अब इस मुस्लिम देश ने भारत की मिसाइल में दिखाई दिलचस्पी, डील सुनकर पाकिस्तान को लग जाएगा करंट!

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India UAE Ties: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ मित्र-देशों को हथियार मुहैया कराने की दिशा में भारत एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है. खाड़ी देश यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) के साथ भारत रक्षा सहयोग के अलावा हथियारों के साझा-निर्माण के लिए भी तैयार हो गया है. यूएई के उप-प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री (दुबई के क्राउन प्रिंस भी) शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम के भारत दौरे के दौरान इस मसौदे पर सहमति बन गई है.
राजधानी दिल्ली में मंगलवार (8 अप्रैल, 2025) को यूएई के उप-प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ साझा मुलाकात की थी. इसके बाद राशिद अल मकतूम ने यूएई के प्रतिनिधिमंडल के साथ राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अलग बैठक की. बैठक के बाद भारत के रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी किया. 
भारत की स्वदेशी आकाश मिसाइल में यूएई ने दिखाई दिलचस्पी 
मेक-इन-इंडिया और मेक-इन-एमिरेट्स पहल को लेकर ध्यान केंद्रित करने पर दोनों देशों के नेता सहमत हुए हैं. दरअसल, भारत की स्वदेशी आकाश मिसाइल में यूएई ने दिलचस्पी दिखाई है. थलसेना, वायुसेना और नौसेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली आकाश मिसाइल को भारत निर्यात भी करता है. आकाश मिसाइल को आर्मेनिया को एक्सपोर्ट किया जा चुका है. दोनों मंत्रियों ने माना कि रक्षा सहयोग को व्यापार और व्यवसाय जैसे अन्य क्षेत्रों में हुई प्रगति के अनुरूप बढ़ाने की आवश्यकता है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के दृष्टिकोण और दृढ़ संकल्प के अनुरूप है.
रक्षा उद्योग सहयोग बढ़ाने पर हुई चर्चा
दोनों नेताओं ने तटरक्षक बल के बीच सक्रिय सहयोग पर भी संतोष व्यक्त किया और एक समझौता ज्ञापन के माध्यम से इसे औपचारिक रूप देकर और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की. दोनों नेता इस बात से आश्वस्त थे कि रक्षा उद्योगों के बीच घनिष्ठ सहयोग द्विपक्षीय संबंधों के लिए अभिन्न अंग होना चाहिए. उन्होंने रक्षा उद्योग सहयोग बढ़ाने पर जोर देते हुए और रक्षा विनिर्माण में साझेदारी बढ़ाने के अवसरों पर चर्चा की. संयुक्त अरब अमीरात के साथ रक्षा सहयोग समझौता ज्ञापन पर 2003 में हस्ताक्षर किए गए थे और रक्षा उद्योग सहयोग संबंधी समझौते पर 2017 में हस्ताक्षर किए गए थे.
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