डर्टी गेम खेल रहे थे ट्रंप, ईरान बोला- बात करनी है तो… ऐसे ही खाया था धोखा

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Last Updated:March 28, 2025, 08:41 IST

Iran-US Talk: ईरान ने कहा कि वो अमेरिका से इन-डायरेक्‍ट बातचीत के लिए तैयार है. साथ ही यह भी कहा कि डोनाल्‍ड ट्रंप की धमकियों के बीच चर्चा होना संभव नहीं है. ईरान ने कहा कि वो अमेरिका की धमकी और दबाव वाली रणनीत…और पढ़ें

ईरान ने अमेरिका से बातचीत पर अपनी स्थिति साफ की. (File Photo)

हाइलाइट्स

  • ईरान अमेरिका से इन-डायरेक्ट बातचीत को तैयार है.
  • डोनाल्‍ड ट्रंप की धमकियों के बीच चर्चा संभव नहीं: ईरान
  • ईरान ने ट्रंप की नीतियों को खारिज किया.

नई दिल्‍ली. डोनाल्‍ड ट्रंप जब से सत्‍ता में आए हैं, वो ईरान के प्रति हमलावर रहे हैं. अपने पिछले कार्यकाल के दौरान भी ट्रंप ने ही ईरान के मिलिट्री चीफ जनरल कासिम सुलेमानी की हत्‍या करवाई थी. एक बार फिर ट्रंप के तेवरों के बीच ईरान ने साफ कर दिया है कि वो अमेरिका से बातचीत करने को तो राजी है लेकिन ट्रंप के तेवरों के साथ वो आगे नहीं बढ़ेंगे. ईरान के स्ट्रैटेजिक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (SCFR) के प्रमुख कमाल खराजी ने कहा है कि वाशिंगटन के मौजूदा कूटनीतिक रुख को हम खारिज करते हैं लेकिन इसके बावजूद हम इन-डायरेक्‍ट टॉक के लिए तैयार है.

खराजी ने SCFR के एक संवाददाता से कहा कि अमेरिकी प्रशासन के मौजूदा व्यवहार में हमें एक मनोवैज्ञानिक युद्ध दिखता है, जो ‘या तो युद्ध या बातचीत’ की नीति को बढ़ावा देता है. ट्रंप की हालिया चिट्ठी और अमेरिकी अधिकारियों के बयान ईरान के लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे हैं. अमेरिका का मकसद ईरान में ध्रुवीकरण पैदा करना है. ऐसे में यहां कुछ लोगों को लगता है कि ट्रंप वास्तव में तेहरान और वाशिंगटन के बीच संबंध सुधारना चाहते हैं. ईरान ने अमेरिकी के असली इरादों पर सवाल उठाए. उनका मकसद आर्थिक प्रतिबंधों और सैन्य खतरों की छाया में बातचीत का न्योता देना है. ईरान ने साफ-साफ कहा कि ऐसे माहौल में बातचीत में सिद्धांतों की कमी है. पिछले अनुभवों को देखें तो इसपर भरोसा नहीं किया जा सकता.

7 साल पहले खाया था धोखा
ट्रंप को लेकर ईरान की चिंता इसलिए भी लाजमी है क्‍योंकि सात साल पहले ट्रंप ने ईरान को धोखा दिया था. तब साल 2015 में बराक ओबामा सरकार द्वारा साइन किए गए परमाणु समझौते से ट्रंप पीछे हट गए थे. ईरान पर दबाव बनाने के मकसद से इसके बाद ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान उनपर खूब प्रतिबंध लगाए. अब दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही ट्रंप एक बार फिर ईरान के खिलाफ दबाव की रणनीति पर काम कर रहे हैं. डर दिखाने के साथ-साथ ट्रंप ईरान के साथ अब एक नए समझौते की वकालत कर रहे हैं.

ट्रंप थोपना चाहते हैं अपनी नीति
ईरान ने साफ कर‍ दिया कि ट्रंप की रणनीति एक पक्ष की मांगों को दूसरे पर थोपने के अलावा कुछ नहीं है. डर और धमकी के माहौल में बातचीत नहीं हो सकती. खराजी ने जोर देकर कहा कि ट्रंप को अब तक यह समझ लेना चाहिए था कि ईरानी लोग दबाव या जबरदस्ती के सामने कभी नहीं झुकेंगे, लेकिन विनम्रता और ईमानदारी का सकारात्मक जवाब देंगे. फिर भी, उन्होंने पुष्टि की कि ईरान ने सभी दरवाजे बंद नहीं किए हैं और अप्रत्यक्ष वार्ता के लिए तैयार है ताकि दूसरी ओर के इरादों का आकलन कर सके, अपनी शर्तें रख सके और उचित निर्णय ले सके.

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