चैत्र नवरात्रि का व्रत पारण कब और कैसे करें, भूलकर भी न करें ये गलती

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Chaitra Navratri Vrat Paran 2025: 9 दिन की चैत्र नवरात्रि का समापन चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर होगा. इस दिन महानवमी मनाई जाएगी, इसमें मां दुर्गा की नौवीं शक्ति माता सिद्धिदात्री की पूजा होती है. मां सिद्धिदात्री की उपासना से समस्त सिद्धियां प्राप्त करने का वरदान मिलता है, शिव जी ने भी इनकी आराधना से सिद्धि प्राप्त की है.

इस साल चैत्र नवरात्रि का व्रत पारण किस दिन होगा, व्रत खोलते समय किन बातों का ध्यान रखें, व्रत पारण की विधि सब कुछ जान लें, वरना एक गलती से नौ दिन के व्रत निष्फल हो सकते हैं.

चैत्र नवरात्रि 2025 महानवमी

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च से हुई थी अब 6 अप्रैल 2025 को नवरात्रि की महानवमी पर समाप्ति होगी. चैत्र नवरात्रि पारण नवमी तिथि की समाप्ति तथा दशमी तिथि के आरम्भ होने पर किया जाता है.

इस साल चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 5 अप्रैल 2025 को रात 7.26 मिनट से शुरू होगी और 6 अप्रैल को रात 7 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी.

चैत्र नवरात्रि का व्रत पारण कब ?

चैत्र नवरात्रि का व्रत पारण 6 अप्रैल को रात 7.22 मिनट के बाद किया जाएगा. इस समय नवमी तिथि समाप्त हो चुकी होगी. नवरात्रि का व्रत पारण करने से पहले कन्या भोजन और हवन जरुर करें, इसके बिना व्रत का पुण्य फल प्राप्त नहीं होता है.

नवरात्रि व्रत पारण से पहले क्या करें

व्रत खोलने से पहले कन्या पूजन में कम से कम 9 कन्याओं को घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करें. कन्या पूजन के दौरान हलवा, पूड़ी, खीर, चने का भोजन करना चाहिए, उन्हें भेंट के रूप में दक्षिणा और उन्हें उपहार देने चाहिए.

कैसे करें नवरात्रि व्रत पारण ?

  • नवमी वाले दिन मां दुर्गा की विधि विधान पूजा करें, माता को भोग लगाएं. कन्या पूजन और हवन करें. कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.
  • नवमी की तिथि को मां दुर्गा को लगाए गए महाप्रसाद से व्रत खोलना सबसे उचित रहता है.

इन बातों का रखें ध्यान

  • नवरात्रि का व्रत पारण नवमी तिथि के समापन के बाद ही करें.
  • पारण के समय सात्विक भोजन, हल्का भोजन करें. सीधे-सीधे नमक का सेवन ना करें. हलवा, मालपुआ खाना उचित रहेगा. इसके बाद भोग में लगाए पूड़ी, सब्जी को ग्रहण कर सकते हैं.
  • इस दिन कन्या पूजन सुबह या दोपहर तक कर लेना चाहिए.
  • जिन घरों में कलश स्थापना के दिन जो ज्वारे बोए थे उन्हें अगले दिन नदी में प्रवाहित करें.

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