Last Updated:April 07, 2025, 20:36 ISTकेंद्र सरकार ने रसोई गैस की कीमतों में 50 रुपये की बढ़ोतरी की है, जिससे दिल्ली में घरेलू गैस की कीमत 853 रुपये हो गई है. कीमतों में अंतर ट्रांसपोर्टेशन और डिस्ट्रीब्यूशन कॉस्ट के कारण होता है. दूरदराज या पहाड़ी…और पढ़ेंहाइलाइट्सरसोई गैस की कीमत 50 रुपये बढ़ी.दिल्ली में घरेलू गैस की कीमत 853 रुपये हुई.कीमतों में अंतर ट्रांसपोर्टेशन और डिस्ट्रीब्यूशन कॉस्ट से होता है.नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने आज रसोई गैस की कीमतों में 50 रुपये की बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है. इसके बाद दिल्ली में घरेलू गैस की कीमत 803 रुपये से बढ़कर 853 रुपये हो गई है. रसोई गैस की कीमत हर राज्य में अलग-अलग होती है. सरकार ने भले ही कीमतों में एकसमान सिर्फ 50 रुपये की बढ़ोतरी की हो लेकिन एक सिलेंडर की कीमत का मूल्य अलग ही होगा. यह अंतर केवल राज्य स्तर पर ही नहीं होता बल्कि राज्य के अंदर भी इसमें फर्म देखने को मिलता है.
उदाहरण के लिए यूपी के ही बागपत में रसोई गैस की कीमत 800 रुपये है तो बरेली में इसकी कीमत 820 रुपये है. लेकिन क्या आप जानते हैं कीमतों में अंतर होता क्यों है. जबकि राज्यों द्वारा गैस पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लगाया जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि इसके पीछे की वजह क्या है? आइए जानते हैं.
क्या है वजहअसल में, इसका कारण है ट्रांसपोर्टेशन और डिस्ट्रीब्यूशन कॉस्ट का फर्क. तेल कंपनियां देशभर में गैस सिलेंडर पहुंचाने में जो खर्च करती हैं—जैसे ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज, हैंडलिंग, एजेंसी मार्जिन आदि—वो हर जगह एक जैसा नहीं होता. दूरदराज या पहाड़ी इलाकों में यह लागत ज़्यादा होती है, जबकि मेट्रो या औद्योगिक इलाकों में कम. इसके अलावा, केंद्र सरकार LPG पर सब्सिडी भी कुछ चुनिंदा ग्राहकों (जैसे उज्ज्वला योजना वाले) को देती है, जिसकी वजह से कुछ लोगों को कम कीमत चुकानी पड़ती है और बाकी को ज़्यादा. इसके चलते भी आम लोगों को लगता है कि हर जगह रेट अलग-अलग क्यों हैं.
तो टेक्निकली राज्य सरकारें कोई टैक्स नहीं लगातीं, लेकिन कुल लागत में जो अंतर आता है, वही कीमतों का फर्क बन जाता है. यही वजह है कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में रसोई गैस सस्ती मिलती है, जबकि पूर्वोत्तर या पहाड़ी राज्यों में महंगी.
कैसे तय होती हैं गैस की कीमतें?भारत में एलपीजी (LPG) सिलेंडर की कीमतें हर महीने तय की जाती हैं और ये पूरी तरह अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करती हैं, क्योंकि देश अपनी ज़रूरत की गैस इम्पोर्ट करता है. अगर ग्लोबल मार्केट में कीमतें बढ़ें या रुपये की वैल्यू डॉलर के मुकाबले घटे, तो इसका असर सीधे सिलेंडर की कीमत पर पड़ता है. इसके अलावा गैस की रिफाइनिंग, ट्रांसपोर्टेशन, टैक्स और कंपनियों का मुनाफा भी जोड़कर फाइनल रेट तय किया जाता है. सरकार उज्जवला योजना जैसे स्कीम के ज़रिए कुछ ग्राहकों को सब्सिडी देती है, जिससे उन्हें सिलेंडर सस्ता पड़ता है. घरेलू इस्तेमाल और कमर्शियल सिलेंडर की कीमतें भी अलग-अलग होती हैं. हर महीने की पहली तारीख को सरकारी तेल कंपनियां नए रेट का ऐलान करती हैं.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :April 07, 2025, 20:36 ISThomebusinessरसोई गैस की कीमतों में क्यों होता है अंतर, जबकि राज्य नहीं लगाता कोई अलग टैक्स
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