर्ट में कहा था कि अगर उसे भारत भेजा गया तो वहां उसके साथ मानसिक और शारीरिक रूप से बुरा व्यवहार हो सकता है, लेकिन कोर्ट ने उसका अनुरोध खारिज कर दिया.
तहव्वुर राणा ने कोर्ट में दी ये दलीलें 
तहव्वुर राणा ने अमेरिका की कोर्ट में ये तर्क दिया था कि जब उसके खिलाफ पहले ही अमेरिका में केस चल चुका है तो अब भारत में उस पर दोबारा केस नहीं चलाया जा सकता. इस दौरान भारत सरकार और उसके वकीलों ने कोर्ट को बताया कि तहव्वुर की ये दलील सही नहीं है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक, तहव्वुर राणा पर जो आरोप हैं, वो बहुत गंभीर हैं इसलिए भारत में भी उस पर मुकदमा चल सकता है.
सूत्रों की मानें तो तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण (भारत लाने) को लेकर पहले भी 2010 और 2012 में कोशिश हुई थी, लेकिन इस पर गंभीर चर्चा 2018 से शुरू हुई. एक और अहम बात ये सामने आई है कि अमेरिका की कोर्ट ने साफ-साफ बताया है कि तहव्वुर राणा के खिलाफ भारत में सिर्फ उन्हीं धाराओं में केस चल सकता है, जिनकी इजाजत अमेरिका ने दी है. इसका मतलब है कि भारत कोई नई या दूसरी धारा नहीं जोड़ सकता. अभी भारत के वकीलों को सतर्क रहने को कहा गया है. जैसे ही तहव्वुर राणा भारत पहुंचेगा, फिर तय होगा कि अगली कानूनी प्रक्रिया क्या होगी. सूत्रों के अनुसार, भारत लाने के बाद जांच एजेंसियों को तहव्वुर को कोर्ट में पेश करने के लिए 24 घंटे का समय मिलेगा.
2011 में दायर हुई थी पहली चार्जशीट
26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के खिलाफ भारत में पहली चार्जशीट साल 2011 में दाखिल की गई थी. इससे पहले अमेरिका में उसके खिलाफ 2009 में केस दर्ज हुआ था. 2013 में अमेरिका की एक कोर्ट ने उसे 14 साल की जेल की सजा सुनाई थी, लेकिन उसकी सजा पूरी होने से पहले ही अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसे भारत प्रत्यर्पित करने की इजाजत दे दी. इसके बाद राणा ने अमेरिका के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स के पास एक याचिका भेजकर प्रत्यर्पण रोकने की गुजारिश की थी, लेकिन उसे भी खारिज कर दिया गया.

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