Share Market Crash: बच नहीं पाया सबसे भरोसेमंद ग्रुप! ₹1.5 लाख करोड़ साफ, पैसा तो आपका भी लगा ही होगा

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TATA Group Stocks: हर्षद मेहता पर बनी वेबसीरीज ‘स्कैम 1992’ में हर्षद मेहता का एक डायलॉग है. वह कहता है कि टाटा का कोई भी शेयर उठा लो, लॉन्ग रन में फायदा ही देगा. यह बात अभी तक सच भी साबित हुई है. कितने ही शेयर आए और चले गए, मगर टाटा की कंपनियों के शेयरों ने शायद ही किसी निवेशक को निराश किया हो. मगर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ वाली पॉलिसी ने दुनियाभर के बाजारों को जबरदस्त तरीके से शेक कर दिया. हॉन्ग कॉन्ग के बाजारों ने 1997 के बाद सबसे बड़ी गिरावट देखी. भारत के शेयर बाजार भी इससे अधूते नहीं रहे और दोनों मुख्य इंडेक्स (निफ्टी50 और सेंसेक्स) 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट के बाद बंद हुए. एक और चीज तो देखने को मिली, इस गिरावट ने टाटा ग्रुप की कंपनियों के शेयरों के पैर भी नहीं जमने दिए.

भारत में भरोसे का दूसरा टाटा को कहा जाता है. सोमवार (7 अप्रैल 2025) की गिरावट ने टाटा की कंपनियों की पूंजी को लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये तक घटा दिया. एक ही दिन में निवेशकों को इतना बड़ा लॉस झेलना पड़ा. पूरे भारतीय बाजार में लगभग 14 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हुए. सेंसेक्स 2,226 अंक गिरकर बंद हुआ. एक समय तो ऐसा था जब सेंसेक्स 4,000 अंक तक गिर चुका था.

टाटा मोटर्स का शेयर 10 फीसदी क्यों गिरा?दरअसल, ट्रंप के भारी भरकम टैरिफ के बाद टाटा मोटर्स ने अमेरिका में जैगुआर लैंड रोवर (JLR) की शिपमेंट रोक दी है, जिससे कंपनी के शेयर लगभग 10 फीसदी गिर गए. केवल तीन घंटे में कंपनी का बाजार मूल्य लगभग 19,000 करोड़ रुपये घट गया. 26 मार्च को ट्रंप द्वारा आयात शुल्क की घोषणा के बाद से टाटा मोटर्स के शेयरों में 22 फीसदी की गिरावट आई है.

पिछले साल, अमेरिका JLR के कुछ चुनिंदा और खास बाजारों में से एक था. यहां पर इसके रेंज रोवर स्पोर्ट्स, डिफेंडर और अन्य मॉडलों की वैश्विक बिक्री का एक चौथाई से अधिक हिस्सा बिका था. पिछले हफ्ते, ब्रोकरेज CLSA ने एक नोट में FY26 में JLR की कुल बिक्री में 14 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया, जिसमें अमेरिका में 26 फीसदी की गिरावट का कारण टैरिफ थे.

न टीसीएस बच पाया, न टाटा पावर और स्टीलमेटल सेक्टर की बड़ी कंपनी टाटा स्टील भी सोमवार के लगभग 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की. ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए अपेक्षा से अधिक कड़े टैरिफ ने मंदी के डर को बढ़ा दिया और यही मेटल कंपनियों से शेयरों में भारी बिकवाली का कारण बना.

भारत की टाटा ग्रुप की आईटी कंपनी TCS का बाजार पूंजीकरण सुबह से 47,500 करोड़ रुपये कम हो गया. कंज्यूमर प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी टाइटन ने भी लगभग 6,392 करोड़ रुपये का नुकसान झेला. ट्रेंट, टाटा पावर, इंडियन होटल्स और टाटा कंज्यूमर जैसे अन्य टाटा समूह के शेयर भी 1,500 करोड़ रुपये से 32,000 करोड़ रुपये तक गिर गए.

क्या अभी खरीद लेने चाहिए शेयर?विश्लेषकों का कहना है कि मौजूदा बाजार बहुत ही अनिश्चित है, जहां पारंपरिक तकनीक और मूलभूत मॉडल लागू नहीं हो सकते. छह महीने की गिरावट के बाद भी मूल्यांकन उचित लग सकते हैं, लेकिन एक्सपर्ट जोरदार खरीदारी से बचने की सलाह देते हैं.

मनीष जैन, चीफ स्ट्रैटेजी ऑफिसर और डायरेक्टर, मिरे एसेट कैपिटल मार्केट्स ने कहा, “क्या मैं अभी शेयर खरीदूंगा? उत्तर है नहीं, क्योंकि अनिश्चितता बहुत अधिक है… मेरे SIP जारी रहेंगे, लेकिन मैं एकमुश्त निवेश से बचूंगा. मुझे इस अस्थिर माहौल में बेहतर मौकों की उम्मीद है.”

जिओजित इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कहा, “निवेशकों को कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए. पहली बात तो ये कि ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ लंबे समय तक नहीं रहेंगे. दूसरी महत्वपूर्ण बात ये कि भारत की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है, क्योंकि अमेरिका को भारत का निर्यात जीडीपी के मात्र 2 फीसदी के आसपास है, इसलिए भारत की विकास दर पर इसका कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा.”

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